Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
सुरभित मुखरित पर्यावरण - Priyanka Tripathi (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

सुरभित मुखरित पर्यावरण

  • 390
  • 4 Min Read

स्वरचित मौलिक:: सुरभित मुखरित पर्यावरणीय

मै पतित पावन प्रकृति,
वसुंधरा का वरदान हूं।
धानी रंग की चुनरीया मेरी,
लताओं पुष्पों से सजी धजी हूं।
हिम पर्वत आकाश,
को धारण करती हूं।
नदियों संग कल कल करती,
समुद्र के संग जा मिली हूं।
जो तुम मेरा पथ पहचानो,
हो जाए सुरभित मुखरित पर्यावरण।
असंख्य गुलो की मै पटरानी,
बाग बगीचों संग नेह लड़ाती।
खग मृग कृप संग धमा चौकड़ी करती,
कोयल संग मधुर संगीत सुनाती।
क्षण भर जो तुमने विश्राम लिया,
जैसे निष्प्राण से मुझको प्राण मिला।
हो गई सुरभित मुखरित पर्यावरण
जो तुम मेरा संवर्धन, संरक्षण करो।
प्रफुल्लित हो जाए वातावरण,
तुम्हें भी निष्प्राण से प्राण मिल जाए।

-- प्रियंका पांडेय त्रिपाठी
प्रयागराज उत्तर प्रदेश

IMG_20201023_114049_1604740815.jpg
user-image
Swati Sourabh

Swati Sourabh 3 years ago

बहुत बढ़िया

Priyanka Tripathi3 years ago

Thanks??

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

सुंदर

Priyanka Tripathi3 years ago

धन्यवाद

Anupma Anu

Anupma Anu 3 years ago

बहुत सुंदर सृजन

Priyanka Tripathi3 years ago

धन्यवाद

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत खूब

Priyanka Tripathi3 years ago

हार्दिक आभार

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

सुन्दर रचना..!

Priyanka Tripathi3 years ago

हार्दिक आभार

प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हाई
logo.jpeg