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चिमटा - नेहा शर्मा (Sahitya Arpan)

कहानीहास्य व्यंग्य

चिमटा

  • 346
  • 10 Min Read

एक हामिद का चिमटा था जो माँ के हाथ जलते है हामिद ने इसलिये खरीदा था और एक हमारी माँ का चिमटा था जिसे हम छुपा देते थे। क्यों बताते है वो भी।

हमारी माँ बहुत काम करती। और हम एक नम्बर के नकारा, निठल्ले। ये वाले कसीदे हमारी तारीफ में सब पढ़ते थे इसलिये हम हो गए थे चिकना घड़ा....., चिकना घड़ा समझते हो ना जिस पर किसी भी चीज़ का कोई असर नही होता है। कहाँ हामिद और कहां हम मतलब बिल्कुल 36 वाले डिज़ाइन में थे। एक नम्बर के आलसी भगवान मिलते तो वो भी आकर हाथ जोड़ जाते। पर हम बात भगवान तक जाने से पहले खुद ही निपट लेते।

हाँ तो हम कहाँ थे। हमारे इस नकारा, निठल्ले और आलसीपने से सिर्फ हम ही नही घर का हर वो सदस्य दुखी था जिसको हमसे रत्ती भर भी कोई आशा नही था। क्योंकि आशा तो उन्होंने हमारे लिए बचपन से देख रखी थी। और उस आशा को भी पता था कि हम ऐसे ही है।

ऐसे में माँ का वो चिमटा सबके लिए वो सिद्ध बाबा का दिया हुआ प्रसाद साबित होता था। क्योंकि जब माँ वो चिमटा घुमाकर 90 डिग्री के एंगल में हम पर फेंकती थी तो एक हफ्ते के लिए हमारी चाल सीधी हो जाती थी। पर सिर्फ एक हफ्ते के लिए। घर के सभी लोग समझा समझा कर परेशान हो चुके थे। अब तो सबने दुआ, मन्नत मांगनी शुरू कर दी थी।

खैर कुछ दिन तो कट गए, एक दिन जाकर अहसास हुआ कि निठल्लेपन में भी कमाई हो जाती है। उस दिन हमारा मिलन हुआ मिशो अप्प से। वो अप्प नही थी भगवान का भेजा हुआ फरिश्ता था। धीरे - धीरे उस अप्प से पैसे मिलने शुरू हो गए। और एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि सभी लोग मेरे कमरे में आये। मुझे लगा आज सब मुझसे खुश है कोई मुझे ये नही कहेगा कि तू निकम्मा है नालायक है पर यह क्या उनके हाथ में चिमटा, बेलन, चप्पल! उस दिन उन्होंने जो मुझे मारा आये होए होए होए.... इतना मारा इतना मारा की क्या बताऊँ कितना मारा। मुझे पिटने के घण्टो बाद समझ आया कि क्यों मारा।

हुआ ये कि मैंने घर का आधे से ज्यादा समान मिशो अप्प से बेच दिया था और घर मे अब एक भी फर्नीचर नही बचा था। बेचना दूसरे का सामान था और मैं अपना ही सामान भिड़ा बैठा था।

कसम से उस दिन समझ आया कि फर्नीचर नही घर के चिमटा, बेलन, चप्पल बेचने चाहिए थे। - नेहा शर्मा

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Sarla Mehta

Sarla Mehta 3 years ago

अरे बाबा,बड़ी ग़लती हुई,बाद में समझ आया।

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

मजेदार

Champa Yadav

Champa Yadav 3 years ago

हाँ...सही.. कहा..कुछ.. लोगो पर कुछ असर नहीं होता... अच्छी कहानी है

Bhawna Sagar Batra

Bhawna Sagar Batra 3 years ago

गजब ??कल पढ़ी थी मगर लॅाग इन नहीं कर पाई ।

Madhu Andhiwal

Madhu Andhiwal 3 years ago

वाह, चिमटे की मार बड़ी भयंकर होती है।

नेहा शर्मा3 years ago

धन्यवाद

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

वाह वाह

नेहा शर्मा3 years ago

धन्यवाद

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