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Sahitya Arpan - सु मन
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सु मन

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जिंदगी हर पल हर लम्हा कुछ नया सिखाता हैं आगे बढते रहे और सीखते रहे।

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    लेख अन्य Third
    कहानी हास्य व्यंग्य 5th

    लेखअन्य

    परफेक्ट के फ्रेम में फिट नहीं बैठती मैं

    • Added 2 years ago
    Read Now
    • 72
    • 20 Mins Read

    __परफेक्ट__के__फ्रेम__में__फीट__होने__के__लिए__नहीं__बनी__गलतियां__करते__हुए__आगे__बढ़ना__हैं__


    कभी कभी खुद को समझना और समझना मुश्किल होता कि भई ऐसा करना था ऐसे नहीं। लोग क्या कहेंगे इसकी चिंता क्यों?????
    चिंता
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    परफेक्ट के फ्रेम में फिट नहीं बैठती मैं,<span>अन्य</span>
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    लेखअन्य

    किसी की मुस्कुराहों पे हो निसार

    • Added 2 years ago
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    • 144
    • 26 Mins Read

    #__किसी__कि__मुस्कुराहटों__पे__हो__निसार



    कितना आसान होता हैं ना ये कहना कि, " सुनो..!! तुम्हें जब भी कोई परेशानी हो ना मुझसे बात करना। मैं तुम्हारी हर बात आराम से सुनुंगी / सुनुंगा। तुम भरोसा कर सकते हैं
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    किसी की मुस्कुराहों पे हो निसार ,<span>अन्य</span>
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    लेखअन्य

    यूँ इल्जाम ना लगा

    • Added 2 years ago
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    • 98
    • 15 Mins Read

    #__यूँ__इल्जाम__ना__लगा



    " मैंने तुमसे हजार बार कहा हैं कि मुझे परेशान मत किया करो। यह जो कुछ भी हो रहा हैं ना इन सबकी वजह सिर्फ तुम हो। ना तुम आते ना इतनी प्राब्लमस् होती। अब चले जाओ और दूर रहो मुझसे।
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    यूँ इल्जाम ना लगा,<span>अन्य</span>
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    लेखअन्य

    दिल की दुनिया के फैंसले

    • Added 2 years ago
    Read Now
    • 73
    • 15 Mins Read

    #_दिल_की_दुनिया_के_फैंसले_जैसा_हम_चाहते_हैं_वैसे_नही_होते_




    और एक दिन गुलाबी सी शाम को उसका एक मैसजे आया, " लव यू💖
    तुम प्यार करते हो या नहीं पता नहीं पर मुझे तो हो गया हैं। एक तरफा ही सही पर इश्क तो
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    दिल की दुनिया के फैंसले,<span>अन्य</span>
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    लेखअन्य

    इश्का की उदासी

    • Added 2 years ago
    Read Now
    • 91
    • 9 Mins Read

    मुझे कभी कुछ लिखना नहीं आया। अगर लिखना आता तब मैं लिखती शापित मन की कहानियाँ, किसी उदास रुह की बैचेनी या फिर वर्षो पुराने रिसते घाव का दर्द।

    ऐसा क्यों होता था कि मुझे उदासीयाँ आकर्षित करती थी।
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    इश्का की उदासी ,<span>अन्य</span>
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    लेखअन्य

    सुकून की तलाश

    • Added 2 years ago
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    • 107
    • 11 Mins Read

    उसने एक दिन कहा था मुझसे कि, " तुम किसी शख्स में अपना सुकून कभी तलाश न करना। फिर छोटी छोटी बातों में खुश होने के लिए भी उसकी हाँ का इंतजार करना पडे़गा "


    और फिर देर तक मैं तन्हा बैठी सोचती रही कि क्या
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    सुकून की तलाश ,<span>अन्य</span>
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    कविताअन्य

    चांद

    • Edited 3 years ago
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    • 288
    • 9 Mins Read

