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कविताअन्य
गीत हो तुम मेरी, मैं तेरा साज हूँ। मेरे पंखों की तुम, ही तो परवाज हो।। तेरे ख्वाबो में आता हूँ, मैं हर एक रात ही। मैं तेरे पहले इश्क का, सरताज हूँ। तेरी चिट्ठी का मैं हूँ, हर एक शब्द भी। तेरी सरगम का भी, मैं ही आवाज हूँ। डॉ अनुराग पाण्डेय
बहुत खूब 👌🏻