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"क्यों"
कविता
तारों को आंचल तक आना होगा
कोई दिल में जब उतरता है
उदासी
क्यों
कन्यादान क्यों
धुंधलापन ------------------------ इस रात के घने अंधेरे में मैं देखना चाहता हूँ चारों ओर इस दुनियाँ का रंग रूप पर कुछ दिखता नहीं पर मन में एक रोशनी सी दिखती है | बस हर तरफ से नजरें हारकर बस उसकी तरफ मुड़ जाती है दिखती है वह दूर से आती हुई पर उस
क्यों लगता है मैं बहू से बेटी ना बन पाई
क्यों पढ़ूँ अखबार
हां मै एक औरत हूँ
जिंदगी तुम इतनी दूर क्यों हो
क्यों खुद को पढ़ना भूल जाते हो
तुम क्यों शोक मनाते हो?
क्यों न मिलकर सुख दुःख बाटें
हां मै एक औरत हूँ
पानी पर चलता है क्यों
मन रे क्यों
आओ मेरे जीवन साथी
बहरी क्यों सरकार आज है
मन रे क्यों
मन क्यों बहके रे बहके
क्यों चुप बैठो हो परमपिता ?
नया vs पुराना
न्याय इतनी दूर क्यों ?
न्याय इतनी दूर क्यों ?
क्योंकि मैं खास हूं
क्यों सत अंतस दृश्य नहीं?
गीत.. मुरझाने से क्यों घबराना
मन में क्यों भरा रहे घमंड
Khass chitti
ज्यादातर बेबात सोचते हैं
मेरा नाम नही 🥵
हालातों से मजबूर
क्यों छिप जाता,
अब इन दिनों को क्योंकर गुजारें
बातचीत क्यों नहीं करते
क्यों न खुद को तुम में बुन लूं मैं
कहानी
स्वच्छता अभियान
क्योंकि लड़के रोते नहीं
ऐसा क्यों ???
छोटी सी खुशी
Naak Kat Jaayegi
मेरी जिद
अजनबी भाषा में भी अपनी सी मुस्कुराहट
अजनबी भाषा में भी अपनी सी मुस्कुराहट
लेख
#Stage of life and #experiences
तेरी साड़ी सफ़ेद क्यों ?
आखिर आप कर सकते हैं तो हम क्यों नही।
दहेज रूपी दानव
" पत्नी वामांगी क्यों कहलाती है " 💐💐
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