Login
Login
Login
Or
Create Account
l
Forgot Password?
Trending
Writers
Latest Posts
Competitions
Magazines
Start Writing
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
Searching
"देखा"
कविता
कविता-ख़्वाब देखा करो
जीवन के रंग अनेक
कभी गौर से देखा नहीं
बेटी के नाम
मैं समय हूँ ...
एक चेहरा नजर आया
मां की ममता
मनमीत
काजल
बिटिया कहे
बिटिया कहे
मां की ममता
काश
मां
माँ का चेहरा देखा है
देखा जो एक फूल को फूल बेचते हुए
प्रतीक्षा
नाख़ुदा का कसूर देखा!
तसव्वुर में हबीब हमारा देखा
मेरी प्यारी माँ
*खुद का चश्मा लगाकर देखा*
*मुड़कर भी नहीं देख*
कोई ठेहरा नही 💗💗
शराब पीकर न ख़्वाब देखा कर
स्वप्नपास संस्मरण
संस्मरण --खुली आंखों से देखा स्वप्र भी सच होते हैं
तुमको कभी अनदेखा न करे
देखा है हर जख़्म भरते हुए
चांद सहर ए सराब में देखा
किनारों को मिलतेहुए नहीं देखा
चांद के ख़्वाब न देखा करो
ख़ुशगवार मंज़र देखा करो
सपने देखा करो
'कविता'
जल्दबाजी कभी नहीं करते हुए देखा
आदमियत का धरम देखा
अपनों के ही सुख में अपना सुख देखा
'बशर'' ऐसा भी दर-ब-दर नहीं देखा
रिश्तों को संजीदगी से देखा होगा
हालात-ए-हकीक़त
क्या आखीर-ओ-तासीर से भी बचकर निकल सकते हो
आते कल का सपना देखा था
सिकंदर को हराते कलंदर नहीं देखा
आंखों ने मेरी कोई सपना नहीं देखा
ज़िन्दगी को ठहरा हुआ देखा है
नया ज़माना नया दौर देखा जाए
मन मेरा ऐसे ही बरबस बिहंस गया........
ढूंढते रह जाओगे
नहीं कोई ग़म फ़कीर बन जाने का
आँखों देखा मंज़र
प्रेम न था,-हिन्दी कविता
वही तुम पर फिदा है
खुद से निकलकर नहीं देखा
किसीसे मिलकर नहीं देखा
कांटोभरा रहगुज़र नहीं देखा
तूफ़ान जिसने देखा वो नाख़ुदा लहरों से हारा
इन्सान कहाँ है
आदमी के भेस में मिलते शैतान यहाँ हैं
कहानी
पगली
अकेली लड़की मौका.. या जिम्मेदारी..
लेख
करवा चौथ, जैसा मैंने देखा
Edit Comment
×
Modal body..