Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
Sahitya Arpan Competition - भूली बिसरी यादें - शब्दाक्षरी आयोजन
uploads/competition_images/21/WhatsApp-Image-2021-03-10-at-1.34.10-PM_1615437402.jpeg


भूली बिसरी यादें - शब्दाक्षरी आयोजन

Competition Stats

  • #Entries 15

  • #Likes 28

  • Start Date 11-Mar-21

  • End Date 15-Mar-21

  • Competition Winners

    Writer Rank Certificate
    Sushma Tiwari First Certificate
    Sarla Mehta Second Certificate

    Competition Information/Details

    सभी साहित्यिक स्वजनों को सादर नमस्कार...!

    हमारी आज की प्रतियोगिता शब्दाक्षरी है। जिसके अंतर्गत आज का शब्द है...

    "भूली बिसरी यादें"
    कुछ यादें ऐसी होती हैं जो खास होती है परन्तु वक़्त के साथ हम उन्हें दरकिनार कर देते हैं। परन्तु इन यादों की खूबसूरती जब भी यादों के बक्से से निकलती है तो चेहरे पर हौली सी मुस्कुराहट या चिंता या फिर दुख की परछाई छोड़ जाती हैं। यादें बहुत तरह की होती हैं खट्टी मीठी यादें, अल्हड़ पन की यादें, वैगरह वैगरह, तो पकड़िए अपनी इन बिखरी सी यादो को मुट्ठी में और बिखेर दीजिये। वेबसाइट के पन्नों पर। आप सभी की रचनाओं का इंतज़ार रहेग़ा।

    तो लिख भेजिये अपने शब्दों से सजा कर हम तक।

    लेखन से सम्बंधित महत्पूर्ण नियम :-

    1. रचनाएं विषयानुसार ही लिखे.. धार्मिक राजनैतिक भावनाओं को आहत करने वाली रचना न हो।

    2. यदि रचना लम्बी है तो आप उसे भाग में विभाजित कर डाल सकते है।

    3. वेबसाइट पर पोस्ट करने के उपरांत अपनी रचना या उसका लिंक सोशल मीडिया पर साझा कर सकते हैं।

    4. रचना पोस्ट करने के लिए एडिटिंग ऑप्शन में इवेंट का चुनाव करना न भूले।

    5. रचना के साथ चित्र कोई भी सलंग्न अवश्य करें।

    आप सबकी रचनाओं का स्वागत एवं इन्तज़ार रहेगा...
    सार्थक लेखन हेतु अग्रिम शुभकामनाएं.... ??

    धन्यवाद
    साहित्य अर्पण कार्यकारिणी।

    कहानीसंस्मरण

    भूली बिसरी यादें

    • Edited 3 years ago
    Read Now

    भूली बिसरी यादें

    बुआ का स्नेह अपने भतीजे, भतीजियों के प्रति अगाध, रहता है, वे भी अपनी बुआ से सबसे अधिक प्यार करते हैं
    मेरे साथ भी हमारी बुआ जी की असंख्य स्मृतियाँ हैं.

    हम लोग बहुत छोटे थे तभी बुआ जी
    Read More

    inbound1285509735974036897_1615828763.jpg
    user-image
    Amrita Pandey

    Amrita Pandey 3 years ago

    अपनों के आने का इंतजार भी बहुत रहता था।

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    जी..!!

    Amrita Pandey

    Amrita Pandey 3 years ago

    बहुत सुंदर संस्मरण। बचपन की यादें अनमोल होती हैं। रूह-आफज़ा ही एकमात्र शर्बत होता था किसी ज़माने में

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    अम्रता जी.. बहुत धन्यवाद..!

