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Start Date 26-Jan-21
End Date 27-Jan-21
Writer | Rank | Certificate |
---|---|---|
Vijayanand Singh | Certificate | |
Sarla Mehta | Certificate | |
Sapna Vyas | Certificate |
Competition Information/Details
सभी साहित्यिक स्वजनों को नमस्कार..!
आज हम सभी एक स्वतंत्र देश के स्वतंत्र नागरिक है जिसका हमे अत्यंत गर्व महसूस होता है।
हम आज जो ये आज़ादी की सांसें ले रहे है उसका श्रेय देश के उन वीर सपूतों को जाता है जिन्होंने खुशी-खुशी देश के लिये जान दे कर हमें स्वतंत्र जीवन दिया। ऐसे वीर कभी मरा नही करते युगों युगांतर तक अमर हो जाते हैं।
क्यों ना आज हम सभी देश के प्रति अपनी भावनाओं को लेखन के द्वारा प्रज्ज्वलित कर, देश के अमर शहीदों के नाम एक दीया रोशन कर अपनी सलामी दें..!
जुड़ें हमारी प्रतियोगिता "एक दीया शहीदों के नाम" से..!
लेखन सम्बंधित विस्तृत जानकारी इस प्रकार है..
दिनाँक - 26 जनवरी से 27 जनवरी2021
विषय - एक दीया शहीदों के नाम
विधा - मुक्त (किसी भी विधा मे)
लेखन से सम्बंधित महत्पूर्ण नियम :-
1. अधिकतम सिर्फ 2 रचना ही मान्य रहेंगी
2. रचनाएं विषयानुसार ही लिखे.. धार्मिक राजनैतिक भावनाओं को आहत करने वाली रचना न हो।
3. यदि रचना लम्बी है तो आप उसे भाग में विभाजित कर डाल सकते है।
4. वेबसाइट पर पोस्ट करने के उपरांत अपनी रचना या उसका लिंक सोशल मीडिया पर साझा कर सकते हैं।
5. रचना पोस्ट करने के लिए एडिटिंग ऑप्शन में कॉम्पिटिशन का चुनाव करना न भूले।
6. रचना के साथ चित्र कोई भी सलंग्न अवश्य करें।
आप सबकी रचनाओं का स्वागत एवं इन्तज़ार रहेगा...
सार्थक लेखन हेतु अग्रिम शुभकामनाएं....
जय हिंद!
भूमिका संयोजन
पूनम बागड़िया
धन्यवाद
साहित्य अर्पण कार्यकारिणी।
कवितालयबद्ध कविता
# प्रतियोगिता
एक दिया शहीदों के नाम
शहीदों की याद में आओ ,
हम सब एक दिया जलाएं ।
उनकी यादों को चिंगारी बनाये,
देशभक्ति की हम मशाल जलाये।
आओ गणतंत्र दिवस मनाये।
कुछ पुष्प हम उनपर चढ़ाये,
उन्हें आगे
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कवितालयबद्ध कविता
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"भारत माता की संतान"
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भारत माता की संतान है,
मां को ना झुकने देंगे हम।
हो जाएं शहीद तो क्या,
मरने का ना होगा गम।
भारत भूमि सदियों से
बलिदानों की गाथा कहती है।
वीरों की भूमि है ये,
हर
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कवितालयबद्ध कविता
शीर्षक-जनवरी 26 सन् 21
जब वर्ष 49 की जनवरी आई
गणतंत्र का गहना लाई
अनघ दिये इसने अधिकार
नव ऊर्जा का हुआ संचार
राह में जितने थे गतिरोध
पुराचीन दुर्लभ प्रतिरोध
शमन हुआ और निकला शोध
बढें निरंतर बिन अवरोध
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कवितालयबद्ध कविता
बाजुएँ फैलाये अपनी, देख ये कौन चलें हैं।
बदन पे तिरंगा लपेटे जिनके लहु बहें हैं।
शान में वतन की जो जान गँवा रहे।
भूलाकर गाँव अपना वो वतन बचा रहे।
क्या बेटी, क्या बेटा, क्या जात, क्या विजात
सब धूमिल
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कविताअतुकांत कविता
तो देश होता है
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जब दुरभिसंधि में
बुरी तरह घिरा अभिनंदन
अपने प्रबल रण-कौशल से
दुश्मनों के चक्रव्यूह को तोड़कर
