#Entries 15
#Likes 28
Start Date 11-Mar-21
End Date 15-Mar-21
Writer | Rank | Certificate |
---|---|---|
Sushma Tiwari | Certificate | |
Sarla Mehta | Certificate |
Competition Information/Details
सभी साहित्यिक स्वजनों को सादर नमस्कार...!
हमारी आज की प्रतियोगिता शब्दाक्षरी है। जिसके अंतर्गत आज का शब्द है...
"भूली बिसरी यादें"
कुछ यादें ऐसी होती हैं जो खास होती है परन्तु वक़्त के साथ हम उन्हें दरकिनार कर देते हैं। परन्तु इन यादों की खूबसूरती जब भी यादों के बक्से से निकलती है तो चेहरे पर हौली सी मुस्कुराहट या चिंता या फिर दुख की परछाई छोड़ जाती हैं। यादें बहुत तरह की होती हैं खट्टी मीठी यादें, अल्हड़ पन की यादें, वैगरह वैगरह, तो पकड़िए अपनी इन बिखरी सी यादो को मुट्ठी में और बिखेर दीजिये। वेबसाइट के पन्नों पर। आप सभी की रचनाओं का इंतज़ार रहेग़ा।
तो लिख भेजिये अपने शब्दों से सजा कर हम तक।
लेखन से सम्बंधित महत्पूर्ण नियम :-
1. रचनाएं विषयानुसार ही लिखे.. धार्मिक राजनैतिक भावनाओं को आहत करने वाली रचना न हो।
2. यदि रचना लम्बी है तो आप उसे भाग में विभाजित कर डाल सकते है।
3. वेबसाइट पर पोस्ट करने के उपरांत अपनी रचना या उसका लिंक सोशल मीडिया पर साझा कर सकते हैं।
4. रचना पोस्ट करने के लिए एडिटिंग ऑप्शन में इवेंट का चुनाव करना न भूले।
5. रचना के साथ चित्र कोई भी सलंग्न अवश्य करें।
आप सबकी रचनाओं का स्वागत एवं इन्तज़ार रहेगा...
सार्थक लेखन हेतु अग्रिम शुभकामनाएं.... ??
धन्यवाद
साहित्य अर्पण कार्यकारिणी।
कहानीसंस्मरण
भूली बिसरी यादें
बुआ का स्नेह अपने भतीजे, भतीजियों के प्रति अगाध, रहता है, वे भी अपनी बुआ से सबसे अधिक प्यार करते हैं
मेरे साथ भी हमारी बुआ जी की असंख्य स्मृतियाँ हैं.
हम लोग बहुत छोटे थे तभी बुआ जी
Read More
अपनों के आने का इंतजार भी बहुत रहता था।
जी..!!
बहुत सुंदर संस्मरण। बचपन की यादें अनमोल होती हैं। रूह-आफज़ा ही एकमात्र शर्बत होता था किसी ज़माने में
अम्रता जी.. बहुत धन्यवाद..!
कहानीसंस्मरण
पिता की सीख
बालपन कोरा कागज़ होता है, जिस पर परिवार के लोग जैसी इबारत लिखते हैं,वह ताउम्र उस पर प्रभाव डालती है।क्योंकि बच्चे की पहली पाठशाला उसका घर होता है और पहले गुरु माता- पिता।बच्चों का कोमल
Read More
बहुत सुन्दर स्मृतियाँ..!
जी, आपका हार्दिक आभार
कवितालयबद्ध कविता
घर की याद....
ये अंगना मेरी माँ का है बाबुल की अमिट निशानी है,
बचपन के हर खेल शरारत की इसमें छिपी कहानी है।
ये पेड़ साक्षी है उन लम्हों का
जो सखिओं साथ बिताये हैं
कभी चढ़े गिरे झूला झूले,
कडवी कोंपल कैसे
Read More
शशि जी कविता के साथ रचना से संबंधित तस्वीर लगाएं अपनी नहीं
जी फिर ठीक है
जी अंकिता जी,मगर ये आँगन वही है जिस पर कविता लिखी है।
कवितालयबद्ध कविता
कहाँ याद कर पाते हैं
उन भूले बिसरे दिनों को
शैतानियों से भरी अटखेलियों को
मां के दुलार को
सुबह के आलस को
बैठे बैठे, जहां दिन गुज़ारते थे
उस आंगन को
भाई बहनों के संग हंसते खेलते
और फिर लड़ जाने को
दूसरे
Read More
सच है!बचपन की यादें कभी भुलाए नहीं जाती।
बिल्कुल, शुक्रिया
कविताअन्य
शीर्षक: "पुरानी डायरी के बन्द पन्ने"
वो मेरी पुरानी डायरी के बंद पन्ने, आज पलटे तो तुम्हें उसमे पाया
तुम्हारा एहसास, तुम्हारी खुशबू, तुम्हारा साया..!
