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Sahitya Arpan Competition - होली है।
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होली है।

Competition Stats

  • #Entries 7

  • #Likes 11

  • Start Date 28-Mar-21

  • End Date 29-Mar-21

  • Competition Information/Details

    होली आई रे कन्हाई रंग बरसे
    सुना दे जरा बाँसुरी।

    होली के दिन दिल खिल जाते हैं
    रंगों में रंग मिल जाते हैं।

    और

    होली खेले रघुवीरा अवध में
    होली खेले रघुवीरा।

    हुआ न मन होली के रंग में रंगीन तो देर किस बात की जल्दी से रंग दीजिये पटल को होली के रंगों में। आप सभी की रचनाओं का बेसब्री से इंतज़ार है।

    कहानीलघुकथा

    मासूम बचपन

    • Edited 3 years ago
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    सात-साल का वैभव,अपनी माँ की रंगहीन ज़िंदगी देख,मन ही मन घुटता रहता था।कभी ताई की साड़ी,तो कभी दादी की बिंदी ला माँ से पहनने की जिद्द करता।शब्द कम थे,पर उसकी तकलीफ,उसकी हरकतों से महसूस होती।पिता को
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    Bina Chaturvedi

    Bina Chaturvedi 3 years ago

    बहुत ही खूबसूरत रचना👌❤️

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत सुंदर अनगिनत भावना लिए रचना। वाकई खुशियों पर सभी का अधिकार है।

    Girish Upreti

    Girish Upreti 3 years ago

    एक बच्चे की भावनाओं और उसके द्वारा लिए गए निर्णय का मार्मिक चित्रण।

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    बढ़िया। पूर्णविराम के बाद स्पेस दे कर अगला वाक्य शुरू करें

    Meeta Joshi3 years ago

    जी अंकिता जी।सलाह के लिए धन्यवाद।आगे से ध्यान रखूँगी।असल में 100 शब्द व 75 words की stories में comma और पूर्णविराम से चिपके शब्द अलग से counting में नहीं आते वहीं से ये आदत पड़ गई है।अबसे ध्यान रखूँगी।

    कवितागीत

    मतवाले होली के *

    • Edited 3 years ago
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    होली आयी री सांवरी रंग भर के
    आ जा मस्ती में झूमे गायें - २
    फागुन फिर से आया - आ हा
    रंगीली होली लाया - आ हा
    सबका जी हरषाये - हाँ जी
    अब तो रहा ना जाए - हाँ जी
    होली आयी ओ सांवरी रंग भर के
    आ भर लें अपनी
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    Meeta Joshi

    Meeta Joshi 3 years ago

    बहुत खूब

    Pallavi Rani3 years ago

    हार्दिक आभार 🙏😊

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत प्यारी सी रचना। 👌🏻

    Pallavi Rani3 years ago

    हार्दिक आभार 🙏😊🌹

    Meeta Joshi

    Meeta Joshi 3 years ago

    वाह!👍

    Pallavi Rani3 years ago

    हार्दिक आभार 🙏😊🌹

    लेखअन्य

    ज़िन्दगी एक रंगमंच

    • Edited 3 years ago
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    ज़िन्दगी एक रंगमंच है जहाँ हर कोई अपने किरदार की अदाकारी से तालियों की गड़गड़ाहट को कमाना चाह रहा है, और इस रंगमंच में रंग का उतना ही महत्व ही जितना कि एक विवाहित स्त्री के माथे पर सिंदूर.....अगर ये रंग
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बिल्कुल बेहतरीन तरीके से समझाया है आपने आपका यह लेख गौरतलब है और आज के समय में सभी को पढना चाहिये।

    Gaurav Shukla3 years ago

    शुक्रिया मैंम आपका

    Meeta Joshi

    Meeta Joshi 3 years ago

    सही कहा आपने ज़िन्दगी एक रंगमंच ही तो है।जितनी ज्यादा तालियां आपकी उतना आपका पक्ष मजबूत

    Gaurav Shukla3 years ago

    आभार🙏

    कवितालयबद्ध कविता

    "एक रंग प्रीत का रंग दे मुझे"

    • Edited 3 years ago
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    शीर्षक : "एक रंग प्रीत का रंग दे मुझे"

    एक रंग प्रीत का रंग दे मुझे
    हो जाऊँ, मैं भी तुझ जैसी।

    तू नटखट कान्हा, कृष्ण- कन्हैया
    मैं नार, तनिक शर्मीली सी।।

    खेल प्रीत की, मुझ संग होली
    चला नयन, पिचकारी सी।

    एक
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    Meeta Joshi

    Meeta Joshi 3 years ago

    सुंदर शब्द संयोजन पूनम जी

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत सुंदर 👌🏻

    Anujeet Iqbal

    Anujeet Iqbal 3 years ago

    उत्तम

    कवितागीत

    होली विरह गीत

    • Edited 3 years ago
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    मुक्तक
    _________
    जलाओ द्वेष की होली, बनाओ यार होली में।
    नहीं करना किसी से भी कहीं तकरार होती में।
    जमाना हो भले कैसा, बहाओ नेह की दरिया-
    चलो सबसे जरा कर लें अजि अब प्यार होली में।।

    #होली_विरह_गीत
    _______________________________________

    होलिका
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    Meeta Joshi

    Meeta Joshi 3 years ago

    बहुत खूब

    पं. संजीव शुक्ल 'सचिन'3 years ago

    सहृदय आभार

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत प्यारा सा गीत है संजीव जी 👌🏻

    पं. संजीव शुक्ल 'सचिन'3 years ago

    सादर अभिवादन सहित नमन आदरणीया

    Anujeet Iqbal

    Anujeet Iqbal 3 years ago

    बढ़िया

    पं. संजीव शुक्ल 'सचिन'3 years ago

    सहृदय आभार

    कहानीसामाजिक, लघुकथा, बाल कहानी

    कान्हा जी की छठ्ठी

    • Edited 3 years ago
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    कान्हा जी की छठ्ठी
    "मां,इस बार हम बुआ के घर की कान्हा की छठी की धूमधाम नहीं देख पाएंगे,न ?" नन्हें कौस्तुभ ने मृणालिनी का आंचल खिंचते हुए पूछा।
    मृणालिनी भी कल से यही सोच- सोच कर उदास थी। अपने घर मना
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    सकारात्मक सोच

    Gita Parihar3 years ago

    हार्दिक धन्यवाद

    Meeta Joshi

    Meeta Joshi 3 years ago

    रोचक

    Gita Parihar3 years ago

    धन्यवाद

    Anujeet Iqbal

    Anujeet Iqbal 3 years ago

    सुंदर

    Gita Parihar3 years ago

    धन्यवाद

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    सुन्दर निर्णय..!

    Gita Parihar3 years ago

    हार्दिक आभार

    Gita Parihar3 years ago

    धन्यवाद

    लेखआलेख

    गप्प बरसें, भीगे रे बंगाली

    • Edited 3 years ago
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    ( बुरा मत मानो होली है )

    यश चोपड़ा की फिल्म " सिलसिला " जब आयी थी तब मेरी आयु उतनी ही थी जितनी हमारे इस कालजयी आंदोलनजीवी सत्याग्रही की तब थी जब उन्होंने इस फिल्म का मौलिक संस्करण बनाकर जनमन को मुक्तिवाहिनी
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    Anujeet Iqbal

    Anujeet Iqbal 3 years ago

    🙏👌👌