मेरा नाम ज्योति सरोज है मैं एक दिव्यांगना लेखिका हूं मैं अपने शब्दों के जरिए अपनी पहचान बनाने की साधना में लगी हुई हूं मुझे समाज में पनप रही बुराई पर और महिलाओं की हर समस्या पर कहानी और उपन्यास लिखना पसंद है मेरा मानना है कि व्यक्ति के शब्द वह अचूक हथियार है जिनका अगर सावधानी से इस्तेमाल किया जाए तो वह दुनिया जीत सकता है
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London is the capital city of England.
कवितागजल, दोहा, छंद, चौपाई
लाखों सवालों की झड़ी लगी है
बात मान पर खड़ी लगी है
रुको गलतियां करने से
तो उन्हें जबरदस्ती बड़ी लगती है
ना रुको तो उन्हें यह खुदगर्जी बड़ी लगती है
सौ बात की एक बात यही है
यह रिश्ता प्यार का है
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कवितानज़्म, गजल
बेजुबान सी ख्वाहिश है
बीते वक्त में लौट जाने की चाहत है
जाहिर है यह नमकीन सी ख्वाहिश है
फिर भी एक उम्मीद से ए जिंदगी
तुझे लिखा हर खत में
मेरी अश्क शामिल है
कहानीएकांकी, प्रेरणादायक, लघुकथा
बहुत समय पुरानी बात है किसी राज्य में एक राजा रानी रहते थे उनके कोई संतान नहीं थी और जो भी संतान पैदा होती वह तुरंत मृत्यु को प्राप्त हो जाती बड़ी मन्नत के बाद जब उनके यहां एक पुत्र पैदा हुआ तो उन्होंने
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कवितानज़्म, गजल
अश्कों की नमी मुबारक
अगर मुद्दतों बाद उनसे मिलने पर आए
रिश्तो की कमी मुबारक
जो दर्द में शामिल ना हो पाए
उससे टूट कर बिखर जाने का
हर जख्म मुबारक
जो मोहब्बत में मोहम्मद सा
कामिल ना हो पाए