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Sahitya Arpan - Tinku Tiwari
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Tinku Tiwari

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  • Reader Points 25

  • कविताछंद

    आंखों की पोर

    • Edited 3 years ago
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    • 264
    • 1 Mins Read

    मेरी आंखों के नम पोर रो नहीं पाते,
    चैन से रात में पल भर सो नहीं पाते,
    कितना भी बहालें नीर इन आँखों का,
    दिल का मैल तनिक भी धो नहीं पाते।

    टिंकू शर्मा "मिथलेश"

    आंखों की पोर,<span>छंद</span>
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    Swati Sourabh

    Swati Sourabh 3 years ago

    बढ़िया

    Poonam Bagadia

    Poonam Bagadia 3 years ago

    बहुत खूब..?

    लेखआलेख

    गुरु

    • Edited 3 years ago
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    • 132
    • 8 Mins Read

    आज की शिक्षा समाज एवं देश को किस तरफ ले जा रही है। अगर वास्तविकता देखी जाये तो हम जो आज के छात्रों को शिक्षा दे रहे हैं, वो उनको सिर्फ और सिर्फ एक तुच्छ मानसिकता का इंसान बन रही है।
    आज की शिक्षा का
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    गुरु,<span>आलेख</span>
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    कवितागजल

    ज़िंदगी का मजा

    • Edited 3 years ago
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    • 197
    • 2 Mins Read

    नफ़रतों में जीने का मजा ही कुछ और है।
    मेरी इस जिन्दगी से रजा ही कुछ और है।

    उसे बिल्कुल भी मोहब्बत नहीं मुझसे,
    खैरियत पूछने की वजह ही कुछ और है।

    दगाबाजी का बदला दगाबाजी तो नहीं,
    दिल तोडने की तो सजा ही
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    ज़िंदगी का मजा,<span>गजल</span>
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    शिवम राव मणि

    शिवम राव मणि 3 years ago

    bahut badhiya hai

    Poonam Bagadia

    Poonam Bagadia 3 years ago

    बहुत शानदार ग़ज़ल टिंकू जी..!?

    कवितागजल

    मेरा अपनापन

    • Edited 4 years ago
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    • 271
    • 3 Mins Read

    कई मर्तबा मासूम की तरह समझाया तुझे,
    लग ना जाये धूप शज़र की मानिंद बचाया तुझे।

    कहीं गम के साये में टूट ना जाये तेरा दिल,
    रोने पर, गले से कसकर लगाया तुझे।

    लग ना जाये कहीं कम्बख्त बुरी नजर,
    बान्ध कर ताबीज
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    मेरा अपनापन,<span>गजल</span>
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    Kamlesh  Vajpeyi

    Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

    सुन्दर..!

    नेहा शर्मा

    नेहा शर्मा 4 years ago

    अरे वाह बहुत ही बढ़िया रचना टिंकू जी