कविताछंद
आंसू
दिल में गर दर्द हो छलक जाते हैं आंसू
थमते नहीं लाख कोशिश करो हर सू ।
ये आंसू ही तो इंसान की पहचान हैं
जानवर लाख चाहे बहा नहीं सकता आंसू ।
कहते हैं गैर के दर्द से भी आते हैं आंसू
तकिए में मुंह छिपाकर भी कहां रुकते हैं आंसू ।
पूछा जो सबब उनसे हंस कर वे बोले
प्याज तेज़ था तभी भर आए हैं आंख में आंसू ।
चोट लगी दिल पर , बरसती हैं आंखें
ये अजब रिश्ता है,जुबां खामोश है ,थमते नहीं आंसू ।
मौलिक
गीता परिहार
अयोध्या ( फैजाबाद)
आंसू न होते तो इन्सान पत्थर का हो जाता
जी,बेशक