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कद - नेहा शर्मा (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

कद

  • 185
  • 3 Min Read

एक रचना दिल की पुस्तक से
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆

अक्सर लोग तुमको कद में छोटा माप लेते हैं।
हाँ माना उम्र में छोटी हूँ मैं।
पर किसी की बेटी हूँ मैं।
ख्वाब देखना उन्होंने ही सिखाया था मुझको।
मैं बस उस ख्वाब को पंखों में बदल रही हूं।
हाँ अब उड़ रही हूं मैं
खुले आसमान में
पर यहां कुछ लोग कैंची लिए खड़े हैं।
कहते हैं उम्र में छोटे लोगों को उड़ना मना है।
पर मेरा दिल तो मंजिल पाना चाहता है।
उसने देख लिया है ख्वाब
आगे बढ़ने का
एक ख्वाब जिसमें वह अकेला नही।
लाखों करोड़ों की भीड़ शामिल है।
फिर ये उम्र....
नही अब कोई मायने नही रखती
क्योंकि आसमान मेरा है और मंजिल भी मेरी। - नेहा शर्मा ©

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Priyanka Tripathi

Priyanka Tripathi 3 years ago

सुंदर

Comrade Pandit

Comrade Pandit 3 years ago

बहुत खूब??

शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

अच्छे भाव

नेहा शर्मा3 years ago

धन्यवाद

Anujeet Iqbal

Anujeet Iqbal 3 years ago

बहुत सुंदर रचना

नेहा शर्मा3 years ago

धन्यवाद

Anujeet Iqbal

Anujeet Iqbal 3 years ago

ये मेरे बारे में क्या लिख दिया??

नेहा शर्मा3 years ago

सभी के साथ है क्या करें। हर जगह हर तरह के लोग मिलते हैं।

Anujeet Iqbal

Anujeet Iqbal 3 years ago

ये मेरे बारे में क्या लिख दिया??

Champa Yadav

Champa Yadav 3 years ago

बहुत... खूब... मैम

नेहा शर्मा3 years ago

धन्यवाद

Bhawna Sagar Batra

Bhawna Sagar Batra 3 years ago

Bahut sunder

नेहा शर्मा3 years ago

धन्यवाद

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