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कवितानज़्मगजलअन्य
उनके चेहरे पर ढलते वक्त की स्याही मुझे कुछ यूं सताती है एक दर्द दिल में था और कुछ अशक मेरी आंखों मैं दे जाती है यह कैसी कशमकश है अंजाम सब का आखिरी यही अंधेरा है फिर भी यह बात मन को दहला जाती है