    कहानीसंस्मरण

    पिता की सीख

    • Edited 3 years ago
    Read Now

    पिता की सीख

    बालपन कोरा कागज़ होता है, जिस पर परिवार के लोग जैसी इबारत लिखते हैं,वह ताउम्र उस पर प्रभाव डालती है।क्योंकि बच्चे की पहली पाठशाला उसका घर होता है और पहले गुरु माता- पिता।बच्चों का कोमल
    Read More

    logo.jpeg
    user-image
    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    बहुत सुन्दर स्मृतियाँ..!

    Gita Parihar3 years ago

    जी, आपका हार्दिक आभार

    कवितालयबद्ध कविता

    घर की याद...

    • Edited 3 years ago
    Read Now

    घर की याद....
    ये अंगना मेरी माँ का है बाबुल की अमिट निशानी है,
    बचपन के हर खेल शरारत की इसमें छिपी कहानी है।
    ये पेड़ साक्षी है उन लम्हों का
    जो सखिओं साथ बिताये हैं
    कभी चढ़े गिरे झूला झूले,
    कडवी कोंपल कैसे
    Read More

    MAKEUP_20210313014431_save_1615739268.jpg
    user-image
    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    शशि जी कविता के साथ रचना से संबंधित तस्वीर लगाएं अपनी नहीं

    Ankita Bhargava3 years ago

    जी फिर ठीक है

    Shashi Ranjana3 years ago

    जी अंकिता जी,मगर ये आँगन वही है जिस पर कविता लिखी है।

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    विलक्षण

    Shashi Ranjana3 years ago

    बहुत बहुत हार्दिक आभार सर🙏🙏

    कवितालयबद्ध कविता

    बीते हुए लम्हों में

    • Edited 3 years ago
    Read Now

    कहाँ याद कर पाते हैं
    उन भूले बिसरे दिनों को
    शैतानियों से भरी अटखेलियों को
    मां के दुलार को
    सुबह के आलस को
    बैठे बैठे, जहां दिन गुज़ारते थे
    उस आंगन को
    भाई बहनों के संग हंसते खेलते
    और फिर लड़ जाने को
    दूसरे
    Read More

    logo.jpeg
    user-image
    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बहुत खूब

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया आपका

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    बहुत सुन्दर..!

    शिवम राव मणि3 years ago

    धन्यवाद सर

    Meeta Joshi

    Meeta Joshi 3 years ago

    सच है!बचपन की यादें कभी भुलाए नहीं जाती।

    शिवम राव मणि3 years ago

    बिल्कुल, शुक्रिया

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    अद्भुत

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया

    कवितालयबद्ध कविता

    बचपन..

    • Edited 3 years ago
    Read Now

    फुर्सत के पलों में जब सोचने बैठी,
    हसीन लम्हे जिंदगी के,कुछ इस कदर याद आए....

    वो बचपन का घर और उससे जुड़ी यादें,
    मुझे ख्वाबों की दुनिया में बहा ले जाएँ।

    वो नीम के पेड़ के नीचे बाबुल की खटिया,
    हम बच्चों
    Read More

    Screenshot_2021-03-14-20-51-22-462_com.google.android.googlequicksearchbox_1615735352.png
    user-image
    Girish Upreti

    Girish Upreti 3 years ago

    बहुत सुंदर

    Bina Chaturvedi

    Bina Chaturvedi 3 years ago

    Bachpan ki yaden hamesha had aati hai .bhut

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    bahot sunder .. Bhavbhini Smratiyan..!

    Shivangi lohomi

    Shivangi lohomi 3 years ago

    Such a sweet poem😍👏👏💕👌👌

    कविताअन्य

    "पुरानी डायरी के बंद पन्ने"

    • Edited 2 years ago
    Read Now

    शीर्षक: "पुरानी डायरी के बन्द पन्ने"

    वो मेरी पुरानी डायरी के बंद पन्ने, आज पलटे तो तुम्हें उसमे पाया
    तुम्हारा एहसास, तुम्हारी खुशबू, तुम्हारा साया..!

