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"हूँ"
कविता
"नारी नहीं जहान हूँ हिन्द की मैं शान हूँ"
प्रेम
पत्नी हूँ तुम्हारी मैं भी प्रेम चाहती हूँ
खुद में खुद के लिए अभि ज़िदा हूँ मैं (स्वाभिमान)
सुकून
मैं आज भी वहीं खड़ा हूँ।
क्या फर्क पढ़ता है
तुम्हारे घर में एक छोटा सा कोना चाहती हूँ
इसलिए दुःखी हूँ
तुम्हारे आंगन की तुलसी हो जाना चाहती हूँ
मैं आ रहा हूँ ।
बिना स्वार्थ के सारथी बनो
मैं मजदूर हूँ
मैं खुश हूँ मेरी झोपड़ी मे
हूँँ मैं नारी
मैं क़लम हूँ
हिंदी की कविता उर्दू का तराना बन जाता हूँ
धुंधलापन ------------------------ इस रात के घने अंधेरे में मैं देखना चाहता हूँ चारों ओर इस दुनियाँ का रंग रूप पर कुछ दिखता नहीं पर मन में एक रोशनी सी दिखती है | बस हर तरफ से नजरें हारकर बस उसकी तरफ मुड़ जाती है दिखती है वह दूर से आती हुई पर उस
मातृ भाषा हूँ मैं
अभिलाषा
एक नारी हूँ
हिंदी हूँ में
मैं हिन्द की भाषा हिन्दी हूँ
मैं हूँ हिन्दी सज रही माथे पर मेरे बिंदी
मैं हिंदुस्तान हूँ
माँ से जब भी मिला हूँ खुदको बिसरा हूँ
हां मै एक औरत हूँ
तब मैं लिखता हूँ
मैं जिंदगो हूँ
धोखा
कैसे कहूँ क्या दफन है मेरे ज़हन में
कोरा कागज
मैं आश्चर्य करता हूँ
मैं क्या चाहता हूँ
हां मै एक औरत हूँ
लेखनी....
मैं समय हूँ ...
मैं किसान हूँ
हाँ मैं थोड़ी बदल गईं हूँ
बदलाव
नदी की अभिलाषा
मैं तुमसे प्रेम करता हूँ
स्वयं छाया स्वयं आधार हूँ मैं
मेरा इकरारनामा
क्या कहूँ
बेटी हूँ मैं भी..
तुझसे प्यार करने लगी हूँ मै
मैं दिल्ली हूँ दिल्ली
भारत का बेटा हूँ मैं
मैं प्रकृति हूँ
तड़पती हूँ
पिया ❣️
परिचय
प्रणय मिलन की आकांक्षा
कैसे कहूँ सच्चाई
गीत
नारी नहीं बेचारी
कविता
मैं कविता हूँ...!
यूँ तो मेरा क़त्ल हुआ है।
मैं हिरण्यकश्यपु हूँ।
पराली हूँ मैं।
प्रेम और गलतफहमी
मैं कवि हूँ।
नववर्ष
कृष्ण ही कृष्ण है
स्त्री हूँ मैं अबला नहीं ...
मैं फूल हूँ
जो कुछ नहीं करते बहुत कुछ करते हैं
अखण्ड भारत का संकल्प
मैं आज की व्यवस्था हूँ
मैं कौन हूँ
मैं आज हूँ
माटी हूँ मै,
" हे संतति तुम्हे प्रणाम " 💐💐
पिया अलबेली हूँ
मैं जीवन हूँ
मैं पानी हूँ
" ऋतु-प्रभाव " 💐💐
जिंदगी की डायरी
मैं व्यवस्था हूँ
मैं व्यवस्था हूँ
मैं एक सोयी चेतना हूँ
मैं लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ
औरत हूँ, मैं नारी हूँ
मैं ख़ुद को बेकार समझता हूँ,
मैं आज हूँ
मैं पुल होना चाहता हूँ
भारत रत्न
अंदाज
माँ
राहें सुकू
मैं हिन्दी हूं
माँ तुम्हारे रूप से
*जीने के लिए मरता हूँ मैं*
*यहाँ पर नहीं हूँ मैं*
आदमी मैं मरा हुआ हूँ
मंजिल-ए-मक़्सूद
खुदसे सुनना चाहता हूँ
हयात में मिले हर फ़रेब से वाकिफ़ हूँ
होश में रहता हूँ
कोशिश जीने की करनी चाहिए
रिश्तों के मरने से पहले
जीहुजूरी का नाफरमान हूँ मैं
दिलों में घर चाहता हूँ
पहूँच कोई नहीं रहा है
जब रखवाला ही जुआरी था
खुद को भूला हूँ तेरी याद में
हा मैं मजदूर बहुत मजबूर हूँ
खुले आसमान में जीना चाहता हूँ
फ़कीर होना चाहता हूँ
सिलवटें फिर संवार रहा हूँ
तुम कितने दूध के धुले हो मैं जानता हूँ
भूल कर रहा हूँ मैं
मैं मर सा गया हूँ
वक़्त मुझे बताए जा रहा है
तू नदिया की धार मैं किनारा सा रहता हूँ
पहाङी हूँ,पहाङ चढे-उतरे है,
किसीका होना चाहता हूँ
मै कमल हूँ
अपनी खुदीमें ही मैं अपना कारवाँ होता जा रहा हूँ आलमी यौम ए बुज़ुर्गियत मुबारक @ "बशर" بشر
मै भी किसीको याद आना चाहता हूँ
किसीको याद आना चाहता हूँ
सपनों से दूर रहता हूँ
कहीं पहूँच नहीं पाता है
मैं श्रमिक हूँ
दोस्ती सिर्फ़ मसरूफ ओ मुबतिल से करता हूँ
कहानी
पिता "नसमझ हूँ मगर प्यार समझता हूँ"
दान
मैं हूँ ना,,,,लंबी कहानी
मैं हूँ ना
मैं हूँ ना
मैं हूँ ना
"विपन्न तिथियाँ"
राजू
"गंध"
" महज बता रही हूँ "💐💐
"गुरु- महिमा " 💐💐
विरासत
घी का तड़का
"महानायक"🌺🌺
लेख
संस्मरण,,, भूलने की आदत
मैं आसमानी चदरिया
नव वर्ष पर मेरे संकल्प
मैं आसमानी चदरिया
पाँति पोहे की
सोच रही हूँ
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