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Sahitya Arpan Competition - शब्दाक्षरी - फूल
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शब्दाक्षरी - फूल

Competition Stats

  • #Entries 7

  • #Likes 11

  • Start Date 11-May-21

  • End Date 25-May-21

  • Competition Winners

    Writer Rank Certificate
    Madhu Andhiwal First Certificate

    Competition Information/Details

    नोट : Participation से पहले कृपया ऊपर दाहिने हाथ पर बने लॉगिन पर क्लिक कर लॉगिन अवश्य कर लें।
    सभी साहित्यिक स्वजनों को सादर नमस्कार...!

    हमारी आज की प्रतियोगिता शब्दाक्षरी है। जो हज़ारों भाव समेटे हुए है। बस आपको उन भाव को पकड़ना है और अपनी रचना में सहेजना है। यह आप पर निर्भर करेगा कि आप उन भाव को किस रूप में सँजोते हैं। चलिये परखते हैं आपकी कलम को और उनसे निकले भाव को। देखते हैं आप सभी की कलम इस चित्र के लिए कितना खरी उतरती है। इंतज़ार रहेगा आप सभी की रचनाओं का।

    लेखन से सम्बंधित महत्पूर्ण नियम :-

    1. रचनाएं विषयानुसार ही लिखे.. धार्मिक राजनैतिक भावनाओं को आहत करने वाली रचना न हो।

    2. यदि रचना लम्बी है तो आप उसे भाग में विभाजित कर डाल सकते है।

    3. वेबसाइट पर पोस्ट करने के उपरांत अपनी रचना या उसका लिंक सोशल मीडिया पर साझा कर सकते हैं।

    4. रचना पोस्ट करने के लिए एडिटिंग ऑप्शन में इवेंट का चुनाव करना न भूले।

    5. रचना के साथ चित्र कोई भी सलंग्न अवश्य करें।

    आप सबकी रचनाओं का स्वागत एवं इन्तज़ार रहेगा...
    सार्थक लेखन हेतु अग्रिम शुभकामनाएं....

    धन्यवाद
    साहित्य अर्पण कार्यकारिणी।

    कविताअन्य

    फूल

    • Edited 3 years ago
    Read Now

    💐फूल💐

    फूलों की क्यारी प्यारी - प्यारी।
    रंग बिरंगे प्यारे -प्यारे ,
    सुन्दर- सुन्दर न्यारे - न्यारे ,
    रूप अलग है रंग अलग है ,
    फिर भी एक कहाते क्या ? फूल...

    जीवन महकाते सबको भाते ,
    भौंरे और तितली को देखो
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    मोहक रचना.!

    Vineeta Lawania2 years ago

    ☺️धन्यवाद जी

    कवितालयबद्ध कविता

    फूल 🌸

    • Edited 3 years ago
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    फूल
    🌸🌸🌸🌸🌸

    जीवन की रंगीं फुलवारी में,
    मन की हर एक क्यारी में
    जब सपने सलोने बसते देखे।
    भावों के फूल विहँसते देखे।।
    🌸
    सुख-दुख की अमिट रवानी में,
    बनती हर नयी कहानी में
    सजल नयन जब हंसते देखे।

    Read More

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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    सुन्दर रचना

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    सुन्दर रचना

    Vineeta Lawania

    Vineeta Lawania 3 years ago

    बहुत सुंदर

    Pallavi Rani3 years ago

    हार्दिक आभार 🙏

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    बहुत खूब

    Pallavi Rani3 years ago

    सादर धन्यवाद 🙏

    कहानीलघुकथा

    जुड़वाँ फूल

    • Edited 3 years ago
    Read Now

    जुड़वा फूल
    -----------
    रमन और सोनी की मित्रता पूरे कालिज में चर्चित थी । एक पवित्र प्रेम का अद्भुत संगम । कुछ लोगो को तो विश्वास ही नहीं होता था कि इस पाश्चात्य रंग में रंगी दुनिया में इतना निर्मल गंगाजल
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    वाह काफी सकारात्मक

    Madhu Andhiwal3 years ago

    धन्यवाद

    कवितालयबद्ध कविता

    देखा जो एक फूल को फूल बेचते हुए

    • Edited 3 years ago
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    जाना था कहीं और, क़दम बढ़े उधर मेरे
    देखा जो एक फूल को फूल बेचते हुए।

    थर्राकर रूह ज़िस्म से जाने लगी मेरे,
    देखा जो एक फूल को फूल बेचते हुए।

    पसीने भी चमक उठे, पेशानी पे मेरे,
    देखा जो एक फूल को फूल बेचते हुए।

    चिंगारी
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    बहुत सुन्दर रचना

    Chandan kumar Jha2 years ago

    आभार

    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    वाह अति सुंदर

    Chandan kumar Jha2 years ago

    आभार

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 3 years ago

    वाह बहुत खूब कृपया profile फ़ोटो जरूर लगा लीजियेगा

    Chandan kumar Jha2 years ago

    आभार।

    कहानीलघुकथा

    हार जीत

    • Edited 3 years ago
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    एक दिन खियांबें में एक फूल खिला। हिचकिचाया हुआ, मुरझाया हुआ वो ऊपर उठा। जब वो खिला तो उसकी पंखुड़ियां आधी अधूरी। कोई मुड़ी हुई , कोई टूटी हुई। रंग भी उसका कुछ खास नही था। जब बाकी के हंसते, मुस्कुराते
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    Madhu Andhiwal

    Madhu Andhiwal 2 years ago

    बहुत सुन्दर

    शिवम राव मणि2 years ago

    शुक्रिया

    सीमा वर्मा

    सीमा वर्मा 3 years ago

    अच्छी रचना

    शिवम राव मणि3 years ago

    धन्यवाद

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    भावपूर्ण रचना

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया सर

    SHAKTI RAO MANI

    SHAKTI RAO MANI 3 years ago

    khtrnak

    शिवम राव मणि3 years ago

    शुक्रिया

    कविताअतुकांत कविता

    मैं फूल हूँ

    • Edited 3 years ago
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    *मैं फ़ूल हूँ*

    *प्रकृति की सौगात अनुपम
    रंग बिरंगा मनमोहक मैं
    बगिया की हूँ शान अनोखी
    जर्रा जर्रा महका देता मैं
    जहाँ कहीं भी रहता हूँ
    *गुलदस्ता बनकर के मैं
    स्वागत सब का करता हूँ
    वेणी में गुथकर लहराता
    नारी
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    सुंदर

    कवितालयबद्ध कविता

    फूल सदा मुस्काता है।

    • Edited 3 years ago
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    ओ पथिक सुनो! जरा ठहरो ,
    कुछ क्षण बैठो पास मेरे
    किंचित् जो कुछ मै कहती हूँ
    उसपर हैं अधिकार तेरे

    हम अपनी खुश्बू फैलाते
    बच्चे, बूढ़े खुश हो जाते
    भ्रमरों के हम सच्चे साथी
    कर रस - पान सुयश गुण गाते
    सबमें
    Read More

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