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"पहचान"
कविता
बलम (पंजाबी)
साहित्य बने मेरी पहचान
हिंदी दिवस विशेष - विश्व में पहचान हिंदी
हिंदी क्या है??
हिंदी है पहचान हमारी
हिंदी हमारी पहचान
देश प्रेम की भाषा
अपनी शक्ति पहचानो
अपनी शक्ति पहचानो
अपनी शक्ति पहचानो
अपनी शक्ति को पहचानो
नेताजी
ओ माँ
ये शव
अपनी शक्ति पहचानो
" वाकई " 🍁🍁
अज़ीज़ मुझे समझ न सके अजनबी मग़र समझ गए
ख़ाकसारी में भी बशर उन की बड़ी शान होती है
अपनी पहचान को भूल गए
*पहचाने जाने में जमाने लगे हैं*
राजनीतिकों में चिंता नहीं शेष
*ख़त्म आदमी की पहचान हो गई *
आंखें कराती हैं पहचान
हो गई पहचान उसे
इंसान
हिन्द हिन्दी और हिन्दुस्तान
अलग अपनी पहचान रखते हैं
साथ की पहचान
अपना बेगाना पहचान लेती है.
अब खुदको भी समय कुछ दान करो
मुश्क़िल है उसकी पहचान
रूतबा उसकी पहचान नज़र आता है
कोई पहचानता नहीं था
तुझे पहचानू मैं 🥹
बिन चले मुसाफ़िर की पहचान क्या
पहचान अपनी बनानी पड़ती है
अहबाब की रक़ाबतें पहचानने का इल्म कहाँ से लाईए
वो जान मिरी हयात मिरा जहान थी
मर गए पहचान बनाने में
लेख
अपनी_पहचान_हिंदी!
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