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"कुँवारी कन्या माँ" - Poonam Bagadia (Sahitya Arpan)

कहानीसामाजिकप्रेरणादायकलघुकथा

"कुँवारी कन्या माँ"

  • 437
  • 15 Min Read

शीर्षक: "कुँवारी कन्या माँ"

यूँ तो मंदिर में हमेशा रौनक होती थी परन्तु अब नवरात्रों की चहल पहल विशेष देखते ही बनती है हर कोई माता की आराधना में लीन अपनी श्रद्धा और भक्ति को माता के जयजयकार से दर्शा रहा था...!
वही मंदिर के बाहर दीवार से सट कर बैठी लगभग तेरह चौदह वर्ष की वो नाबालिग लड़की जो अपने मैले कुचेले तन को ढाँपने में असमर्थ अपने फटें वस्त्रों को मानो अपने जर्जर आँचल से पूर्णतया लपेट कर उसे संभाले हताश भरी दृष्टि बारीबारी सभी पर डाल रही थी..!
उसके समीप जमीन पर तकरीबन एक छः माह का शिशु दुनियादारी से बेख़बर मक्खियों की भिनभिनाहट के बीच अपनी प्यारी नींद में सोया था..और वही पास में एक बुढ़िया बैठी थी जो आने जाने वालों के सामने अपने हाथ फैला कर बार बार भीख में कुछ देनें का इशारा कर रही थी।

तभी मंदिर के पास एक आलीशान गाड़ी आकर रुकी..! उसमे से एक बेहद खूबसूरत आकर्षित नवविवाहित जोड़े ने उतर कर मंदिर की ओर प्रवेश किया उनके पीछे पीछे एक अधेड़ उम्र की महिला उस गाड़ी से उतर कर अपने ड्राइवर को सामान उठा कर पीछे चलने की हिदायतें देती हुई मंदिर में प्रविष्ट कर गई..!

पूजा समाप्त कर कुछ समय पश्चात वो लोग कन्या पूजन हेतु वहाँ उपस्थित कुँवारी कन्याओं को एकजुट करने में लगे थे!

साक्षी तुम कन्या माताओं के पैर पूजन करो.. और कुणाल तुम उन्हें माता की लाल चुनरी ओढ़ाओ..!
उस अधेड़ उम्र की महिला ने अपनी नवविवाहित बहु और बेटे को आदेश दिया..!
"जी..!" अपना सर हिला कर
दोनो आज्ञाकारी बालकों की भांति अपने अपने कार्य मे जुट गये!
एक एक कर सभी कुँवारी कन्याओं के पैर धो कर, साक्षी और कुणाल ने चुनरी ओढ़ाई, उन्हें प्रसाद स्वरूप कुछ फल, हलवा पूरी के साथ कुछ धन राशि उनके हाथ पर रख दी..।
"अरे...!"
ये तो आठ ही है.. नौ कुँवारी कन्या माता होनी चाहिये ..!
कह कर उस महिला ने परेशानी से इधर उधर देखा..!

इस कन्या भ्रूण हत्या जैसे अपराध के कारण अब कन्या माता के दर्शन भी दुर्लभ होने लगे हैं ..!
साक्षी मन ही मन बुदबुदाई।

"साक्षी आओ..! कह कर कुणाल दीवार से सटी बैठी उस लड़की की ओर बढ़ गया।
महिला के चेहरे पर भी संतोष जनक एक मुस्कान दिखाई देने लगी, अपनी नौवी कुँवारी कन्या को पा कर..!

