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Start Date 14-Mar-21
End Date 20-Mar-21
Competition Information/Details
सा रे ग़ा मा संगीत उत्सव 2021 भाग - 3
जहाँ मेरी दुनिया मे अब गूँजन के प्यार की गूंज खनकने लगी थी वही दिल के किसी कोने में मेरा अतीत जोक की तरह मुझ से चिपका हुआ था मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि गूँजन को कैसे बताऊँ अपनी चाहत के बारे में, अपने बारे मे और अपने दोनों बच्चों के बारे में।
मैं उस रोज इसी कशमकश के धागों में उलझा हुआ था की तभी मेरे बचपन के दोस्त अर्पित ने मुझे अचानक मेरे सामने आ कर चौका दिया।
"अबे तू.... मैं खुशी से चीखता हुआ उससे लिपट गया।
"तू तो मिलने आ नही सकता तो सोचा तुझे ही चुरा लाऊ अपने लिये..!"
कह कर वो ठहाका लगा कर हँस पड़ा और उसके साथ मैं भी
अपने बचपन के पल को फिर से जीने की कोशिश में हँस पड़ा।
अर्पित यहाँ किसी लड़की से मिलने आया था सो जैसे आंधी की तरह आया था वैसे ही तूफ़ान की तरह चला भी गया।
पर जाने से पहले जब शाम को हम अपनी कॉलेज की यादों को जिंदा करते हुये, सालों बाद बीयर पार्टी के लिये बैठे उस समय अर्पित ने फिर एक बार अपनी ज़िंदगी जीने की हिदायत देते हुए दूसरी शादी कर लेने की घुट्टी बीयर पीने से पहले पिला दी..!
"नीरव... भाभी को गये आज 5 साल हो गये तुम बच्चों को संभाल सकते हो पर तुम्हें कौन संभालेगा.. अब शादी कर ले यार..!
तब न चाहते हुये भी मैं अपनी चाहत की किताब को अर्पित के समक्ष पन्ना दर पन्ना खोल कर रखता गया।
और वो... बस खामोशी से सब सुनता रहा पर कुछ बोला नही दूसरे दिन उसकी वापसी थी पर उसकी रहस्यमयी खामोशी अब भी बनी थी।
स्टेशन पर उसने बैग उठाने से पहले मुझे जोर से गले लगा लिया और कान में फुसफुसाया "वो तुझ से जो भी सवाल पूछे उसका जवाब हाँ में दे दियो।
वो... वो कौन..?
मैं विस्मय दृष्टि से उसे घूरता हुआ बोला
वही.. जिसकी कहानी तूने कल पूरी सुना दी पर नाम छिपा लिया।
एक आँख दबा कर उसने गूँजन के लिए एक स्वीकृति वाली मुस्कान को अपने होठों से मेरे होठों पर ट्रंसफर करते हुआ कहा और वहाँ से चला गया।
तब मुझे टेंशन होने लगी थी कि वो मुझसे क्या सवाल पूछेगी की तभी गूँजन का कॉल आ गया
हैल्लो नीरव जी..!
हाँ गूँजन बोलो ..! मैं खुद को सहज करते हुए बोला।
"नीरव जी क्या आप मुझे पसंद करते है??
उसके इस सवाल से मैने चुप्पी साध ली उसके स्वर में तेजी उत्पन्न होने लगी। उसकी आवाज़ से ऐसा प्रतीत हो रहा था कि वो किसी उलझन को न सुलझा पाने के कारण आये गुस्से को शांत करने की कोशिश में है।
एक बार मन हुआ चुपचाप फोन कट कर दूँ पर खुद को समझा कर धीरे से बोला
"गूँजन प्लीज़ शांत हो जाओ मैं बाद में कॉल करता हूँ तुम्हे।
नीरव जी .. मुझे मिलना है आप से....!
मेरे दिमाग मे ढेरो आशंका के कीड़े अचानक तेजी से कुलमुलाने लगे थे। कहीं गूँजन अब मुझसे दूर न हो जाये। या वो मुझे गलत न समझे... बहुत सी बातें थी जिसमें मैं उलझने लगा था।
पर फिर भी मैंने खुद को सयंमित कर दिल का सच बोलना बेहतर समझा और पहली बार मैंने स्पष्ट शब्दों में गूँजन के समक्ष अपने प्रेम को स्वीकार कर लिया।
गूँजन मैं सिर्फ तुम्हें पसंद ही नही प्यार भी करता हूँ।
हैलो गूँजन...
कुछ पलों की खामोशी के बाद मैंने ही चुप्पी तोड़ी।
नीरव जी कल लंच पर मिलते है कह कर उसने फोन कट कर दिया।
दूसरे दिन मैं निर्धारित स्थान पर समय से पूर्व ही पहुँच गया।
एक हाथ मे उसके लिये एक छोटा सा गिफ्ट था तो दूसरे हाथ मे एक गुलाब का फूल।
मैं बार बार उस गिफ्ट को जेब से निकाल कर देखता और फिर वापस सहेज कर जेब के हवाले कर रहा था।
सॉरी नीरव जी... लगता है मैं लेट हो गई ..!
