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कवितानज़्मगजल
अश्कों की नमी मुबारक अगर मुद्दतों बाद उनसे मिलने पर आए रिश्तो की कमी मुबारक जो दर्द में शामिल ना हो पाए उससे टूट कर बिखर जाने का हर जख्म मुबारक जो मोहब्बत में मोहम्मद सा कामिल ना हो पाए