    तुम ही तुम थे, फिर... क्या था?? जो मुझे नज़र नही आया..?
    तुम्हारी
    Read More

    Screenshot_20200701-143626_1593594424251_1615730886652_1615732348.jpg
    user-image
    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    अत्यंत सुन्दर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति..!

    Poonam Bagadia3 years ago

    हार्दिक आभार सर...!🙏🏻🙏🏻

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    विलक्षण

    Poonam Bagadia3 years ago

    हार्दिक आभार सर...!🙏🏻🙏🏻

    लेखआलेख

    मेरा दसवीं का परीक्षाफल

    • Edited 3 years ago
    Read Now

    आज एक बहुत पुरानी घटना जो डायरी के पन्नों में लिखी थी आप सभी के साथ साझा कर रही हूं।   
              हर वर्ष जब भी दसवीं और बारहवीं  के परीक्षा परिणाम आते हैं तो कहीं खुशी कहीं गम का माहौल छा जाता है। मुझे
    Read More

    ThinkstockPhotos-178431849_1615731741.jpg
    user-image
    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    वास्तव में. नाम न मिलने से आघात लगा होगा. गनीमत है, आपने उसे उचित प्रकार से सह लिया और प्रतीक्षा की. पहले परिणाम ऐसे ही आते थे. मेरी प्रथम श्रेणी तो आयी लेकिन मार्क्स आशा से कुछ विषय में कम, मैं डबडबायी आंखों से घर आया. 😊रास्ते मेंर'' झील भी पड़ी..! स्कालरशिप भी मिल गयी थी.

    Amrita Pandey3 years ago

    जी, कई बार अधीरता से दुष्परिणाम भी सामने आ जाते हैं लेकिन यह ईश्वर की कृपा रहे कि शायद इस तरह का कोई भी विचार उस वक्त मन में नहीं आया और घर वालों के सहयोग पूर्ण रवैये ने भी शायद काम किया

    कविताअतुकांत कविता

    भूली बिसरी हसीन यादें

    • Edited 3 years ago
    Read Now

    "भूले बिछड़े हसीन यादें"
    =================
    वह भूले बिछड़े हसीन लम्हे
    जीवन में जो अबतक गुजारे

    गांव की खुशबू भरी माटी में
    बीते यादो को नैना अब निहारे

    वह निश्चल सा बचपन की यारी
    सिर्फ गुजर रहा यादों के सहारे

    बचपन
    Read More

    IMG_20210225_183348_1615660578.jpg
    user-image

    कवितालयबद्ध कविता

    भूली बिसरी यादें

    • Edited 3 years ago
    Read Now

    *भूली* *बिसरी* *यादें*

    कुछ कुछ याद आता है,
    कुछ कभी हम भूल जाते हैं।
    भूली बिसरी यादों के सहारे,
    हम सभी जिंदा रहते हैं।

    कभी कांटों की चुभन सी है,
    कभी फूलों की महक सी है।
    भूली बिसरी यादें ही,
    जिंदगी का सहारा
    Read More

    16156593391494465648158807266791_1615659425.jpg
    user-image
    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    खूबसूरत

    Ritu Garg3 years ago

    जी धन्यवाद

    कहानीसामाजिक, प्रेरणादायक

    लौटते कदम

    • Edited 3 years ago
    Read Now

    हवाई जहाज ने जैसे ही उड़ान भरी अपने गंतव्य पर जाने के लिए वैसे ही राहुल का मन भी पहुंच गया  अपने गांव की गलियों में जहाँ खेल कूद और मस्ती में बचपन से कब जवानी की दहलीज पर आ खड़े हो गये थे।जैसे जैसे हवाई
    Read More

    1615611991.jpg
    user-image

    कहानीसंस्मरण

    वह खत....!!

