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"गया"
कविता
"इस बार जो बरसा सावन"
बीते वक्त का एक घाव ज़हन में रह गया है
सच छूट गया कहीं
मुश्किल हो गया
अंतर मिट गया
"मोहोब्बतें"
अरसा हो गया
कहाँ खो गया मेरा प्यार
वो अदीब इकबाल कहीं रह गया
एक जमाना बीत गया
कहाँ खो गया मेरा प्यार
बदला-बदला शहर हो गया
कलम से लगन लगी
मृत्यु और सभ्यता
अलविदा 2020
कारवाँ गुज़र गया
लो आ गया बसंत
एक संवेदना
वैलेंटाइन याद रह गया उनको याद करेगा कौन
दिल टूट गया।
कारवाँ गुज़र गया
जीवित श्मशान
अधूरा सा प्यार था।।
कारवां गुजर गया
इस तरह मैं जीना सीख गया
क्या करूँ, बीच में नेहरू आ गया
विगत साल
खो गया है मेरा प्यार
मेरे ही घर में पूछ के लाया गया मुझे
मैं हो गया फ़कीर बशर
सुकून वोह बशर मिल गया इक फ़क़ीरी से
बशर ज़ेरे-ए-असर आकर दामने-कोह के सहन में बस गया
अच्छा-खासा वक़्त हमारा बशर जहाँ से गुज़र गया
मुकाम भी अपना बिना बताए हुए चला गया
टूट गया अभिमान चांद का
छोड़ गया है मुझे
कोई और काम आ गया है
*कुछ गीला पड़ गया है*
*फ़साना याद रह गया*
*उस्ताद से बड़ा चेला हो गया है*
बेटी की बिदाई के वक़्त पिता द्वारा बेटी को दिया गया वक्तव्य
*नज़रें उसने घुमालीं दिल हमारा बैठगया*
एक और साल गया
वक़्त हाथ से फिसल गया
एक और बरस हयात से चला गया
सुनते हैं कि साल बदल गया है
सुख़न कहने से रह गया
सहन वीरान हो गया
खुद से बशर बेगाना होता चला गया
मतपूछ मकाँ किधरगया मकीं किधर गए
वो भी कुछ मग़रूर था
आज पुराना ख़त मिल गया...
कहाँ गया आदमी
सफ़र मुक़म्मल कर गया सागरमें समाकर
खो सा गया 😇😇
हिज्र-ओ-विसाल का सिलसिला रह गया
बेटी के घर लाया गया है
रंग लगाकर नहीं गया
कहां गया हबीब मिरा
अदीब हो गया है
सफ़र का हो गया
लहरों को पार वो कर गया
बदल गया है जमाना हमारा
परेशान कर गया 💔🥀
बूढा हो गया होता अगर मां का सर पर हाथ नहीं होता
वो चला गया
बेमानी होने लगता है बारबार सुना गया भी
भूल गया है नाम मिरा
मन मेरा ऐसे ही बरबस बिहंस गया........
धोखे खाने का आदि जो हो गया है
ख़्वाब था कि आंख खुलते ही बिखर गया
तू देख, मेरा कृष्णा आ गया!
अपने हासिल को ही खोता गया
कानों में घोला गया ज़हर ला-'इलाज है
मैं मर सा गया हूँ
बस गया है एक उसी का नाम
मैं जल्द ही समझदार हो गया
पता ही नहीं चला कब आगया बुढापा जवानी से
जीने लगा तो बशर मर गया
रहगुज़र ही में बशर गुज़र गया
जीतीहुई बाजी कोभी हमें हार जाना आ गया
खाना-पीना सब हराम हो गया
बज़्म-ए-सुख़न सूनी कर गया
मज़हब ही में मज़हब हो गया है
आ गया मौसम बहार का
फ़साना तौहीने-वफ़ा का सुनाना क्या बाक़ी रह गया
इस जहाँसे आगे जहाँ औरभी है
वो देखने की कोशिश नहीं की जो उससे छुपाया गया है
बुरे का ख़्याल गुजर गया
क्या उम्मत का हाल बदल गया
जमानेभर के अमीरों का पीर हो गया
तुम्हारी दुनिया से निकलकर ही चला गया
वक़्त बुरा लगना अब शुरू हो गया
बनगया ग़मकी वो दवा मुझमें
हमको हमारा खुदा मिल गया है
कहानी
बरसात की लास्ट लोकल (भाग - 1)
रस्सी जल गई पर बल नहीं गया
सब पर पानी फिर गया
सब पर पानी फिर गया
खो गया मेरा प्यार
तक़दीर की बात
तक़दीर की बात
औरत बनकर मन भर गया
क्या से क्या हो गया
कारवां गुजर गया
एहसासों की तस्वीर
चाँद छुट्टी पर चला गया
सच्ची तस्वीर
हार जीत
" रैम्बो बन गया रामादीन "
खो गया मेरा प्यार
खो गया है मेरा प्यार
"वह मुझको छोड़ गया मां" 🌺🌺
असरदार मॉर्निंग वॉक
और वो एक कम्पनी का “COO” बन गया.
लेख
काँटो के बीहड़ में कुछ महकते गुलाब
गुनाह हो गया है, इज़हार करना..
कारवाँ गुज़र गया
और प्रमाण मिल गया
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