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अनुराग - Anil Makariya (Sahitya Arpan)

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अनुराग

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  • 6 Min Read

अनुराग

मेरे शरीर पर किसीने दिल का आकार बनाकर उसमें तीर घुसेड़ दिया और दिल के बीचोंबीच लिख दिया 'P' ।
जब मैं छोटा था तो पास के बड़े शरीरों पर की गई यह क्रिया देखना मेरे लिए बड़ा कष्टदायी होता था लेकिन अब जबकि यह क्रिया मेरे ऊपर की गई तो मुझे उतना कष्ट नही हुआ जितना कष्ट मुझे कल हुआ था जब आरा, कुल्हाड़ी लिए हुए कुछ लोगों ने मेरे शरीर पर सफेद रंग से निशान लगा दिया था ।
यह सफेद रंग का निशान मानो मेरे लिए रिसता हुआ घाव बन गया है क्योंकि सालों पहले ऐसे ही सफेद निशान लगे हुए मेरे साथी काट दिए गए ।
रुको!
वह वापस मेरी ओर ही आ रहा है जिसने मेरे शरीर पर अपनी महबूबा के नाम का पहला अक्षर गोद दिया था।
अब वह उस अक्षर को अपने सीने से लगाये मुझे अपनी बाहों में भर रहा है ।
म..मु..मुझे बड़ा अजीब-सा लग रहा है और मैं भी चाहने लगा हूं कि मैं इसे गले लगा लूं लेकिन इससे पहले मैं ऐसा कुछ करूँ, कल वाले इंसान अपने आरे और कुल्हाड़ी के साथ प्रकट हुए ।
"चल ..ए ..रोमियो बाजू हट! "
कुल्हाड़ी वाले ने धमकाने वाले अंदाज में कहा ।
"चिपको आंदोलन ...जिंदाबाद" रोमियो के साथ-साथ ही आस-पास उसकी तरह पेड़ों से चिपके हुए कई युवाओं की आवाजें एक साथ गुंजायमान हुई ।
मेरे शरीर से निकला गोंद रोमियो के दिल और उसकी महबूबा के नाम के पहले अक्षर को भिगोने लगा ।

#Anil_Makariya
Jalgaon (Maharashtra)

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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 4 years ago

सुन्दर लेखन..!

Poonam Bagadia

Poonam Bagadia 4 years ago

बहुत ही सुंदर रचना...

Sushma Tiwari

Sushma Tiwari 4 years ago

कितनी खूबसूरत रचना, प्रकृति के दर्द को बखूबी बयान करती हुई

Lakshmi Mittal

Lakshmi Mittal 4 years ago

बेहतरीन रचना

Anil Makariya4 years ago

धन्यवाद

Nidhi Gharti Bhandari

Nidhi Gharti Bhandari 4 years ago

निःशब्द....

Anil Makariya4 years ago

धन्यवाद

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 4 years ago

बेहतरीन

Anil Makariya4 years ago

धन्यवाद

दादी की परी
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