उसने आते ही मुझसे कहा और एक मंद मुस्कान के साथ मेरे सामने बैठ गई।
नही... शायद मैं ही जल्दी आ गया था..! मैंने गुलाब उसकी ओर बढ़ाते हुए कहा।
उसने खामोशी से गुलाब लेते हुये मेरी आँखों मे आँखे डाल कर जो देखा तो उसके प्रति मेरे प्रेम को मेरी आँखों मे देख कर उसने अपनी नज़रें झुका ली।
अब मैं अपने प्यार का इज़हार कर चुका था और वो भी फिर भी हम दोनों के दरमियाँ एक अजीब सी चुप्पी थी। हर वक़्त चहकने वाली गूँजन आज खामोश सी थी।
नीरव जी अगर मुझे वो फोन नहीआता तो शायद मैं आपके प्रति अपने प्रेम को कभी आपसे बोल नही पाती।
गूँजन ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुये नीरव से कहा।
कैसा फोन..?
मैंने चौकते हुए कहा।
आपके कोई शुभचिंतक थे...कहते हुए उसने मेरे हाथों को अपनी कोमल हथेलियों के बीच में रख कर कहा
नीरव जी मैं भी आपसे बेइंतहा प्यार करती हूँ।
मैं मानो उस पल अपने सपनो में खो गया मैं ने तुरंत जेब से उसके लिये गिफ्ट निकाल कर उसके हाथ मे रख दी। उसने मीठी मुस्कान के साथ धीरे से गिफ्ट खोला तो उसका चेहरा खुशी से चमक गया
वाओ... कितनी सुंदर पायल है..! कह कर वो पहली बार मारे खुशी के मेरे सीने से आ लगी।
गूँजन लोग देख रहे है..! मैं शरारती अंदाज़ में उसके कान में बुदबुदाया।
वो एक झटके से शरमा कर मुझ से अलग हुई और सामने कुर्सी पर बैठ गई
मैंने आहिस्ता से गूँजन के हाथ से पायल ली और उसके पैरों के पास घुटनों के बल बैठ उसके खूबसूरत पैर आपने घुटने पर रख कर अपने हाथों से पायल पहनाने लगा...!
उस समय मैं अपने सपनों की दुनिया मे पहुँच गया था मानो जैसे उसका मेरे घर-आँगन में पायल छनकाते हुऐ गृह- प्रवेश हो रहा है।
नीरव जी मेरी शादी तय हो गई है...!
वो नज़रे झुकाये धीरे से बोली
अचानक ही मेरे ख्वाहिशों के आसमान पर मेरी बदकिस्मती के बादल छा गये।
मैं खामोशी से उठ कर कुर्सी पर बैठ गया।
ये क्या मजाक है गूँजन..?
मजाक तो मेरा बन गया नीरव जी ..! उसने रुंधे गले से कहा मुझे भी आपसे पहली मुलाकात से ही प्यार हैं पर कभी कह नही पाई और शायद अपने प्यार को मैं हमेशा अपने दिल मे ही छिपा कर रखती अगर वो कॉल न आता तो..! काश... वो कॉल न ही आता तो मैं आज ये शादी करके इस सन्तुष्टि में जी लेती की मेरा प्यार एकतरफा था जिसका कोई मायने नही है.. कोई मंज़िल नही है...!वो एक सांस में सब बोल गई।
मंज़िल है गूँजन.. हम शादी करेंगे..!मै उसके हाथों को अपने हाथ मे महफूज करते हुए बोला
नही मैं अपनी खुशी के लिए किसी को दुख नही पहुँचाना चाहती।
शायद...हमारी कहानी का अंत ही जुदाई था..! उसके इन शब्दों के साथ ही मेरे हाथों पर उसके आँसू की मोटी मोटी बूंदे मेरे हाथ पर गिरने लगी।
तुम जा सकती हो क्या अब मुझे अकेला छोड़ कर..
अपनी इस कहानी को अधूरा छोड़ कर, देखो गूँजन मैं राइटर हूँ और हम राइटर लोग कहानी को कोई भी मोड़ दे सकते हैं तो अपनी ज़िंदगी की कहानी को खूबसूरत मोड़ क्यो नही दे सकते..!
मैं एक तड़प के साथ बिखर कर बोला।
अगर हमारे पास वक़्त होता तो शायद कोई नया मोड़ मिल जाता हमारी कहानी को भी... मैं..मैं कल दिल्ली जा रही हूँ अगले महीने शादी है।
कह कर वो आँखों मे आँसू लिए लगभग भागते हुए वहाँ से चली गईं....
