जिंदगी हर पल हर लम्हा कुछ नया सिखाता हैं आगे बढते रहे और सीखते रहे।
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Section | Genre | Rank |
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लेख | अन्य | |
कहानी | हास्य व्यंग्य | 5th |
London is the capital city of England.
लेखअन्य
__परफेक्ट__के__फ्रेम__में__फीट__होने__के__लिए__नहीं__बनी__गलतियां__करते__हुए__आगे__बढ़ना__हैं__
कभी कभी खुद को समझना और समझना मुश्किल होता कि भई ऐसा करना था ऐसे नहीं। लोग क्या कहेंगे इसकी चिंता क्यों?????
चिंता
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लेखअन्य
#__किसी__कि__मुस्कुराहटों__पे__हो__निसार
कितना आसान होता हैं ना ये कहना कि, " सुनो..!! तुम्हें जब भी कोई परेशानी हो ना मुझसे बात करना। मैं तुम्हारी हर बात आराम से सुनुंगी / सुनुंगा। तुम भरोसा कर सकते हैं
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लेखअन्य
#__यूँ__इल्जाम__ना__लगा
" मैंने तुमसे हजार बार कहा हैं कि मुझे परेशान मत किया करो। यह जो कुछ भी हो रहा हैं ना इन सबकी वजह सिर्फ तुम हो। ना तुम आते ना इतनी प्राब्लमस् होती। अब चले जाओ और दूर रहो मुझसे।
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लेखअन्य
#_दिल_की_दुनिया_के_फैंसले_जैसा_हम_चाहते_हैं_वैसे_नही_होते_
और एक दिन गुलाबी सी शाम को उसका एक मैसजे आया, " लव यू💖
तुम प्यार करते हो या नहीं पता नहीं पर मुझे तो हो गया हैं। एक तरफा ही सही पर इश्क तो
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लेखअन्य
मेरी प्रिय तुम
आज तुम्हारी बहुत याद आ रही थी सोचा कि तुम से एक बार मिल आऊ पर फिर ख्या़ल आया कि... तुम मुझसे मिलना क्यों चाहोगी..?? तुम ही तो मुझे छोड़कर गई थी ना।
खैऱ जाने दो.. बीती बातों का क्या शोक
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लेखअन्य
हम खुद को कितना का जी लेते हैं एक ज़िंदगी में। इसका अंदाजा कोई लगा ही नहीं सकता कि वो कितनी दफा़ खुद के लिए जिया हैं। कितना कुछ किया खुद के लिए। यहाँ " खुद" का अर्थ ये कतई नहीं हैं कि हम स्वार्थी हैं।
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लेखअन्य
तुम्हें पता हैं. ...मैं जब यादों की अटैची खोलती हूँ तो ...सबसे पहले तुम्हारे साथ बिताया वक्त आगे आता है... जानते हैं क्यों...?
क्योंकि तुम महज एक शख़्स भर नहीं हो, एक याद नहीं हो.. ... तुम मेरा हिस्सा हो... मेरी
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कहानीहास्य व्यंग्य
आज मैं आपको सुनाती हूँ किस्सा ए अंधविश्वास 😁😂😂 काफी हँसी आएगी आप सबको। किस्सा सुनाने से पहले मेरी फैमिली का भी बताना पड़ेगा क्योकि यह हमारे चाचा जी की लाइफ से जुड़ा हुआ हैं। मेरे दादा जी के छोटे
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यह जबरदस्त रही। हँस हंसकर पेट फूल गया। परन्तु मुझे लगता है इस कहानी को कसाव की जरूरत है। साथ ही साथ आप इसे और भी अच्छी तरह तराशकर लिख सकती हैं। सबकी भाषा शैली लिखने का तरीका अलग होता है। मुझे आपका हास्य पसन्द आया। परन्तु मैं आपको कहूंगी आप इसे बार बार पढ़ती रहें और धीरे धीरे इसमें कुछ कुछ मसाले और मिलाती रहें। साथ ही कुछ और अनावश्यक चीजें निकालती रहे। आपने बढ़िया लिखा है आपके अगले हास्य किस्से का इंतज़ार रहेगा।
शुक्रिया आपका सुझाव के लिए। यह सत्य घटना हैं जी। मैने सोचा यहाँ भी शेयर की जाए। सबको हँसाया जाए। फेसबुक पर शेयर की थी, जल्दबाजी में ऐसा ही लिख पाई।
कवितालयबद्ध कविता
जीवन के पचासवें बसंत में प्रवेश करती एक महिला अपनी सखियों को इस तरह से याद करती हैं ...
याद करती हैं वह अपने बचपन के दिनों को,
याद करती हैं अपनी दोस्ती और सखियों को,
स्कूल में साथ बिताए साल महिनों
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आपने यह पोस्ट डालकर आज सुसाइड प्रिवेंशन डे को बहुत अच्छे तरीके से समझा दिया। बहुत सुंदर रचना
आभार
कविताअतुकांत कविता
अदृश्य बेडियाँ
हम जकडे़ रहते हैं
अदृश्य बेडियों में,
कही जाति - मजहब के नाम पर,
रीति रिवाज ,
कही पाखंड और
अंधविश्वास के नाम पर,
जन्म से ही
बांध दिया जाता हैं इनको पैरो में ।
अदृश्य होकर भी यह
रोकती
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कवितालयबद्ध कविता
बदल जाते हैं नियम कानून
बदल जाती हैं मर्यादा की परिभाषा,
बदल जाते हैं रीत- रिवाज
बदल जाती हैं जीने की आशा।
कुछ बदलाव करो स्त्री के प्रति भी
उसे समझ जाए पुरुष
यही है स्त्री की अभिलाषा,
ना चाहिए
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कवितालयबद्ध कविता, अन्य
पहले के जैसे
अब वो लोग नजर नही आते,
धुंधली आंखो से भीड में अब चेहरे नहीं पहचाने जाते,
पास बैठकर बातें करना बीती बात थी,
अब लौटकर वो जमाने नहीं आते।
पुराने खतो को अब कौन बार बार पढा करता हैं,
मोबाइल
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कविताअतुकांत कविता
तुम्हारे घर में एक छोटा सा कोना चाहती हूँ,
नए जमाने में भी मैं तुम्हारे आंगन की तुलसी हो जाना चाहती हूँ ,
रिश्ता जन्म - जन्म का यह कुछ इस तरह निभा देना,
कभी देर हो जाए उठने में तो प्यार से जगा देना,
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