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Start Date 31-Mar-21
End Date 09-Apr-21
Competition Information/Details
सभी साहित्यिक स्वजनों को सादर नमस्कार...!
हमारी आज की प्रतियोगिता हास्य व्यंग्य है। जिसके अंतर्गत आपको भेजनी है आपके लिखे हुए कोई भी हास्य व्यंग्य। कोई विषय नही है कोई बंधन नही है। सिर्फ हंसा हंसाकर सभी को लोट पोट करना है। नीचे दिए गए थोड़े से नियम हैं। तो जल्दी से लिख भेजिये हम हंसने को आतुर हैं।
लेखन से सम्बंधित महत्पूर्ण नियम :-
1. रचनाएं विषयानुसार ही लिखे.. धार्मिक राजनैतिक भावनाओं को आहत करने वाली रचना न हो।
2. यदि रचना लम्बी है तो आप उसे भाग में विभाजित कर डाल सकते है।
3. वेबसाइट पर पोस्ट करने के उपरांत अपनी रचना या उसका लिंक सोशल मीडिया पर साझा कर सकते हैं।
4. रचना पोस्ट करने के लिए एडिटिंग ऑप्शन में इवेंट का चुनाव करना न भूले।
5. रचना के साथ चित्र कोई भी सलंग्न अवश्य करें।
आप सबकी रचनाओं का स्वागत एवं इन्तज़ार रहेगा...
सार्थक लेखन हेतु अग्रिम शुभकामनाएं....
धन्यवाद
साहित्य अर्पण कार्यकारिणी।
कहानीहास्य व्यंग्य
शीर्षक: "बीयर-पार्टी"
(हास्य-कथा)
"हैप्पी बर्थडे मेरी जान!"
सुबह सुबह आये फोन को उनींदी हालत में जैसे ही सन्नी ने रिसीव किया तो उसके कानों से अपनेपन के भाव लिए निखिल की आवाज़ टकराई!
नींद से बोझिल आँखे
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अविस्मरणीय '' बीयर '' पार्टी. 😊
जी शुक्रिया सर....😂😁🙏🏻🙏🏻
कवितालयबद्ध कविता
बुढ़ौती में हमरा के लव होइ गवा…
कैसे इ जाने कब होइ गवा,
ऊ आयी,
हमरा नजर खोई गवा,
दिल से ससुरा गज़ब होइ गवा,
बुढ़ौती में हमरा के लव होइ गवा-२
राते सपने में उहि होइके आवै,
भोरे-भोरे ऊ हमका जगावै,
घरवा में कह
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कविताअतुकांत कविता
#कुछ कुछ होता है...
एक दिन आधी रात को
मैंने देखा एक सपना
आया सपने में कोई अपना
आकर बोला-
गाँव की गलियों में
नदिया किनारे,
पेड़ों की छाँव में,
कर रही है वो तेरा इन्तजार...
सुबह होते ही चल दिए हम,
पैदल-पैदल...
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कविताअतुकांत कविता
*चिंटू* *की आवाज आई** ...........
मम्मी देखो जली जली हुई सी तिरछीरोटी पापा ने बनाई.....
पापा शर्माए सकुचाए,
बोले मैं नई-नई काम पर आ ई......
मैं कुछ वेतन नहीं लूंगी,
मुझे इस घर में रहने दो मेरी माई..
मम्मी भी सकुचाई सुनकर
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कवितालयबद्ध कविता
ब्याह के लड्डू *
🌸🌸🌸🌸🌸🌸
अंगने में जा बैठी कन्या,
वर से मुँह को मोड़ के
जाओ मैं नहीं जाना
तुम संग रिश्ता जोड़ के ।
वर का तब जी घबराया
ब्याह पर कैसा संकट आया,
बोला ऐसे मुँह ना मोड़ो
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लेखआलेख
*कुछ तीर, कुछ तुक्के*
संवाद सम्प्रेषण एक कला है। संवाद, व्यक्तित्व का दर्पण होते हैं। हम चाहे किसी भी विषय पर अपने विचार व्यक्त करें, कहीं न कहीं मानव प्रकृति झलक ही जाती है।
*अक्सर देखने सुनने में
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कविताछंद
रस का नाम :- हास्य रस
विधा:- मत्तगयंद सवैया
मापनी:- 211 211 211 211 211 211 211 22
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रचना
( ०१ )
बासन माज रहे सजना सजनी चलचित्र न देख अघाती।
वासन धोकर हाथ दुखे सर हाथ रखे बलमा
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वाहहह कमाल कर दिया 🤪🤪🤗🤗8
सादर आभार वंदन आदरणीय श्री