(क्रमशः)
नीरव और गूँजन के प्रेम-जीवन में ये बहुत ही दर्द से भरा पल था की जिस पल उन्हें प्यार का एहसास हुआ इक़रार हुआ उसी पल वो ये समझ गये थे उनके जीवन एक डोर से नही बंध सकता जो सपने अभी तक वो आंखों में बसाये थे जब साथ देखने का वक्त आया तो अचानक ही सब सपने पलको से गिर कर टूट गये ज़िंदगी भर की जुदाई उनके हिस्से में आने के लिए बाह पसारे खड़ी थी...! बस उनके इस बिछड़ने पर भी आपको गीत लिखना है।
रचनाकार
पूनम बागड़िया "पुनीत"
कवितागीत
आहत मन ...…
इस प्रेम निमंत्रण को प्रियवर स्वीकार करो
अपना लो मुझको तुम अब मत इनकार करो
स्वर मधुर तुम्हारा सुन उर बीज प्रेम उपजा धड़का था दिल लेकिन है इश्क नही समझा
सुन लो अपने दिल की तुम भी इकरार करो
अपना
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कवितागीत
नायक-
आए हो बहारों की तरह ज़िन्दगी में ओ साथिया,
आओ करीब बैठो कर लूँ मैं दिल में जो हैं बतीयाॅं ।
नायिका-
सजते हैं ख़्वाब तेरे ही जागू में सारी-सारी रतियाॅं,
खोयी हूँ तेरे ही ख्यालों में ,छा रही
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कवितागीत
(गीत )
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बिछडो न तुम
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बिछडो न तुम, मेरे हमदम
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कवितागीत
दे दे मिलाई
ये जुदाई न सही जाए । ये जुदाई न सही जाए ।
कर दे खुदाई मौला कर दे खुदाई,
दे दे मिलाई हमें दे दे मिलाई ।
ये जुदाई न सही जाए ।ये जुदाई न सही जाए ।
ओ री गुंजन तूने नीरव का जीवन।
महका के कर दिया
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कवितालयबद्ध कविता
मैं कहीं खो रहा था उसकी यादों तले,
फिर कहीं आवाज़ मुझे यारों ने दी,
मैं डूब चुका इश्क़ के अश्क़ में,
हौले से आवाज बयारों ने दी,
मैं सुनाने लगा किस्सा प्यार का,
यारों की यारी,
और इज़हार का,
नहीं पता कब ख़्वाब
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कवितागीत
शीर्षक-"अधूरी कहानी"
*नीरव*
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तेरे आने से मेरे जीवन में
इक नयी सुबह सुहानी सी रोशन हो गई
इक ही पल में तुम मुझसे यूं बिछङी
मेरी रंगीन सुबह काली रात में खो गई
* नीरव*
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याद है तेरी आती मुझे
भूलें बता
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बहुत सुंदर सृजन अप्रतिम
धन्यवाद श्री संजीव शुक्ल जी😊🙏
धन्यवाद श्री संजीव शुक्ल जी😊🙏
कवितागीत
दर दर भटका प्यार में तेरे
कितना दर्द सहा है जाना
उसपर तेरा ऐसे आना
नज़रे मिला के पलके झुकाना
शर्माकर यूं प्यार जताना
कर गया मुझको दीवाना
कर गया मुझको दीवाना
काली बदरिया सी कजरारी आंखे
उसपर तेरी
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वाह वाह वाह बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
आपका बड़प्पन है सर
कवितागीत
अनजान राहों पर चलने लगे हम
घड़ी दो घड़ी को संभलने लगे हम
तेरे प्रेम का सिलसिला जो चला तो
किस्मत पर अपने मचलने लगे हम।
मगर क्या करें की मजबूरी देखो
किस्मत में प्रेम की यह दूरी देखो
बूँद जैसे टूटे
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बहुत अच्छा लिखा है मैम उम्दा
बहुत बहुत आभार आपका आदरणीया
कवितागीत
आयोजन:- सा रे गा मा (अंत का आरंभ) भाग :- ३
विरह वेदना
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शूल ही शूल बिखरे पड़े राह में, कण्टकों का सफर आज प्यारा मिला।
बोझ जीवन लगे अब हमारा हमें, इश्क से आज कैसा नजारा मिला।
सद्य कंपित अधर से नयन चुमना,
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बेहद खूबसूरत....👌👌👍
सादर अभिवादन सहित नमन
बहुत सुंदर👏👏👏👏
सादर अभिवादन सहित नमन
कवितागीत
दिल की आशा
धीरे धीरे हम अपना हाल सुना बैठे।।
एक आस लिए मन में,
हम तुम्हारी चाह कर बैठे।
तुम्हारी खनकती आवाज़ को,
हम अपना सुर संगीत बना बैठे।
धीरे धीरे हम अपना हाल सुना बैठे।।
तुमसे मिलकर रोशन ,
हुई
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कविताअतुकांत कविता
तेरे बिना धड़कन भी कहाँ धड़कती है
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तेरे इनकार में ही इकरार है
होठों पर ना के सिवा कुछ और नहीं पर दिल में हाँ के सिवा और क्या है ?
आँखें कह देती हैं तेरा हाल
अब आजा पास मेरे
मत
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कविताअतुकांत कविता
तेरे बिना धड़कन भी कहाँ धड़कती है
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तेरे इनकार में ही इकरार है
होठों पर ना के सिवा कुछ और नहीं पर दिल में हाँ के सिवा और क्या है ?
आँखें कह देती हैं तेरा हाल
अब आजा पास मेरे
मत
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