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"दर्द"
कविता
सुनो एक बात कहता हूं (भाग - 2)
अनकहा दर्द
जब कलम चलती है
ज़िंदगी
दर्द
"ज़िन्दगी के पल"
हाँ, वो प्यार करती है
माँ की आँखों के तारों
दिले अहसास हमारे
मैं सिमटकर रहूंगा कब तक
जब कोई धोखा देता है
हाथों में आ जाती है कलम
प्रेम
करुण अन्त
सड़क का दर्द
ज़ख्म
दिल का दर्द
दिल दर्द से भर जाता है
आंसू
क्या कहें
मेरे अन्दर मैं कैद हूं
चलो आज फिर.....
कोरोना का दर्द
२०२० तुमसे कोई शिकायत नहीं
मखमली आँचल
कविता
दर्द छुपाता रहा.....
चेहरा
दर्द
वृद्ध
अपना अपना दर्द
रात के आकाश में जागता एक चांद
सड़क का दर्द
भारत देश और इंसान
अकेले हम
दवा देनेवाले ने दर्द और बढ़ा दिया
सड़क का दर्द
हैं कोई बात
जुदा तन्हा रात
खोने का दर्द
"आहट"
हालात बदल देंगे
यदि उसे नजरों से गिराया नहीं होता
तुम क्या जानो तुम मेरे लिए क्या हो।
मैं हो गया फ़कीर बशर
दर्द किसानों के वो क्या जाने
मजा तो दर्दे-जिगर छिपाने में होता है
साहिल पे उफ़ान आता है
प्रेम या दर्द
"दर्द की जीती-जागती मिसाल"
दर्द की दर्द से शिफा किए बैठे हैं हम
नुक़ूश-ए-दर्द अपने छोड़ चला
वो इल्मो-हुनर हमें नहीं आता दर्दे-जिगर जिससे बांटें
दर्द जिगर में होता है
दर्द -ए -जिगर नाकाम न हो जाए
कहनेको अश्आर नहीं है
जिंदा होने का अहसास हुआ
प्यार
वफ़ा करने वाला तन्हा क्यूँ है
बेटा उसके लिए फ़रिश्ता है
खुशियों को दरकिनार न कर
सुकून का सबब बनो
किसीकी शाम -ए -तरब बनो
दर्द में भी मुस्कराया करो
सभी दौलते-दर्द से मालामाल हैं
मैं अश्क पे अश्क बहता रहा
उम्र हुई तमाम दर्दे -दिल को समझाने में
नेकी क़बूल हो गई है खुदा के घर
अपनी भी किसीको ख़बर हो
दर्द ए दिल मिला कि अश्क ए चश्म मिला ग़म ए हयात मुझे तुमसे मेरे हमदम मिला
चेहरे पे लगाते हैं चेहरे
ग़मख़्वार होना चाहिए
खेल-ए-सफ़र-ए-हयात
नाकाम मोहब्बत 🥹
दर्दे-इश्क़ का असर
अनकही दर्द की दास्तान
अपना हमदर्द समझते हैं
दर्दे-दिल ने बड़ा आघात भी सहा है
किन्नर – एक अनकहा सच
कहानी
असीमित खरोचें
"झूठ का दर्द"
बुढ़ापे का दर्द
बुढ़ापे का दर्द
अलविदा
कर्ण का दर्द
कसक
"कोरोना के दर्द"
जिन्दगी का दर्दीला पन्ना
एक नए सवेरे की किताब ( एक ज़िद्द एक जीत )
लेख
मर्द
दर्द...
किसान के बिना हम कुछ भी नहीं
दिल का दर्द
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