कवितालयबद्ध कविता
भरकर रंग कूंची में जो ये तुम तस्वीर उतारते हो ।
बताओ ना कैसे तुम कैनवास का हर अंग यूँ संवारते हो।
तुम्हारे हाथों पर लगे रंग इंद्रधनुषी आकार जो बनाते हैं।
बताओ ना कैसे तुम जादू से इस ब्रश को चलाते हो।
बीज जादुई कभी इन रेशों में जो बोते हो तुम
बताओं ना कौन से परीलोक की कहानियाँ इनको सुनाते हो।
अच्छा छोड़ो नेहा की तस्वीरों को ख्वाबों में बुनना
सच सच बताओ ना तुम मेरे ख्वाबों की ही तस्वीर बनाते हो। - नेहा शर्मा
तुम मेरे ख्वाबों की तस्वीर ही बनाते हो ,बहुत सुन्दर
बहुत बहुत धन्यवाद