कहानीएकांकीप्रेरणादायकलघुकथा
बहुत समय पुरानी बात है किसी राज्य में एक राजा रानी रहते थे उनके कोई संतान नहीं थी और जो भी संतान पैदा होती वह तुरंत मृत्यु को प्राप्त हो जाती बड़ी मन्नत के बाद जब उनके यहां एक पुत्र पैदा हुआ तो उन्होंने अपने ज्योतिषी से पूछा कि महाराज इसकी आयु कितनी है इसकी मृत्यु कैसे होगी तब उन्होंने भविष्यवाणी की कि मैं आपको इसकी आयु कितनी है यह नहीं बता सकता पर यह अवश्य बता सकता हूं कि इसकी मृत्यु किसी के द्वारा दिए जहर से होगी यह जानकर राजा रानी बहुत भयभीत हो गए और उन्होंने तय किया कि अपने पुत्र तक जाने वाली हर चीज को पहले वह चक्कर जांच करेंगे तभी उनके पुत्र को खिलाएंगे और वह हर रोज ऐसा करने लगे समय बिता गया और उनके पुत्र एक साल का हो गया तभी अचानक उन्होंने देखा कि उनका पुत्र बीमार रहने लगा है उन्होंने अपने पुत्र का बहुत सी जगह पर इलाज कराया पर कोई हल नहीं मिला आखिर में उनके पुत्र की मौत हो गई और पुत्र शॉप में विह्वल होकर रानी राजा ने भी अपनी प्राण त्यागी और सर पूछ कर भगवान से बोले कि भगवान हम तो अपने पुत्र तक जाती हर चीज को स्वयं चक्कर उसे खिलाती थी तो उसकी मृत्यु कैसे हो गई तो भगवान ने उससे कहा कि आपने अपने पुत्र को हर बाहरी विष से तो बचा लिया पर असली विश तो आप स्वयं उसे दे रहे थे अर्थात एक संतान के लिए असली खतरा वह नहीं जो इस दुनिया में उसके सामने आता है असली खतरा उसके मां-बाप का वह प्रेम रूपी मोह है जो उसे हर खतरे से बचाने की इच्छा रखते हुए उसे किसी खतरे से लड़ने के लायक ही नहीं बनने देता इसलिए मां-बाप को बच्चों को खतरे से दूर रखने की बजाय हर खतरे से लड़ना सीखना चाहिए यही