तुम ही तुम थे, फिर... क्या था?? जो मुझे नज़र नही आया..?
तुम्हारी
Read More
अत्यंत सुन्दर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति..!
हार्दिक आभार सर...!🙏🏻🙏🏻
लेखआलेख
आज एक बहुत पुरानी घटना जो डायरी के पन्नों में लिखी थी आप सभी के साथ साझा कर रही हूं।
हर वर्ष जब भी दसवीं और बारहवीं के परीक्षा परिणाम आते हैं तो कहीं खुशी कहीं गम का माहौल छा जाता है। मुझे
Read More
वास्तव में. नाम न मिलने से आघात लगा होगा. गनीमत है, आपने उसे उचित प्रकार से सह लिया और प्रतीक्षा की. पहले परिणाम ऐसे ही आते थे. मेरी प्रथम श्रेणी तो आयी लेकिन मार्क्स आशा से कुछ विषय में कम, मैं डबडबायी आंखों से घर आया. 😊रास्ते मेंर'' झील भी पड़ी..! स्कालरशिप भी मिल गयी थी.
जी, कई बार अधीरता से दुष्परिणाम भी सामने आ जाते हैं लेकिन यह ईश्वर की कृपा रहे कि शायद इस तरह का कोई भी विचार उस वक्त मन में नहीं आया और घर वालों के सहयोग पूर्ण रवैये ने भी शायद काम किया
कविताअतुकांत कविता
"भूले बिछड़े हसीन यादें"
=================
वह भूले बिछड़े हसीन लम्हे
जीवन में जो अबतक गुजारे
गांव की खुशबू भरी माटी में
बीते यादो को नैना अब निहारे
वह निश्चल सा बचपन की यारी
सिर्फ गुजर रहा यादों के सहारे
बचपन
Read More
कवितालयबद्ध कविता
*भूली* *बिसरी* *यादें*
कुछ कुछ याद आता है,
कुछ कभी हम भूल जाते हैं।
भूली बिसरी यादों के सहारे,
हम सभी जिंदा रहते हैं।
कभी कांटों की चुभन सी है,
कभी फूलों की महक सी है।
भूली बिसरी यादें ही,
जिंदगी का सहारा
Read More
कहानीसंस्मरण
वह खत (लघुकथा)
******************
मन बड़ा उदास था कई दिनों के निरर्थक भाग दौड़ का आज समापन जो हुआ था वह भी घोर अनिश्चितता के साथ। आज मैने निश्चय कर लिया था अब बस …… कल ही घर वापस चला जाऊंगा , नौकरी ना मिली ना सही ……अब
Read More
कवितालयबद्ध कविता
दबे पाँव आ,
दस्तक देकर,
सतरंगी सी यादें लेकर
चोरी-चोरी, चुपके-चुपके,
खुद से ही जैसे छुप-छुप के,
साया सा बन छाता कौन
मन को यूँ रंग जाता कौन
पचपन में मन खोजे बचपन,
कानों में रस घोलता
एक मुखर सा मौन
यह आँखमिचोली,
Read More
कवितालयबद्ध कविता
यूँ ही बस बैठे ठाले
करके मन को अनायास ही
भूले-बिसरे चंद लमहों के हवाले
यूँ ही बस बैठे ठाले
वो लमहे कुछ मतवाले
बडे़ सहज से, फिर भी लगते
जाने क्यूँ सबसे निराले
जटिल और बोझिल से
बंद, घुटते से एक दायरे
Read More
लेखआलेख
#शब्दाक्षरी प्रतियोगिता
11--15 मार्च 2021
*भूली बिसरी यादें*
यादें ना जाए बीते दिनों की,,, सच ये कभी नहीं जाती। ये बावरा दिल भी उन्हें बार बार बुलाता है। प्रत्येक व्यक्ति के ख़ज़ाने में यादों की एक अनमोल
Read More
वाह.. न भूलने वाली स्मृतियाँ.! भांग का नशा वास्तव में बहुत विचित्र होता है. मैं एक दो बार अनजाने में इसका शिकार हो चुका हूं. आपने बहुत अच्छा लिखा है.! 👌🙏
कहानीसामाजिक
हवाई जहाज की खिड़की से बाहर सब कुछ धुला हुआ सा लग रहा था। अगर मौका कोई और होता तो शायद मान्यता पचपन की उम्र में भी बच्चों की तरह चहकती हुई, बिना किसी की परवाह किए दिनेश से चिपक कर आसमानी बातें करना
Read More
अत्यंत भावपूर्ण और ह्रदयस्पर्शी..! बहुत सुन्दर और संवेदनशील लेखन..!
अत्यंत भावपूर्ण और ह्रदयस्पर्शी..! बहुत सुन्दर और संवेदनशील लेखन..!