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"हुआ"
कविता
है खोफ मंजर फैला हुआ
हुआ जा रहा गड़बड़झाला
बहुत हुआ कि अब कुछ कहा नहीं जाता
यह साल कैसा रहा #2020
अच्छा हुआ
बहुत उम्मीद है
किरकिरा हुआ काजल
माँ की एक अलग दुनिया हुआ करती है।
यूँ तो मेरा क़त्ल हुआ है।
नव - प्राण हुआ
वक्त का मारा हुआ
यादों का आभास हुआ मुझ में
तुम्हारे साथ गुजारा हुआ वक्त
सवेरा हुआ सवेरा हुआ
*आख़िर तेरे शहर में आना हुआ*
बस एक आप।
उजालों के भी अदब हुआ करते हैं
रौशनाई के भी अपने उसूल ओ अदब हुआ करते हैं
*मुस्कुराए हुए ज़माना हुआ*
*अहसासे-फुर्क़त हुआ हदे- हयात से निकलकर*
*ज़रूरी राब्ते निभाना हुआ*
आदमी मैं मरा हुआ हूँ
क्या हुआ हासिल अमीर होकर
*हम हुए वैसा ग़रीब न हुआ*
*वक़्त वस्ले-यार में गजारा हुआ*
विसाले-यार न हुआ
मछलियों को बहुत गुमान हुआ है
जीना हमको गवारा न हुआ
जिंदा होने का अहसास हुआ
दवा से ज्यादा असर दुवा से हुआ
राह-ए-सफ़र मिलने वाले रहबर नहीं हुआ करते
हुआ मशहूर हयात में
ज़माने ने जैसा समझा वैसा हुआ मैं
ज़िन्दगी को ठहरा हुआ देखा है
बर्बाद ज्यादा हुआ बचा कम है
जज़्बातों की उम्र हुआ करती है
फ़जूल हुआ स्कूल जाना
शजर बड़ा उदास हुआ
मोहक उनका दीदार ज्यादा हुआ
जीतने वाला साबित हुआ
दोज़ख से कम नहीं हुआ करता है
घर में हुआ आलोक
मैं तेरा दीवाना हुआ
बाद मरने के क्यूं ज़माना मेरा दीवाना हुआ
अपना पीछा करते हुए अरसा हुआ
लिखा हुआ बदल नहीं सकते
साया अखबारों में नाम हुआ करते थे
हमको न हुआ नसीब साया-ए-सुकूने-क़ल्ब
मीर सा नहीं काबिले-बिल-क़स्द ओ कामिल हुआ
चिंतन मनन वांछित से आधा हुआ है
आज में गुज़रा हुआ कल ढूंढते हो
गांव आजभी है दिल में मेरे बसा हुआ
भरा मन हल्का हल्का
मुझ से मुझ तक का फासला ना मुझसे तय हुआ
दाख़िल घर में ठंडक लेकर दिसम्बर हुआ
ठंडा हरेक मंज़र हुआ
कहानी
डर
टोटका
"खोया हुआ आदमी "
लेख
सहमा हुआ इतिहास
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