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हाँ मैं थोड़ी बदल गईं हूँ - Mamta Gupta (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

हाँ मैं थोड़ी बदल गईं हूँ

  • 387
  • 4 Min Read

हा !मैं थोडी बदल गईं हूँ
या यूं कहूँ थोडी सँभल गई हूँ।
ठोकर खाकर थोडी निखर गईं हूं
जिंदगी जीने के हुनर थोड़ा सीख गई हूँ
अब ना किसी से उम्मीद रखतीं हूँ
ना किसी से हमदर्दी रखती हूँ
क्योंकि समझ गई हूँ यह दुनिया
एक छलावा हैं, बस चारो तरफ
छल कपट का बोलबाला हैं,
अब ऐसे लोगो से,दूर रहने लगी हूँ
खुलकर मैं अब जीने लगी हूँ
अपने लिए ,अपने सपनो के लिए।।
अब नही रखती किसी से कोई मतलब
नही हैं मुझे किसी की तलब
मस्त रहती हूँ अपनी मस्ती में।
अपने ही दिल की छोटी सी बस्ती में।।
अब बस थोड़े उसूल बना लिए है।
प्यार से बोले जो प्यार पायेगा।
शूल से बात करेगा तो शूल ही पायेगा।।
अब मेरे इरादे साफ है।
जैसा को तैसा सबक
अब नही करना माफ हैं।।

ममता गुप्ता

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Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

वाह!

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

थोडा रहैमिंग गड़बड़ा रही है।

Madhu Andhiwal

Madhu Andhiwal 3 years ago

सुन्दर अभिव्यक्ति

Mamta Gupta3 years ago

धन्यवाद दीदी

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

Bahot Sunder Bhaav.. !

Mamta Gupta3 years ago

धन्यवाद सर्

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

सुंदर

Mamta Gupta3 years ago

धन्यवाद अंकिता जी

प्रपोजल
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