साक्षी ने उस लड़की के पैर धोये और कुणाल ने चुनरी उस लड़की के सर पर फैला कर रख दी..!
चुनरी पा कर उस लड़की के हताश भरी आँखों मे खुशी की चमक दिखाई देने लगी..!
"साक्षी गुड़िया के लिए प्रसाद दो..!
कह कर कुणाल ने साक्षी की ओर अपने दोनों हाथ बढ़ाये।
"प्रसाद तो खत्म हो गया....!ठहरो.. मंगाती हूँ..! कह कर साक्षी ने ड्राइवर को इशारे से गाड़ी में रखा प्रसाद लाने को कहा।
इस बीच लड़की के पास सोया वो छः माह का शिशु भूख से बिलखते हुए, जाग कर रोने लगा।
उस लड़की ने तत्क्षण ही उस शिशु को उठा कर वत्सलता से भरे अपने वक्ष से चिपका लिया और दुलार करती हुई दीवार की तरफ मुँह फेर कर अपने अविकसित स्तनों से शिशु को स्तनपान कराने की कोशिश करने लगी..!

"ये कुँवारी कन्या माता नही है..?
अनायास ही उस महिला के मुखमंडल पर कुँवारी कन्या माता के पवित्र भाव बदल कर उस लड़की के प्रति कुँवारी माँ जैसे घृणित भाव चेहरे पर प्रकट हुये।

इस कुँवारी कन्या को.. माता बनने का सौभाग्य प्रदान करने वाले आप जैसे ही अमीर आदमी है..!
जब चाहे आप कुँवारी कन्या को माता बना कर पूजते हो और... जब मन करें उसे कुँवारी कन्या माँ बना कर छोड़ देते हो..!
इतना कह कर उसके पास बैठी बुढ़िया फफककर रो पड़ी..!

©️ पूनम बागड़िया "पुनीत"
(नई दिल्ली)
स्वरचित मौलिक रचना

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Rahul Sharma

Rahul Sharma 3 years ago

मार्मिक

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

चैतन्यपूर्ण

Bnl Das

Bnl Das 3 years ago

पटकथा का सृजन बखूबी किया गया है जो दिमाग में स्थान बनाने में सफल हुआ। बढियां प्रस्तुतिकरण।

Poonam Bagadia3 years ago

सादर आभार सर जी..!??

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

मार्मिक

Poonam Bagadia3 years ago

सादर आभार सर जी..!??

Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

काबिले तारीफ रचना है।नपे- तुले शब्द असरदार अंत,पाठक से,'आह' निकलवाने में सफल हो जाते हैं।

Poonam Bagadia3 years ago

बहुत बहुत धन्यवाद मेम.. अपना स्नेह आशीर्वाद हमेशा बनाये रखें..!??

Neelima Tigga

Neelima Tigga 3 years ago

बहुत मार्मिक

Poonam Bagadia3 years ago

????

Comrade Pandit

Comrade Pandit 3 years ago

बहुत ही उम्दा अंदाज

Poonam Bagadia3 years ago

शुक्रिया..!?

The Indian writers 11

The Indian writers 11 3 years ago

Umda?

Poonam Bagadia3 years ago

बहुत बहुत शुक्रिया..!?

Swati Sourabh

Swati Sourabh 3 years ago

मार्मिक चित्रण

Poonam Bagadia3 years ago

शुक्रिया...??

Swati Sourabh

Swati Sourabh 3 years ago

मार्मिक चित्रण

Bhawna Sagar Batra

Bhawna Sagar Batra 3 years ago

मर्मस्पर्शी रचना

Poonam Bagadia3 years ago

????

Poonam Bagadia3 years ago

शुक्रिया..??

Champa Yadav

Champa Yadav 3 years ago

बहुत.. ही...मार्मिक... रचना ..।

Poonam Bagadia3 years ago

धन्यवाद ... वर्तमान स्थिति को शब्दों में उतारने की कोशिश मात्र की..!????

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

मार्मिक

Poonam Bagadia3 years ago

??

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

marmsparshee .. samaj kaa Vastvic chehra Dikhatee huee Rachna..!!

Poonam Bagadia3 years ago

शुक्रिया सर.

Madhu Andhiwal

Madhu Andhiwal 3 years ago

मार्मिक

Poonam Bagadia3 years ago

????

दादी की परी
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