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Start Date 01-Jun-21
End Date 10-Jun-21
Writer | Rank | Certificate |
---|---|---|
Pallavi Rani | Certificate |
Competition Information/Details
सभी साहित्यिक स्वजनों को सादर नमस्कार...!
कहते हैं जीवन एक संघर्ष है इस संघर्ष के चलते कभी कभी इंसान इस कदर टूट जाता है कि उसको भविष्य के साथ उसे अपने आस पास अंधकार ही अंधकार दिखाई देने लगता है ... परन्तु इस अंधकार के चलते वहीं मन के भीतर एक नन्ही सी आशा की किरण जीवन मे फिर से सब सामान्य होगा, तेरी जीत निश्चित है बोल कर अपना प्रकाश फैलाने को आतुर होती है..!
तो खोजिये इस अंधकारमयी मन मे दबी अपनी उम्मीद की किरण को और कर दीजिये अपनी आशाएं रोशन अपनी रचनाओं के माध्यम से..!
दिनाँक - 1 जून से 10 जून 2021
विषय - आशाएं- "उम्मीद की एक किरण"
विधा - मुक्त (किसी भी विधा मे)
लेखन से सम्बंधित महत्पूर्ण नियम :-
1. रचनाएं विषयानुसार ही लिखे.. धार्मिक राजनैतिक भावनाओं को आहत करने वाली रचना न हो।
2. यदि रचना लम्बी है तो आप उसे भाग में विभाजित कर डाल सकते है।
3. वेबसाइट पर पोस्ट करने के उपरांत अपनी रचना या उसका लिंक सोशल मीडिया पर साझा कर सकते हैं।
4. रचना पोस्ट करने के लिए एडिटिंग ऑप्शन में इवेंट का चुनाव करना न भूले।
5. रचना के साथ चित्र कोई भी सलंग्न अवश्य करें।
आप सबकी रचनाओं का स्वागत एवं इन्तज़ार रहेगा...
सार्थक लेखन हेतु अग्रिम शुभकामनाएं....
भूमिका संयोजन
पूनम बागड़िया
धन्यवाद
साहित्य अर्पण कार्यकारिणी।
कवितालयबद्ध कविता
आशा एक किरण
🌟🌟🌟🌟🌟🌟🌟
मुश्किल है डगर लम्बा है सफर
मंज़िल की फ़िकर घबराए जिगर
अपनों में ही अपने ढूंढे नजर
जीवन की परीक्षा आंखें सजल
उम्मीदों की तु डोर पकड़
माना पथरीले हैं रास्ते
तुझे चलना
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कहानीलघुकथा
#शीर्षक
"आशा की किरण"
बन्द खिड़की की बारीक दरार से छन कर आती धूप देख नन्ही आसमा आँख गड़ा कर बाहर बाजार में फैले हुए सन्नाटे को देख मायूस है ।
सुबह की ताजी हवा , नर्म धूप और खिले गुलाब के पीछे की वादियों
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कविताअतुकांत कविता
है व्याप्त घोर अँधियारा चहुंओर
पर मनुज, तू अँधियारे से मुख मत मोड़
उर के हर कोने में उम्मीद की किरण
कर तू अंकुरित, और आगे बढ़।।
ज़िंदगी की परीक्षा में भी तू होगा उत्तीर्ण
मनुज रख विश्वास स्वयं के ऊपर
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कवितालयबद्ध कविता
जब-जब छाया घोर अंधेरा,
नव रवि का आह्वान हुआ।
युद्धभूमि में गौरव लेकर,
तिमिर चीर नव - प्राण हुआ।। 1
जगत मिला फिर से आलंबन,
सुधा के घूंट घट भर लाए।
विष का क्षार विक्षार भये तब,
कलुषित पल हर हर जाये।। 2
ये
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अतुकांत कविता
जब भी जीवन में अँधेरा गहराने लगा,
बहुप्रतीक्षित उजाले की तलाश में,
दिल प्रतिदिन टूटकर बिखराने लगा,
तभी अनायास किसी कोने से छोटी सी
उम्मीद की किरण
जीवन के लिए काफी हो गयी।
तमाम निराशाओं पर वो भारी
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लेखआलेख
'आइए, मन के सूरज को जगायें।'
सुप्त पड़े दिल के तारों को झंकृत कर दें,
आइये, हर दिल को खुशियों से अलंकृत कर दें...।
सावन का मौसम आने वाला है। सूरज की गरम उष्मा के बीच बारिश की बूंदे तन को राहत देती है।
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समयानुकूल महत्त्वपूर्ण लेख👏👏👍
धन्यवाद मीता जी।
बहुत अच्छा लगा आपकी रचना पढ़कर 🙏🏻
पढ़ते रहिए। अच्छा महसूस करते रहिए।😊
बहुत सुन्दर और आज की स्थितियों में प्रेरणादायक..!
धन्यवाद सर, आपकी प्रतिक्रियाएं मेरा उत्साहवर्धन करती हैं।
कविताअतुकांत कविता
उम्मीद से सजे जिंदगी
जीवन की दौड़ मे
बढ़ने की होड़ में
आ जाए अँधा मोड़
पत्थर को तोड़ के
राह तू मोड़ ले
मंजिल को ढूंढ ले
उषा की लाली सी
सूरज की किरणों सी मुस्काए
जिंदगी,,,
हाल बेहाल हो
बाजार बंद हो
सब पर प्रतिबंध
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