कवितालयबद्ध कविता
मासूम कलियां
हम तो हैं मासूम-सीं कलियां,
मत तोड़ो हमारी पंखुड़ियां।
देखने दो हमें भी दुनियां,
नाज़ुक हैं हम अभी बच्चियां।
खिलकर जरा निखर जाने दो,
ना टूट कर अभी से बिखर जाने दो।
हंसने दो हमें खिलखिलाकर,
ना रखो बेड़ियां लगाकर।
हमें सांस आजादी की लेने दो,
हमें अपना बचपन जी लेने दो।
हमें अपना सौरभ फैलाने दो,
हमें अपनी पहचान बनाने दो।
स्वाति सौरभ
स्वरचित एवं मौलिक
बच्चे वाकई कोमल और प्यारे होते हैं। अभिव्यक्ति बहुत प्यारी की है आपने
हार्दिक आभार मैम