Login
Login
Login
Or
Create Account
l
Forgot Password?
Trending
Writers
Latest Posts
Competitions
Magazines
Start Writing
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
Searching
"दिया"
कविता
मां ने मुझको जन्म दिया,पर पिता ने मुझको पाला है ।
बारीश वाला प्यार
एक सुहाना सा अहसास
प्यार
तुमने मुझे
तेरी गोदी में,,,,,,नदियाँ
शहीदो के नाम दिया जलाते है
खूंटी पर टंगी वर्दियां
खूंटी पर टंगी वर्दियां
# शहीदों की याद में एक दिया जलाये
भूला मुझको दिया..
मेरा मन सुमन की तरह खिला दिया
नदिया के पार
दवा देनेवाले ने दर्द और बढ़ा दिया
कठघरा
एक बच्चे को हँसा दिया
आखिर कब तक
आज मैंने एक रोते हुए बच्चे को हँसा दिया
कमाल तो है मग़र बुलंदियों पर टिके रहने
बेटी की बिदाई के वक़्त पिता द्वारा बेटी को दिया गया वक्तव्य
बनाकर किरदारे-दास्ताँ छोड़ दिया
कच्चा धागा तोड़ दिया हमने
अच्छाई ने हमको बुराई से सिला दिया
सब तो है मालूम उनको
जीने से सरोकार छोड़ दिया
शाम रहने दी ना सवेरा रहने दिया
तेरा ही रहने दिया ना मेरा ही रहने दिया
प्रेम
महरूम कर दिया दादू को पोते के दीदार से
तेरा नाम लिख दिया ✍️
हमने बच्चा बनकर रहना चाहा
बिखरा दिया
पलमें सदियां जीकर जाते हैं
मझधार में लाकर रख दिया
ख़ामुशी ने सब ज़ाहिर कर दिया
मन के पट खोल दिया करो
वो ऊंचाइयां बुलंदियां किस कामकी
तू नदिया की धार मैं किनारा सा रहता हूँ
जीना बड़ा दुश्वार और नासाज़ कर दिया
मुझको मुझमें रहने ही नहीं दिया आख़िरी तक
वक़्त अपना बेकार जाया कर दिया
जिसके हाथमें जो था उसने दिया उछाल
एक वज़ह ने मज़बूर कर दिया रुक जाने केलिए
गांव खो दिया शहर के हो न सके
कहानी
अनुराग
लागे चुनरी में दाग
" बरसता सावन-मचलता मन "💐💐
धरती से टिका अंगूठा
बेटियाँ और नदियाँ
लागा चुनरी में दाग
लेख
हिंदी दिवस विशेष
आ अब लौट चलें
आस्था कि प्रतीक हमारी नदियां
बनी मैं दुल्हनिया
Edit Comment
×
Modal body..