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Sahitya Arpan Competition - कहानियाँ किरदारों में ढलती हुई
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कहानियाँ किरदारों में ढलती हुई

Competition Stats

  • #Entries 10

  • #Likes 17

  • Start Date 22-Mar-21

  • End Date 28-Mar-21

  • Competition Information/Details

    सभी साहित्यिक स्वजनों को सादर नमस्कार...!

    हमारी आज की प्रतियोगित कहानियाँ ही है। जिसके अंतर्गत आपको भेजनी है आपकी लिखी हुई कोई भी कहानी। कोई विषय नही है कोई बंधन नही है। सिर्फ कहानी लिखनी है और नीचे दिए गए थोड़े से नियम हैं। तो जल्दी से लिख भेजिये।

    जानकारी :

    पहले विजेता को 500 रुपये दिए जाएंगे। विजेता निर्णायक मंडल तय करेगा। परन्तु निर्णायक मंडल द्वारा दिये गए निर्णय में आपके लाइक व्यू और कॉमेंट के नम्बर भी शामिल किए जाएंगे। 1 लाइक = 1 नम्बर, 1 कॉमेंट = 5 नम्बर, 1 व्यू = 10 नम्बर, निर्णायक मंडल में पास की गई रचना के 50 नम्बर।

    लेखन से सम्बंधित महत्पूर्ण नियम :-

    1. रचनाएं विषयानुसार ही लिखे.. धार्मिक राजनैतिक भावनाओं को आहत करने वाली रचना न हो।

    2. यदि रचना लम्बी है तो आप उसे भाग में विभाजित कर डाल सकते है।

    3. वेबसाइट पर पोस्ट करने के उपरांत अपनी रचना या उसका लिंक सोशल मीडिया पर साझा कर सकते हैं।

    4. रचना पोस्ट करने के लिए एडिटिंग ऑप्शन में इवेंट का चुनाव करना न भूले।

    5. रचना के साथ चित्र कोई भी सलंग्न अवश्य करें।

    आप सबकी रचनाओं का स्वागत एवं इन्तज़ार रहेगा...
    सार्थक लेखन हेतु अग्रिम शुभकामनाएं....

    धन्यवाद
    साहित्य अर्पण कार्यकारिणी।

    कहानीसंस्मरण

    काकी

    • Edited 3 years ago
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    "काकी..ओ काकी!" बुआ जी की आवाज़ें जोर पकड़ने लगी।"अरे गई रे काकी, अत्ती जल्दी काईं ही जो तू चली गी। "
    घर के पिछले हिस्से में गायों के छप्पर के पास, घास-फूस की छोटी सी झोंपड़ी थी उसी में काकी रहा करती।गाय,
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    Megha Pathak

    Megha Pathak 3 years ago

    बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति और मन को लुभाने वाली कहानी के अंत तक मनोरंजन करती है

    Meeta Joshi3 years ago

    धन्यवाद मेघा जी🙏💐

    Kavita Sharma

    Kavita Sharma 3 years ago

    मर्मस्पर्शी रचना 👌👌👌👌

    Meeta Joshi3 years ago

    अपने व्यस्त जीवन में से कुछ चंद लम्हे मेरी कहानी को देने के लिए आभार🙏💐

    Ashok Kumar

    Ashok Kumar 3 years ago

    Bahut sundar rachna 👌👌

    Meeta Joshi3 years ago

    धन्यवाद मामा।अच्छा लगा आपका comment देख कर🙏

    Himani Chaturvedi

    Himani Chaturvedi 3 years ago

    Khoobsurat

    Meeta Joshi3 years ago

    Thanks🙏❤️

    Bina Chaturvedi

    Bina Chaturvedi 3 years ago

    भावपूर्ण रचना

    Meeta Joshi3 years ago

    धन्यवाद🙏🌺

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    ख़ूबसूरती से लिखी हुई. ह्रदयस्पर्शी, भावपूर्ण रचना..

    Meeta Joshi3 years ago

    धन्यवाद सर। इसी तरह प्रोत्साहन करते रहिए।🙏

    Mukesh Joshi

    Mukesh Joshi 3 years ago

    बहुत खूबसूरती से काकी के ज़ज़्बातों को बयां किया है।👍

    Meeta Joshi3 years ago

    🙏❤️शुक्रिया

    Shivangi lohomi

    Shivangi lohomi 3 years ago

    Beautiful story❤️❤️😍👌👏👏👏

    Meeta Joshi3 years ago

    हमेशा की तरह आज भी मुझसे जुड़ उत्साहवर्धन करने के लिए दिल से धन्यवाद।

    Seema Pande

    Seema Pande 3 years ago

    सुंदर रचना 👌🏽

    Meeta Joshi3 years ago

    धन्यवाद🙏🌺

    Girish Upreti

    Girish Upreti 3 years ago

    हर इंसान अपना वज़ूद बनाने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार रहता है।काकी भी इससे अछूती नहीं थी।कहानी में हास्य के साथ मार्मिकता भी है।

    Meeta Joshi3 years ago

    आपको पसंद आई शुक्रिया।उम्मीद है कुछ पुराने लोग आपको भी याद आए होंगे।

    कविताअतुकांत कविता

    न्याय इतनी दूर क्यों ?

