Login
Login
Login
Or
Create Account
l
Forgot Password?
Trending
Writers
Latest Posts
Competitions
Magazines
Start Writing
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
Searching
"जाना"
कविता
कवि हो जाना
मेरे घर भी आ जाना
व्याकुल मन
तुम्हारे आंगन की तुलसी हो जाना चाहती हूँ
सजाएं हर दिवसवार
सब याद रखा जाएगा
अधूरी दास्तान
दौरे जिंदगी
अवधान
जहां तक उम्मीद है
बेटी की पाँती पापा को
भूल ना जाना
साथी हाथ बढ़ाना
मेरे चांद
वो अजनबी
तुम याद आते
बचपन -एक जमाना
कहाँ गए वो बचपन के दिन
बचपन -एक जमाना
दूर है
"रिमझिम सावन की बूंदे..."
Mera bharam
दूर ना जाना
कोई तो खास है
मैं कुड़ी हरिद्वार की
कोरोना बोलो तुम्हे कब है जाना
मेरे घर आना जिंदगी
थपकी
लौ का अंत
कहीं खो जाना है
पुराने दोस्त याद आएं
उससे मिलने की खुशी मत पूछो
मेरे घर आना जिंदगी
मिट्टी की तरह
खाली हाथ जाना है
इन चरागों को तो बशर बुझ ही जाना था
आकर देख कभी क़रीब मेरे
*इन्सान का बस आना जाना रहता है*
सबका अपना ज़माना होता है
पनघट पे
अनुसंधान
वस्ल-मुलाक़ात के तहज़ीब को न भूल जाना
मुतमईन हो जाना होगा आसान
तुम्हारा येह जमाना नहीं है
स्कूली एग्जाम
मकीं अन्जाना
मिट्टी का मिट्टी में मिल जाना ना समझे
तुम बन जाना मेरी होली
वह शख्स अनजाना सा
किसी का होकर आने से,तेरा जाना लगा अच्छा
खुदको जाना बना कलंदर है
ख़्वाहिशों के रस्तों से उफ़क तक जाना है
फ़जूल हुआ स्कूल जाना
माशूक रब नज़र आने लगे
बूंद बनकर सागर में समा जाना
किसीको सहना अलग बात है
वापस घर लौट कर भी जाना है
दफ़्तर दफ़्तर आना-जाना माथा थाम लेना
कोशिश करना ही मायने रखता है
जिंदगी के सफ़र में बशर वापस जाना है
हर हालात में चलते जाना
जीतीहुई बाजी कोभी हमें हार जाना आ गया
रंजीदा हर शख़्स के सूरते-हाल पर संजीदा हो जाना हरदम उनका
मै भी किसीको याद आना चाहता हूँ
किसीको याद आना चाहता हूँ
कहानी
आखिरी मुलाक़ात
पापों का हर्जाना
पापों का हर्जाना
लेख
पता है
Edit Comment
×
Modal body..