Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
क्यों - नेहा शर्मा (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

क्यों

  • 97
  • 4 Min Read

लिखते लिखते कलम रुक क्यों जाती है।
क्यों अनायास ही उदासी मन को घेर लेती है।
क्यों तरस जाती है। मन की धरती चाहत की बूंदों के लिए।
क्यों बात करने से पहले होंठ सिल जाते है।
आखिर क्यों है इतनी कशमकश जिंन्दगी से।
हर काम अधूरा क्यों लगता है।
क्यों लगता है जी रहे है बस बिना किसी वजह के।
या मर चुके है ख्यालों में अपने बस बेवजह
अल्फाजों को अंधेरे में डाल क्या अकेले होना सही है
बस इन्ही प्रश्नों में उलझ कर रह गया है मेरा मैं।
या मेरा मौन है जो पूछता है मुझसे।
क्या बोलना गुनाह है या बेड़ियां तोड़ना गुनाह है।
या बोलकर सच किसी को अपना मान उससे दूर होना।
सच हाहा हां यही सुनना कौन चाहता है।
तुम या तुम चलो जाने दो। नकाब को नकाब रहने दो।
वरना न जाने कितने काले दिल निकल आएंगे जिस्म से बाहर।
फिर से अंधेरा फैलाने। - नेहा शर्मा

images---2020-03-04T232102.016_1597674989.jpeg
user-image
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
तन्हाई
logo.jpeg