    • Edited 3 years ago
    Read Now

    वह खत (लघुकथा)
    ******************
    मन बड़ा उदास था कई दिनों के निरर्थक भाग दौड़ का आज समापन जो हुआ था वह भी घोर अनिश्चितता के साथ। आज मैने निश्चय कर लिया था अब बस …… कल ही घर वापस चला जाऊंगा , नौकरी ना मिली ना सही ……अब
    Read More

    images_12032021_234902_1615573197.png
    user-image
    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 11 months ago

    बहुत सुन्दर स्रजन..!!

    Kumar Sandeep

    Kumar Sandeep 2 years ago

    संदेशप्रद रचना

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    निर्थक को निरर्थक कर लीजियेगा। 🙂

    कवितालयबद्ध कविता

    पचपन में मन खोजे बचपन

    • Edited 3 years ago
    Read Now

    दबे पाँव आ,
    दस्तक देकर,
    सतरंगी सी यादें लेकर
    चोरी-चोरी, चुपके-चुपके,
    खुद से ही जैसे छुप-छुप के,
    साया सा बन छाता कौन
    मन को यूँ रंग जाता कौन
    पचपन में मन खोजे बचपन,
    कानों में रस घोलता
    एक मुखर सा मौन
    यह आँखमिचोली,
    Read More

    logo.jpeg
    user-image

    कवितालयबद्ध कविता

    भूले-बिसरे चंद लम्हों के हवाले

    • Edited 3 years ago
    Read Now

    यूँ ही बस बैठे ठाले
    करके मन को अनायास ही
    भूले-बिसरे चंद लमहों के हवाले
    यूँ ही बस बैठे ठाले

    वो लमहे कुछ मतवाले
    बडे़ सहज से, फिर भी लगते
    जाने क्यूँ सबसे निराले
    जटिल और बोझिल से
    बंद, घुटते से एक दायरे
    Read More

    logo.jpeg
    user-image
    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    बढ़िया

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    बहुत खूब..!

    लेखआलेख

    भूली बिसरी यादें

    • Edited 3 years ago
    Read Now

    #शब्दाक्षरी प्रतियोगिता
    11--15 मार्च 2021
    *भूली बिसरी यादें*

    यादें ना जाए बीते दिनों की,,, सच ये कभी नहीं जाती। ये बावरा दिल भी उन्हें बार बार बुलाता है। प्रत्येक व्यक्ति के ख़ज़ाने में यादों की एक अनमोल
    Read More

    1615527426.jpg
    user-image
    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    बहुत सुंदर

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    अद्भुत

    Sudhir Kumar

    Sudhir Kumar 3 years ago

    अद्भुत

    Madhu Andhiwal

    Madhu Andhiwal 3 years ago

    सुन्दर

    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    सुन्दर....

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    वाह.. न भूलने वाली स्मृतियाँ.! भांग का नशा वास्तव में बहुत विचित्र होता है. मैं एक दो बार अनजाने में इसका शिकार हो चुका हूं. आपने बहुत अच्छा लिखा है.! 👌🙏

    कहानीसामाजिक

    माई की कत्थई साड़ी

    • Edited 3 years ago
    Read Now

    हवाई जहाज की खिड़की से बाहर सब कुछ धुला हुआ सा लग रहा था। अगर मौका कोई और होता तो शायद मान्यता पचपन की उम्र में भी बच्चों की तरह चहकती हुई, बिना किसी की परवाह किए दिनेश से चिपक कर आसमानी बातें  करना
    Read More

    inbound7238207732981427615_1615449702.jpg
    user-image
    Madhu Andhiwal

    Madhu Andhiwal 3 years ago

    मार्मिक

    Anil Makariya

    Anil Makariya 3 years ago

    बढ़िया लेखन ।

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    अत्यंत भावपूर्ण और ह्रदयस्पर्शी..! बहुत सुन्दर और संवेदनशील लेखन..!

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    अत्यंत भावपूर्ण और ह्रदयस्पर्शी..! बहुत सुन्दर और संवेदनशील लेखन..!

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    मां के प्रेम में पगी बहुत प्यारी कहानी