अपनी मातृभूमि को चूमता है
तो देश होता है।
जब हड्डियों तक को
गला देने वाली ठंड
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बेहतरीन.. भावपूर्ण शानदार सृजन
धन्यवाद
कविताअतुकांत कविता
एक दीया जलाना है
शहीदों की कब्र पर
हँसते हँसते झेल गए
दुश्मन के वार को
पर मातृभूमि पर आँच न आने दी
एक दीया जलाना है
उस माटी पर
नौनिहालों के जन्म का सुख जिसने पाया
उनकी खिलखिलाहटों से उर्वर हुई
एक
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कविताअतुकांत कविता
शीर्षक- देश मेरा महान है
हर जन गाता जहाँ जन-गण-मन का गान है,
देशों में देश निराला मेरा भारत देश महान है।
वीर सपूतों की कर्मस्थली यह, देशप्रेम में बसते जिनके प्राण हैं,
प्रहरी बन खड़े सरहदों जो वीर
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कवितालयबद्ध कविता
बैठ कर सब कुछ देख रहा हूँ मैं,
उभरते भारत की राजनीति से ख़ुद को समेट रहा हूँ मैं,
धर्मनिरपेक्षता,
लोकतांत्रिका का समर्थन लेखा हूँ मैं,
हाँ,
एक सितारे की तरह भविष्य के चाँद का चहेता हूँ मैं,
फिर,
क्यों
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कविताअतुकांत कविता
# एक दीया शहीदों के नाम जलाएँ
27,1,21
इक दीया जलाएँ
चल दिए थे कफ़न बांधे
बन्दूक वो काँधे उठाए
माँ भारती के नाम का
विजय टीका है लगाए
आओ उनकी याद में हम
इक दीया क्यूँ ना जलाएँ
शत शत नमन रण बांकुरों को,,,,
दुलारा
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कविताअतुकांत कविता
# एक दीया शहीदों के नाम
26,1,21
प्रतियोगिता
सौगात तिरंगे की
सरहदों के पहरेदारों
हिन्द के ओ सूरमाओं
सौप कर हमको तिरंगा
वो सितारे बन गए हैं
केसरी बाना पहनकर
कफ़न अपना ही सजाए
माँ बहन और सजनी मिलके
विजय
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कविताअतुकांत कविता, अन्य
खूंटी पर टंगी वर्दियां
डोल रही हैं हौले हौले
खूंटी पर टंगी वर्दियां
मद्धिम सी हवाएं
भर रही हैं उनमें प्राण
कि लग रही है चैतन्य ,
हैं सजने को आतुर
फिर उन बांकुरों के तन पर
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कविताअतुकांत कविता
शहीद सैनिक का शव जब पहुंचता है
गाँव में, तब गाँव भी रोने लगता है
माँ धरती भी खूब आँसू बहाती है
आसमां की पलकें भी भींग जाती है
हवाएं भी मन ही मन खूब रोती हैं।।
शहीद सैनिक का शव जब पहुंचता है
मीलों की
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कविताअतुकांत कविता
ज़िंदगी में तनिक मुश्किल
आ जाने पर, हम खो देते हैं धैर्य
ख़ुद को असहाय, बेबस समझने लगते हैं
ख़ुद को पूर्णतः टूटे हुए समझते हैं
फिर, किस तरह संभालते हैं सैनिक, ख़ुद को
प्रतिकूल परिस्थिति में
कपकपाती ठंड
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कविताअन्य
एक दीया शहिदों के नाम
उनकी कुर्बानी के नाम, उनकी शहादत के नाम
उन वीरों के नाम जिनका बलिदान स्वतंत्रता का रूप ले आया था,
उन जांबाजो के नाम जिनकी जांबाजी ने सन् 48, 65, 71और 99 में तिरंगा लहराया था,
एक दीया
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कविताअतुकांत कविता
एक दिया आज शहीदो के नाम जलाना है
जिसने देश के लिए अपने प्राण न्योछावर किया
उनको कभी नही भुलाना है
आये देश पर विपत्ति तो
सर कटवाने से नही डरते
ऐसे वीरो के नाम आज दिया जलाना है
उनको अपने दिल मे बसाना
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