    सुनो... आज तुम इतने खामोश क्यों हो..?
    खनकती सी आवाज में लड़की ने धीमें से कहा।

    लड़के ने मुस्कुराते हुए कहा, " बस यूँ ही। कभी कभी तुम्हारे साथ खामोश बैठकर मैं तुम्हें मन की वो तमाम बातें सुनता हूँ जो
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    चांद,<span>अन्य</span>
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    Vivek Prajapati

    Vivek Prajapati 3 years ago

    Sunder rachna dear

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    सुन्दर और भावपूर्ण

    लेखअन्य

    एक खत यादों के नाम

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 237
    • 25 Mins Read

    मेरी प्रिय तुम



    आज तुम्हारी बहुत याद आ रही थी सोचा कि तुम से एक बार मिल आऊ पर फिर ख्या़ल आया कि... तुम मुझसे मिलना क्यों चाहोगी..?? तुम ही तो मुझे छोड़कर गई थी ना।

    खैऱ जाने दो.. बीती बातों का क्या शोक
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    एक खत यादों के नाम ,<span>अन्य</span>
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    लेखअन्य

    एक इश्क खुद से ही

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 349
    • 21 Mins Read

    हम खुद को कितना का जी लेते हैं एक ज़िंदगी में। इसका अंदाजा कोई लगा ही नहीं सकता कि वो कितनी दफा़ खुद के लिए जिया हैं। कितना कुछ किया खुद के लिए। यहाँ " खुद" का अर्थ ये कतई नहीं हैं कि हम स्वार्थी हैं।
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    एक इश्क खुद से ही ,<span>अन्य</span>
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    लेखअन्य

    एक इडियट के डायरी नोट्स

    • Edited 3 years ago
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    • 151
    • 21 Mins Read

    तुम्हें पता हैं. ...मैं जब यादों की अटैची खोलती हूँ तो ...सबसे पहले तुम्हारे साथ बिताया वक्त आगे आता है... जानते हैं क्यों...?

    क्योंकि तुम महज एक शख़्स भर नहीं हो, एक याद नहीं हो.. ... तुम मेरा हिस्सा हो... मेरी
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    एक इडियट के डायरी नोट्स ,<span>अन्य</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    क्या कहने अद्भुत 👌🏻

    लेखअन्य

    बावरा मन

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 145
    • 21 Mins Read

    बकवास बाजियां चल रही हैं आजकल मन की। इसने सब इतना उलझा दिया हैं कि शब्द नहीं हैं बताने को .... यह इतना भी सरल नहीं... मुझ जैसा हैं सीधा सादा पर भीतर से उलझनों से भरा... बेवकूफ... ना समझ... नालायक सा।

    आजकल
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    बावरा मन,<span>अन्य</span>
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    लेखआलेख

    उदासियां

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 155
    • 12 Mins Read

    उदासियों की परत जब जम जाए तो उसे उतारना कितना मुश्किलों भरा होता हैं। यह एक ऐसी बिमारी हैं जो लग जाए तो भीतर तक इंसान को तहस नहस कर देती हैं। यह अंदर कुछ पनपने भी नहीं देती ना प्रेम,,, ना दया,,, ना भावनाएं
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    उदासियां,<span>आलेख</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत सही कहा आपने

    सु मन3 years ago

    शुक्रिया आपका

    कहानीलघुकथा

    बरसात

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 137
    • 10 Mins Read

    मौसम बेईमान हो रहा हैं... काली घटाएं रह रह कर फिर से घिरने लगी हैं। और इस बार जब बारिश होगी तो दोनों खूब भीगेंगे। तुम बारिश में और मैं तुम्हारीं यादों में.....

    मेरे लाख मना करने के बावजूद तुम हमेशा की
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    बरसात,<span>लघुकथा</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    बहुत खूब

    सु मन3 years ago

    शुक्रिया आपका

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    बढ़िया

    लेखअन्य

    सफर

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 244
    • 12 Mins Read

    उसे एक सफर पर जाना था जो कहाँ खत्म होगा उसे खुद पता नहीं था। पर चलना जरुरी था बिना बिना थके, बिना रूके .........