    • Edited 3 years ago
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    न्याय इतनी दूर क्यों ?
    ;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;
    न्याय की तकरीर बनती है शब्दों के तकरार से
    पर लिखे जाते हैं फैसले आज भी तलवार से |
    लिखी जाती इबारतें कलम से पन्नों पर |
    पर उस कलम की भी कीमत होती है |
    लिखनेवाले हाथ
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    कविताअतुकांत कविता

    न्याय इतनी दूर क्यों ?

    • Edited 3 years ago
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    न्याय इतनी दूर क्यों ?
    ;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;
    लिखी जाती इबारतें कलम से पन्नों पर |
    पर उस कलम की भी कीमत होती है |
    लिखनेवाले हाथ यूँ ही नहीं चलते
    उन हाथों में ऊर्जा भरने की मिन्नत होती है |
    इन इमारतों की दीवारें
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    कहानीलघुकथा

    अंतर्द्वंद

    • Edited 3 years ago
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    अंतर्द्वंद....

    अजीब अंतर्द्वंद निशा के सामने का वह क्या फैसला ले समझ नहीं पा रही थी।आज वही लोग उसके सामने झोली फैलाए बैठे थे जिनसे कभी उसने रो-रो कर उसे अपनाने की भीख माँगी थी वह समझ नहीं पा रही थी
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    कहानीप्रेम कहानियाँ, लघुकथा

    दोस्ती

    • Edited 3 years ago
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    दोस्ती---
    -------
    अमला एक शिक्षित महिला थी । अच्छा परिवार दो बड़े बच्चे अच्छा पति सब कुछ तो था उसकी जिन्दगी में । वह स्वतंत्र विचारो की महिला होने के साथ साथ अपने परिवार को पूरी तरह समर्पित थी । वह एक सामाजिक
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    कहानीसामाजिक, प्रेरणादायक, लघुकथा

    स्टैटस- एक और लौकडाउन *

    • Edited 3 years ago
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    *स्टैटस-एक और लौकडाउन *
    ***************************

    मार्च 2020, कोरोना काल-सुनी सडकें, सुने खेल के मैदान, बंद दुकानें, बंद स्कुल, चारों तरफ पसरा सन्नाटा। सरकार ने लौकडाउन की घोषणा कर दी है। बड़े- बूढे, बच्चे सभी घर में
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    Bhavya Bhushan

    Bhavya Bhushan 3 years ago

    Very nice..🌹❤

    Pallavi Rani3 years ago

    thank you❤

    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    बहुत सुन्दर, भावपूर्ण और मर्मस्पर्शी...! मन की अभिव्यक्ति ऐसे में बहुत आवश्यक है..!

    Pallavi Rani3 years ago

    सादर आभार आदरणीय 🙏

    Chaudhary Saurabh

    Chaudhary Saurabh 3 years ago

    Achi h....

    Pallavi Rani3 years ago

    thank you

    कहानीप्रेरणादायक

    कईएक पहलू जीवन के.....!!

    • Edited 3 years ago
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    ___________________________________________
    कईएक पहलू जीवन के….??
    …… …….. ……. ……….

    निश्तेज चेहरा, आंखें धसी हुई, शरीर का ढांचा जैसे कोई नरकंकाल यही हाल था उस वक्त बृजकिशोर का।
    बृजकिशोर बलिष्ट शरीर जैसे कोई बॉडीबिल्डर,
    गोरा चिट्टा
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    Pallavi Rani

    Pallavi Rani 3 years ago

    अच्छी रचना

    पं. संजीव शुक्ल 'सचिन'3 years ago

    जी सादर अभिवादन सहित नमन आदरणीया

    लेखआलेख

    भारत को ईश्वर नहीं ऐश्वर्य चाहिए

    • Edited 3 years ago
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    भारत को ईश्वर नहीं ऐश्वर्य चाहिए |
    ;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;
    बहुत हो गयी ईश्वर की चर्चा और ईश्वर के नाम की पूजा | अब ऐश्वर्य की पूजा का समय है | क्योंकि हमारा ईश्वर सदा इसी ऐश्वर्य में खोया है | वहीं से वह हमे
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    कहानीलघुकथा

    #"फर्ज"

    • Edited 3 years ago
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    #फर्ज
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    सुनिए तो ये लिस्ट लेते जाना किराने के सामान की...बबिता ने राजेश को एक लिस्ट देते हुए कहा
    पापा मेरी चाँकलेट....बेटा बोला...
    पापा मेरे लिए चिप्स....बडी़ बेटी बर्षा सर हिलाते
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    Champa Yadav

    Champa Yadav 3 years ago

    कथा अच्छी है पर...लॉकडाउन,दूँ,हँसते, हाँ,माँ, मोड़,पढ़,आएँगे...सही कर लीजिएगा।

    Rajesh Kr. verma Mridul3 years ago

    🙏🙏

    Ankita Bhargava

    Ankita Bhargava 3 years ago

    सर कहानी के साथ अपनी नहीं रचना से जुड़ी कोई और तस्वीर लगाएं

    Rajesh Kr. verma Mridul3 years ago

    जी बिल्कुल आदरणीया

    कहानीप्रेम कहानियाँ

    डायरी में रखे मोरपंख

    • Edited 3 years ago
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    डायरी में संजोए मोरपंख

    मधुरिमा ,बेटे के प्रोजेक्ट हेतु अपना खज़ाना खंगालने लगी। हाथ में आ गई अपने प्रिय दोस्त श्रेयस द्वारा भेंट की गई डायरी। और एक मोर पंख आ गिरा आँचल में। अभी तक ज्यों का त्यों
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    भावपूर्ण रचना