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कवितागजलदोहाछंदचौपाई
लाखों सवालों की झड़ी लगी है बात मान पर खड़ी लगी है रुको गलतियां करने से तो उन्हें जबरदस्ती बड़ी लगती है ना रुको तो उन्हें यह खुदगर्जी बड़ी लगती है सौ बात की एक बात यही है यह रिश्ता प्यार का है या नफरत का अपनी हद बनाए रखना ही सही है