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"जाए"
कविता
काश कुछ ऐसा हो जाए
सौदागरी बढ़ जाएगी
सजाएं हर दिवसवार
सब याद रखा जाएगा
क्यों खुद को पढ़ना भूल जाते हो
हम आगे बढ़ते जाएँगे
हम लड़के हैं।
जीत जाएंगे हम....
ध्रुवतारा बन जाएंगे
राहत हो जाए
राहत हो जाए,
वैलेंटाइन तड़का (हास्य)
अस्तित्व
आखों में चमकता प्यार तेरा
कहती है आज की नारी
मन के जज्बात
इश्क़..फिर हार जाएगा
जीतेगा इंदौर
"चहु ओर खुशियां फैल जाएंगे"
चेहरे पर मुस्कान आएगा
✍️किसी को किसी से भी प्यार हो जाता है।
कुछ ऐसा हो जाए
रे मन
"हमसफर "💐💐
एक जरूरी बात
अपना अपना रावण
हम हो जाएं
ख्वाब या हक़ीक़त
मंजिलें मिल जाएगी
कुछ लिखे
आईना मग़र सच बताएगा
निकालने को जाए कहाँ ख़ुद का ग़ुबार आदमी
जिसदिन इन्सान सुधर जाएगा
छुपाकर अपने ग़म रखिए
बेसबब बोलने का नुकसान मग़र बशर ज़रूर हो जाएगा
बेसबब बोलने का नुकसान मग़र बशर ज़रूर हो जाएगा
बस कट, पेस्ट का खेल
मंज़िल से लौटे हुए मुसाफ़िर कहाँ जाएं
*सहर सुहानी हो जाए*
*खिलौना टूट जाएगा*
*किताबी जिंदगी से बाहर चला जाए*
बस एक आप
*दरीचों से देखते रह जाएंगे*
आपका माथा जाएगा घूम
हुनर ख़ामुशी का सीख बशर
ज़मीन से उठकर मिट्टी कहाँतक जाएगी
*पहलेसा हिंदुस्तां हो जाए*
चले जाएं रंजो-मलाल भी
हौसलें बुलंद हैं
हौसलें बुलंद हैं
सवाल ही गलत किया जाए तो जवाब कोई क्या बताए
जोरो-जुर्म राख हो जाएं
कोशिश जीने की करनी चाहिए
रिश्तों के मरने से पहले
दर्द -ए -जिगर नाकाम न हो जाए
उम्र-भर के लिए सो जाएंगे
ख़्वाब बिखर जाएगा
सरक न जाएं रिश्ते हिफ़ाज़त रखा करो
जियेबग़ैर बसर हो जाएगी
अपनी नजरों में गिरने का सबब न हो जाए
तमाशा बनता जाएगा
ज़ीस्त है बशर जीकर जाएगी
डर क्या डरने से कम हो जाएगा
ए बहती हवाएं जरा मंज़िल का पता देती जाएं
विचारों की लड़ाई
मतलब निकल जाए तो कदर कौन करता है - sumit arya shayari - शायरी
वक़्त के घाव वक़्त के साथ खुद ही भर जाएंगे
रिश्तों को बेघर कर जाएं
नाशाद दिल फिरसे शाद हो जाएं
परिंदा कहीं भी जाए शामको वहीं लौट आएगा
आरज़ू क्या रह जाएगी
ज़माना सुधर जाएगा
लोग सब पैदल जाएंगे
कोई बेवफ़ा हो जाए
आदमजात झुक जाएगी
हम फिर रोज़मर्रा में खो जाएंगे
नया ज़माना नया दौर देखा जाए
वोभी जाने जो हमसे कहा न जाए
समझदार सभी इन्सान हो जाए
अपनी हैसियत ओ औक़ात याद रख
रोना तमाम उम्र का तेरा बेकार हो जाएगा
सब भूल जाएंगे तुम कितने अच्छे थे
सीनेसे निकलकर किधर जाएगा
तेरे बिना जी नहीं पाएंगे हम
Tumhara aana abhi baaki hai
इश्क़ 💔🥀
नाकाम मोहब्बत 🥹
बस जरा-सा रुक जाएं
सीना चीरकर उसको कैसे दिखाई जाए
बात ही कुछ ऐसी है
हमभी मर जाएंगे वो भी मर जाएंगे
मरजाएं ज़हर खाकर
नया रिश्वतखोर आएगा
थोड़ी दौलत और जुड़ जाए
ऐसा करके दिखाएं कि निंदक शर्मिन्दा हो जाएं @"बशर"
सुनने वाले को सब्र- ओ- क़रार आ जाए
भीतर बाहर उजियारा बिखर जाएगा
दम घुट जाए
रुस्वाई की किस को फ़िक्र है
खुश रहोगे तो दुश्वारियां मिट जाएंगी
प्यार में हम हर हद से गुज़र जाएंगे
ज़िंदगी को हांकना पड़ेगा उसके हालपर
खुद केलिए सच्चा रहने वाला दूसरों केलिए झूठा नहीं हो सकता
खुदसे मिलनाभी उतनाही ज़रूरी है
कहीं और कुछ और हो जाएगा
जनवरी आएगी तो माहे दिसम्बर जाएगा
कहीं भटक न जाएं हमारे क़दम
सारी क़ायनात की तस्वीर बदल जाएगी खुद बदलो तुम्हारी तक़दीर बदल जाएगी सुकून -ए-क़ल्ब अपना कायम रखो बशर बाहरके रंजो-ग़म की तासीर बदल जाएगी
हम लौटकर नहीं आएंगे
झूठी शानो -शौकत की भूलभुलैया में खोकर रह जाएंगे
किरदार रहे जिंदा बेशक मर जाएं हम
वक़्त को बुरा बताएंगे
आपकी हयात को आपसे मुहब्बत हो जाएगी
आदमी इन्सान हो जाए
कहानी
यादें ना जाए
लगे रहो मुन्ना भाई
लेख
राष्ट्रीय बालिका दिवस
जीत जाएंगे हम
विवाह कहीं आह ना बन जाए
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