कवितालयबद्ध कविता
निशा पूछती है मुझसे
ये अँखियों में पानी क्यों रहता है
तेरा चेहरा भी मुरझाया क्यों रहता है
मैं बोलती हूँ मुझे जिसकी जरूरत है सबसे ज्यादा
इन आँखों में उसी का पहरा रहता है
सुबह होती है तो चेहरा खिल उठता है सोचकर कि वो आएगा
शाम होते होते आशाओं का दीप डगमगाया रहता है
इसीलिए मेरा चेहरा मुरझाया रहता है
-नेहा शर्मा