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नेताजी - Gita Parihar (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

नेताजी

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नेताजी
23 जनवरी 1877 को भारत का भाल चमका था
एक पराक्रमी बालक जन्मा था।

देशप्रेम जागृत कर जिसने आज़ादी का बिगुल बजाया था
हर घर से जीवन अर्पित करने सेनानी बाहर गाए था।

तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा कह
आज़ाद हिंद फौज खड़ी कर दी।

"दिल्ली चलो"जोशीला नारा था
अंग्रेज इसी से हारा था।

यह उदघोष,भर गया जोश
शत्रु के लगे ठिकाने होश ।

जयहिंद कह ,समर दुंदुभी बजी
क्रांतिकारी, बलिदानी युवा सेना सजी।

झाँसी की रानी"रेजीमेंट बनी
स्त्री शक्ति को पहचान मिली।

सारी दुनिया ने साथ दिया
कुछ अपनों ने ही दगा किया।

पराक्रम दिवस समर्पित तुम्हें
कोटि-कोटि वंदन नमन तुम्हे।

कृतज्ञ रहेगा राष्ट्र सदा यह वादा खुद से करते हैं।
125 वें जन्मदिवस पर शत् शत् नमन आपको करते हैं|
गीता परिहार
अयोध्या

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