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Start Date 11-May-21
End Date 25-May-21
Writer | Rank | Certificate |
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Madhu Andhiwal | Certificate |
Competition Information/Details
नोट : Participation से पहले कृपया ऊपर दाहिने हाथ पर बने लॉगिन पर क्लिक कर लॉगिन अवश्य कर लें।
सभी साहित्यिक स्वजनों को सादर नमस्कार...!
हमारी आज की प्रतियोगिता शब्दाक्षरी है। जो हज़ारों भाव समेटे हुए है। बस आपको उन भाव को पकड़ना है और अपनी रचना में सहेजना है। यह आप पर निर्भर करेगा कि आप उन भाव को किस रूप में सँजोते हैं। चलिये परखते हैं आपकी कलम को और उनसे निकले भाव को। देखते हैं आप सभी की कलम इस चित्र के लिए कितना खरी उतरती है। इंतज़ार रहेगा आप सभी की रचनाओं का।
लेखन से सम्बंधित महत्पूर्ण नियम :-
1. रचनाएं विषयानुसार ही लिखे.. धार्मिक राजनैतिक भावनाओं को आहत करने वाली रचना न हो।
2. यदि रचना लम्बी है तो आप उसे भाग में विभाजित कर डाल सकते है।
3. वेबसाइट पर पोस्ट करने के उपरांत अपनी रचना या उसका लिंक सोशल मीडिया पर साझा कर सकते हैं।
4. रचना पोस्ट करने के लिए एडिटिंग ऑप्शन में इवेंट का चुनाव करना न भूले।
5. रचना के साथ चित्र कोई भी सलंग्न अवश्य करें।
आप सबकी रचनाओं का स्वागत एवं इन्तज़ार रहेगा...
सार्थक लेखन हेतु अग्रिम शुभकामनाएं....
धन्यवाद
साहित्य अर्पण कार्यकारिणी।
कहानीलघुकथा
जुड़वा फूल
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रमन और सोनी की मित्रता पूरे कालिज में चर्चित थी । एक पवित्र प्रेम का अद्भुत संगम । कुछ लोगो को तो विश्वास ही नहीं होता था कि इस पाश्चात्य रंग में रंगी दुनिया में इतना निर्मल गंगाजल
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कवितालयबद्ध कविता
जाना था कहीं और, क़दम बढ़े उधर मेरे
देखा जो एक फूल को फूल बेचते हुए।
थर्राकर रूह ज़िस्म से जाने लगी मेरे,
देखा जो एक फूल को फूल बेचते हुए।
पसीने भी चमक उठे, पेशानी पे मेरे,
देखा जो एक फूल को फूल बेचते हुए।
चिंगारी
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वाह बहुत खूब कृपया profile फ़ोटो जरूर लगा लीजियेगा
आभार।
कविताअतुकांत कविता
*मैं फ़ूल हूँ*
*प्रकृति की सौगात अनुपम
रंग बिरंगा मनमोहक मैं
बगिया की हूँ शान अनोखी
जर्रा जर्रा महका देता मैं
जहाँ कहीं भी रहता हूँ
*गुलदस्ता बनकर के मैं
स्वागत सब का करता हूँ
वेणी में गुथकर लहराता
नारी
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कवितालयबद्ध कविता
ओ पथिक सुनो! जरा ठहरो ,
कुछ क्षण बैठो पास मेरे
किंचित् जो कुछ मै कहती हूँ
उसपर हैं अधिकार तेरे
हम अपनी खुश्बू फैलाते
बच्चे, बूढ़े खुश हो जाते
भ्रमरों के हम सच्चे साथी
कर रस - पान सुयश गुण गाते
सबमें
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