    वह निकला बरसों तक रहा सफर में। बहुत कुछ देखा उसने जाना,समझा और तस्वीरें में कैद किया उन
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    सफर,<span>अन्य</span>
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    कहानीहास्य व्यंग्य

    किस्सा ए अंधविश्वास हास्य स्पेशल

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 502
    • 16 Mins Read

    आज मैं आपको सुनाती हूँ किस्सा ए अंधविश्वास 😁😂😂 काफी हँसी आएगी आप सबको। किस्सा सुनाने से पहले मेरी फैमिली का भी बताना पड़ेगा क्योकि यह हमारे चाचा जी की लाइफ से जुड़ा हुआ हैं। मेरे दादा जी के छोटे
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    किस्सा ए अंधविश्वास हास्य स्पेशल ,<span>हास्य व्यंग्य</span>
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    Gita Parihar

    Gita Parihar 3 years ago

    अच्छा, मनोरंजक वाकया है।

    Madhu Andhiwal

    Madhu Andhiwal 3 years ago

    रोचक

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    यह जबरदस्त रही। हँस हंसकर पेट फूल गया। परन्तु मुझे लगता है इस कहानी को कसाव की जरूरत है। साथ ही साथ आप इसे और भी अच्छी तरह तराशकर लिख सकती हैं। सबकी भाषा शैली लिखने का तरीका अलग होता है। मुझे आपका हास्य पसन्द आया। परन्तु मैं आपको कहूंगी आप इसे बार बार पढ़ती रहें और धीरे धीरे इसमें कुछ कुछ मसाले और मिलाती रहें। साथ ही कुछ और अनावश्यक चीजें निकालती रहे। आपने बढ़िया लिखा है आपके अगले हास्य किस्से का इंतज़ार रहेगा।

    सु मन3 years ago

    शुक्रिया आपका सुझाव के लिए। यह सत्य घटना हैं जी। मैने सोचा यहाँ भी शेयर की जाए। सबको हँसाया जाए। फेसबुक पर शेयर की थी, जल्दबाजी में ऐसा ही लिख पाई।

    कविताअन्य

    मेरे देश में

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 86
    • 2 Mins Read

    अपराधियों के हौसलें बुलंद है मेरे देश में,
    बेटियाँ अब सुरक्षित नहीं हैं मेरे देश में,
    भेडियें घूमते है यहाँ
    आदमी के वेश में,
    कानून, मीडिया,
    अदालत सब मौन हैं मेरे देश में,
    बेटियाँ सुरक्षित नहीं
    Read More

    मेरे देश में ,<span>अन्य</span>
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    कविताअतुकांत कविता

    हाल ए दिल

    • Edited 3 years ago
    Read Now
    • 145
    • 3 Mins Read

    हाल- ए- दिल कुछ कह दिया करो अपना,
    कुछ मेरी दास्तान सुन लिया करो,
    जो खामोशी कभी आए दरमिया तो
    कुछ कहानिया तुम भी बुन लिया करो,
    भीड में भी हम अकेले ही होते हैं अक्सर..
    जब ये अहसास हो जाए तो
    खुद ही का साया
    Read More

    हाल ए दिल ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    Madhu Andhiwal

    Madhu Andhiwal 3 years ago

    वाह

    कवितालयबद्ध कविता

    दिल से दोस्ती तक

    • Edited 4 years ago
    Read Now
    • 218
    • 9 Mins Read

    जीवन के पचासवें बसंत में प्रवेश करती एक महिला अपनी सखियों को इस तरह से याद करती हैं ...

