कहानीसामाजिकव्यंग्यप्रेरणादायकलघुकथा
मैं अक्सर चुप-चुप रहती हूं ज्यादा बोलना मुझे पसंद नहीं मेरे लिए दुनिया दुरंगी सी है एक और सुनहरी तो दूसरी और अंधेरी सी है नहीं नहीं मैं दुनिया की सोच की बात नहीं कर रही मैं तो उसे टांगे की बात कर रही हूं जो लोगों ने मुझे दिया है दिव्यांगना जिसे दिखाई नहीं देता पर मुझे दिखाई देता है पर एक आंख से लेकिन दुनिया के लिए अधूरा होना न होने के बराबर ही होता है मेरी जंग हमेशा जारी रहती है कभी दुनिया से तो कभी मोहल्ले की उन आंटी से जो किसी मकड़ी की तरह मेरे आस-पास उन सवालों का जाल बोलना कभी नहीं भूल पाती जो मुझे कभी पसंद नहीं आए जैसे अच्छा बेटा क्या कर रही हो कौन सी क्लास में हो तभी मैं कुछ दांत पीसते हुए जवाब दिया नहीं आंटी मेरी पढ़ाई पूरी हो चुकी है तो क्या करना है कुछ नहीं आंटी बस जीने की कोशिश करनी है आप जैसे लोगों के सालों के साथ मैंने अपने मन में कहा और यह कहते हुए मैं उस समझदार इंसान की तरह चुप हो जाती जिसे मूर्खों के सामने चुप रहने में ही समझदारी महसूस होती है और वह मेरी तरफ इशारा करते हुए दूसरे से कहते अरे तुम्हें पता है बड़ी होशियार है लड़की पर बेचारी क्या करें भगवान निर्णय कर दिया और यह कहते हुए वह और वह दूसरी आंटी कवि सम्मेलन चालू कर देती और उनके ऐसा कहते ही मेरे मन में यह लड़ाई शुरू हो जाती कि मैं उनके हर बार के सवाल का परेशान होकर जवाब देकर चुप कराऊं या वह बड़ी है यह सोचकर चुप हो जाऊ और मैं खामोश हो जाती
मेरे से अक्सर घर में कुछ ना कुछ टूट जाता है तब मेरी मां कहती है तुम क्यों कर रही थी मुझसे कह देती हमारे होते हुए तुम्हें करने की क्या जरूर उसे पर मैं कहती अगर मैं सीखूंगी नहीं तो अपना ध्यान कैसे रखूंगी आप सबको तो नहीं मना करती तो मुझे क्यों उस मां कहती सबको नहीं पर जो घर का कमजोर बच्चा होता है और यह कहते-रहते उन्हें याद आ जाता कि मुझे कमजोर और बेचारी दोनों सबसे नफरत है पर सच तो यही है वह यह परिवार का अन्य सदस्य कमजोर और बेचारी शब्द का इस्तेमाल नहीं करते क्योंकि मुझे बुरा लगेगा पर वह मानते मुझे यही है मां बक्सर जब मुझे यह कहती है कि तुम्हारे लिए भी कोई राजकुमार ढूंढ देंगे जो तुम्हारा ख्याल रखेगा और उनके ऐसे कहने पर मैं गुस्सा हो जाती हूं और कह देती हूं कौन करेगा मुझसे शादी क्या आप करेंगे अपने संपूर्ण बेटे की शादी एक अंधी लड़की से और मां कुछ चुप हो जाती कोई क्यों करेगा किसी ऐसी लड़की से शादी जो दुनिया की नजरों में सबसे कमजोर है जो अपना ख्याल भी नहीं रख सकती क्योंकि लोगों को संभालने वाला इंसान चाहिए होता है वह नहीं जिसे उन्हें संभालना पड़े उसे पर मां कहती सब ऐसे नहीं होती कुछ अच्छे भी तो होंगे हां क्यों नहीं पर वह दो शर्तों पर ही ऐसा जोखिम उठाएंगे या तो मुझ पर संपत्ति बहुत हो या तो वह कमजोर बहुत है और मेरे ऐसा कहने पर मां के चेहरे पर कुछ मिली जुली भाव नजर आ जाती मानो जैसे वह मुझे समझदा और मजबूत र मानकर गर्भ भी महसूस कर रही हूं और दुनिया की सच्चाई देखकर दुखी भी हो रही हो और उनकी आंखें गंभीर हो जाती और उनकी गंभीर आंखों को देखकर मैं सिर्फ इतना कह कर बात को खत्म कर दी थी कि मुझे सहारे की जरूरत नहीं अगर कोई साथ दे सके तो स्वागत है क्योंकि सारे देने वाली अक्सर थक जाते हैं