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आंसू - Gita Parihar (Sahitya Arpan)

कविताछंद

आंसू

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  • 3 Min Read

आंसू

दिल में गर दर्द हो छलक जाते हैं आंसू
थमते नहीं लाख कोशिश करो हर सू ।

ये आंसू ही तो इंसान की पहचान हैं
जानवर लाख चाहे बहा नहीं सकता आंसू ।

कहते हैं गैर के दर्द से भी आते हैं आंसू
तकिए में मुंह छिपाकर भी कहां रुकते हैं आंसू ।

पूछा जो सबब उनसे हंस कर वे बोले
प्याज तेज़ था तभी भर आए हैं आंख में आंसू ।

चोट लगी दिल पर , बरसती हैं आंखें
ये अजब रिश्ता है,जुबां खामोश है ,थमते नहीं आंसू ।
मौलिक
गीता परिहार
अयोध्या ( फैजाबाद)

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Priyanka Tripathi

Priyanka Tripathi 3 years ago

आंसू न होते तो इन्सान पत्थर का हो जाता

Gita Parihar3 years ago

जी,बेशक

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