    याद करती हैं वह अपने बचपन के दिनों को,
    याद करती हैं अपनी दोस्ती और सखियों को,
    स्कूल में साथ बिताए साल महिनों
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    दिल से दोस्ती तक ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    Anujeet Iqbal

    Anujeet Iqbal 4 years ago

    वाह

    कविताअतुकांत कविता

    आत्महत्या

    • Edited 4 years ago
    Read Now
    • 204
    • 5 Mins Read

    १)
    आत्महत्या करते हैं किसान
    जब फसल सूख जाए,
    समय पर ना मिले मुआवजा,
    जमीन हो जाए बंजर,
    ना चुका पाए कर्ज और
    जमीन छिन जाने पर,
    जीवन से श्रेष्ठ तब उन्हें मृत्यु लगती हैं।

    २)
    आत्महत्या करती हैं गृहणीयाँ
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    आत्महत्या ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    Anujeet Iqbal

    Anujeet Iqbal 4 years ago

    यथार्थ

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 4 years ago

    बिल्कुल सही

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 4 years ago

    आपने यह पोस्ट डालकर आज सुसाइड प्रिवेंशन डे को बहुत अच्छे तरीके से समझा दिया। बहुत सुंदर रचना

    सु मन4 years ago

    आभार

    कविताअतुकांत कविता

    अदृश्य बेड़ियाँ

    • Edited 4 years ago
    Read Now
    • 271
    • 4 Mins Read

    अदृश्य बेडियाँ

    हम जकडे़ रहते हैं
    अदृश्य बेडियों में,
    कही जाति - मजहब के नाम पर,
    रीति रिवाज ,
    कही पाखंड और
    अंधविश्वास के नाम पर,
    जन्म से ही
    बांध दिया जाता हैं इनको पैरो में ।

    अदृश्य होकर भी यह
    रोकती
    Read More

    अदृश्य बेड़ियाँ ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 4 years ago

    जी बहुत खूब अदृश्य बेड़ियां

    Kumar Sandeep

    Kumar Sandeep 4 years ago

    उत्कृष्ट रचना

    सु मन4 years ago

    शुक्रिया

    कवितालयबद्ध कविता

    स्त्री की अभिलाषा

    • Edited 4 years ago
    Read Now
    • 306
    • 3 Mins Read

    बदल जाते हैं नियम कानून
    बदल जाती हैं मर्यादा की परिभाषा,
    बदल जाते हैं रीत- रिवाज
    बदल जाती हैं जीने की आशा।

    कुछ बदलाव करो स्त्री के प्रति भी
    उसे समझ जाए पुरुष
    यही है स्त्री की अभिलाषा,
    ना चाहिए
    Read More

    स्त्री की अभिलाषा ,<span>लयबद्ध कविता</span>
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    कवितालयबद्ध कविता, अन्य

    पहले के जैसे

    • Edited 4 years ago
    Read Now
    • 202
    • 3 Mins Read

    पहले के जैसे
    अब वो लोग नजर नही आते,
    धुंधली आंखो से भीड में अब चेहरे नहीं पहचाने जाते,

    पास बैठकर बातें करना बीती बात थी,
    अब लौटकर वो जमाने नहीं आते।

    पुराने खतो को अब कौन बार बार पढा करता हैं,
    मोबाइल
    Read More

    पहले के जैसे ,<span>लयबद्ध कविता</span>, <span>अन्य</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 4 years ago

    बहुत खूब सुमन जी

    सु मन4 years ago

    बहुत बहुत धन्यवाद आपका

    कविताअतुकांत कविता

    तुम्हारे आंगन की तुलसी हो जाना चाहती हूँ

    • Edited 4 years ago
    Read Now
    • 166
    • 5 Mins Read

    तुम्हारे घर में एक छोटा सा कोना चाहती हूँ,
    नए जमाने में भी मैं तुम्हारे आंगन की तुलसी हो जाना चाहती हूँ ,
    रिश्ता जन्म - जन्म का यह कुछ इस तरह निभा देना,
    कभी देर हो जाए उठने में तो प्यार से जगा देना,
    Read More

    तुम्हारे आंगन की तुलसी हो जाना चाहती हूँ ,<span>अतुकांत कविता</span>
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    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 4 years ago

    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति प्रत्येक औरत बस इतना ही तो चाहती है।