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Start Date 11-Jun-21
End Date 20-Jun-21
Competition Information/Details
सभी साहित्यिक स्वजनों को सादर नमस्कार...!
सपने... ये सपने अक्सर हमें जीने के लिये उस समय ललायित करते हैं जब ज़िन्दगी में कुछ विशेष नही होता तब पलकों के पर्दे पर सिमटे हमारे अपनो के कुछ सपने हमारी आँखों मे जीने की नई राह दिखाती है..!
खुशी के क्षणों में चार आँखों मे पला एक मीठा सपना हो या किसी अपने की आँख से टूटा अधूरा सपना.. जिसे हम अपनी आँखों मे फिर से संवारने की कोशिश करते है.. ज़िन्दगी में बहुत महत्व रखते हैं चलिये आज हम इन्हीं अनमोल तेरे- मेरे सपनों को अपनी लेखनी के रंगों से सजाते हैं..और बनते हैं तेरे - मेरे सपने प्रतियोगिता का हिस्सा...!
दिनाँक - 11 जून से 20 जून 2021
दिन - शुक्रवार से अगले रविवार
विषय - "तेरे- मेरे सपने"
विधा - मुक्त (किसी भी विधा मे)
लेखन से सम्बंधित महत्पूर्ण नियम :-
1. रचनाएं विषयानुसार ही लिखे.. धार्मिक राजनैतिक भावनाओं को आहत करने वाली रचना न हो।
2. यदि रचना लम्बी है तो आप उसे भाग में विभाजित कर डाल सकते है।
3. वेबसाइट पर पोस्ट करने के उपरांत अपनी रचना या उसका लिंक सोशल मीडिया पर साझा कर सकते हैं।
4. रचना पोस्ट करने के लिए एडिटिंग ऑप्शन में इवेंट का चुनाव करना न भूले।
5. रचना के साथ चित्र कोई भी सलंग्न अवश्य करें।
आप सबकी रचनाओं का स्वागत एवं इन्तज़ार रहेगा...
सार्थक लेखन हेतु अग्रिम शुभकामनाएं....
भूमिका संयोजन
पूनम बागड़िया
धन्यवाद
साहित्य अर्पण कार्यकारिणी।
कवितागजल
तुमसे मिलने का इरादा नहीं था,
किसी गैर से कोई वादा नहीं था।
किसी और की आरजू क्या कर पाते,
मैं खुद में तुमसे ज्यादा नहीं था कभी।।
©Anurag Anjaan
कविताअतुकांत कविता
न जाने कहाँ ले जाती ये नइया
""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""
मुझे तुम्हारी तारीफ ही नहीं |
तुम्हारा साथ भी चाहिए |
जिन शब्दों की,जिन भावनाओं की
तुमने तारीफ की,
उसे जमीन पर उतारने के लिए |
अभी जो शब्द बनकर सिमटा
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कविताअतुकांत कविता
तुम सुनो न सुनो
""""""""""""""""""""""""""""""
तुम सुनो न सुनो हम कह जाएँगे |
भले जुबाँ न खुले आँखों से बह जाएँगे |
सुननेवाले तब भी सुनेंगे |
परदे के भीतर से भी आँखों में झाँक जाएँगे |
जरूरी नहीं कि जोर से चिल्लाऊँ |
जिनका
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कवितागजल
रस्ता मिल जाता है पर मकाम आसान नहीं होते
भटकना जरूर पर दुखी मन वीरान नहीं होते।
हर एक कदम में टूटेगा हौसला मंजिल तक
यही तो कामयाब जिंदगी है, हैरान नहीं होते।
तेरी जिंदगी तुझे धूल चटा देगी
ना बना
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कविताअतुकांत कविता
बिना पूछे सबकुछ बता देते हैं
"""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""
कवि मौन है |
किताबों में ही गौण है |
अब कौन पूछता है
तुम कौन हो ?
सब खुद ही जान लेते हैं
किताबों में जो लिखा है |
उसे ही मान लेते हैं |
सवाल सामने आने से
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कविताअतुकांत कविता
बिना पूछे सबकुछ बता देते हैं
"""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""
कवि मौन है |
किताबों में ही गौण है |
अब कौन पूछता है
तुम कौन हो ?
सब खुद ही जान लेते हैं
किताबों में जो लिखा है |
उसे ही मान लेते हैं |
सवाल सामने आने से
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कवितालयबद्ध कविता
कई एहसास बिन बताए ही
ख्वाबों में आकर,
गुफ्तगू करके चले गए।
थकी थकी पलकें
यूँ मुरझाई पलकें
ढक लेती हैं
जब जब आंखों को आहिस्ते से
तो ख्वाबों की दुनिया का
एक दरवाज़ा खुलता है
वो जहां अनजान लगता है
समुद्र
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कविताअतुकांत कविता
सपने मनु शतरूपा के
कभी मिले थे हम तुम
नादान थे अनजान थे
सच में हम थे दो दीवाने
खुली आँखों के वे सपने
तेरे मेरे नहीं, वे थे अपने
*सुदूर फैली वादियों में
फूलों का शहर छोटा सा
पेड़ो के झुरमुठ से घिरा
प्यारा
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कवितालयबद्ध कविता
तेरे मेरे सपने
❤❤❤❤❤
मिलन की मधुरिम बेला में
खिलेगा जब वो चाँद गगन ।
कम्पित अधरों की भाषा को
समझेंगे चुपचाप नयन ।
सपनों के कुछ दीप लिये
हम एक-दूजे में होंगे मग्न ।
तुम मेरी आंखें पढ़ लेना
मैं
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सुविचारअनमोल विचार, प्रेरक विचार
“वो गरीब गरीब कह कहकर, खुद अमीर बन जातें हैं,
जो गरीब का वोट छीनकर नेता गरीब के बन जातें है।
कौन शासक से कहेगा, कौन उसको समझाएगा?
जब हर एक गरीब परिवार, भूखा ही मर जाएगा?
5 वर्ष की इस घड़ी में क्या अब कोई
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कवितालयबद्ध कविता
तेरे मेरे सपने
काश वो दिन फिर लौट आये,
हम-तुम मिलकर सपनों के।
फिर से सुंदर महल बनाये,
हम तुम मिलकर इसे सजाये।
कबूतरों की तरह गुटरगूं करें हम,
मैं तुम और तुम मैं हो जाएं।
तेरे मेरे सारे सपने सच हो
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कवितालयबद्ध कविता
तेरे मेरे सपने
काश वो दिन फिर लौट आये,
हम-तुम मिलकर सपनों के।
फिर से सुंदर महल बनाये,
हम तुम मिलकर इसे सजाये।
कबूतरों की तरह गुटरगूं करें हम,
मैं तुम और तुम मैं हो जाएं।
तेरे मेरे सारे सपने सच हो
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लेखआलेख
बात तकरीबन 10 वर्ष पहले की है जब मैं शारिरिक रूप से काफी अस्वस्थ थी।घर में मैं,मेरी बहन मॉं और पापा।
भाई पढाई के सिलसिले में हैदराबाद रहता था।मेरी बहन परछाई की तरह मेरे साथ रहती थी,मेरी हर परेशानी
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कहानीअन्य
छोटु चाय वाला
शर्मा जी इंदौर से भोपाल जा रहे थे ,रास्ते में बस रुकी तो शर्मा जी को लगा की नास्ते के लिए अच्छी जगह है, वो वही रुक कर चाय पी रहे थे ,उन ने देखा कि एक १० साल का बच्चा सब को नास्ता दे रहा
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