Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
बदलाव - नेहा शर्मा (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

बदलाव

  • 156
  • 3 Min Read

लोग बदलने को कहते हैं मैं खुद जैसी हो जाती हूँ।
बदलती हूँ थोड़ा तो रंगहीन सी हो जाती हूँ।

नेहा के नेह को मत परखो तुम कभी
जली कभी कोयले सी तो अंगार सी हो जाती हूँ

बना दो हुक मुझे उसकी शर्ट का तुम
कि प्यार मोहब्बत में बड़ी अनजान सी हो जाती हूँ।

लड़कपन सी बातें अब कहाँ होती हैं मुझसे
बुढ़ापे में भी जवानी की बहार सी हो जाती हूँ।

चलो आज परख ही लो तुम मोहब्बत को मेरी
मैं हवाओं में घुलकर बड़ी ही सदाबहार सी हो जाती हूँ।

नेहा कहेगी तो कह दोगे झूठी है बड़ी।
मैं जीवन की कश्ती में मझदार सी हो जाती हूँ। - नेहा शर्मा

silhouette-of-a-women-on-pink-background-vector-9208718_1608710473.jpg
user-image
नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

आप सभी का धन्यवाद

अजय मौर्य ‘बाबू’

अजय मौर्य ‘बाबू’ 3 years ago

सुंदर अभिव्यक्ति

Madhu Andhiwal

Madhu Andhiwal 3 years ago

Nice

शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

bahut badhiyA

प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हाई
logo.jpeg