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भूख,लाचारी और खुदा - संदीप शिखर (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

भूख,लाचारी और खुदा

  • 241
  • 3 Min Read

भूख,इंसानियत और खुदा
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भूखा भूख से तड़प रहा,रोटी नही है तकदीर में
खुदा कोई रहमत नही बची,क्या तेरी जागीर में

ये कैसी तेरी दुनिया मौला,देता न कोई निवाला
जो लाखो फूक दे रहा है,मेरी ही हाले तस्वीर में

दया-धर्म और नेकी यहाँ,इबारत बस लिखी हुयी
इबारत लिख कैद अब जो,किताबो संग जंजीर में

दिल मे हमदर्दी का भाव,बस देखने का छलावा है
भूखे का दर्द समझता वही,भूख जिसकी लकीर में

ईमान बेच खाया है अपना,इंसानियत कैसे समझेगा
खुदा आज भी बैठा मिलेगा,उन्ही किसी एक फकीर में

स्वरचित-संदीप शिखर मिश्रा। #वाराणसी(U. P)

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Gita Parihar

Gita Parihar 4 years ago

इंसानियत आज बहुत मुश्किल से दिखाई देती है। बहुत अच्छा लिखा है।

Neelima Tigga

Neelima Tigga 4 years ago

शानदार

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 4 years ago

वाह वाह

Sarla Mehta

Sarla Mehta 4 years ago

खूब

Poonam Bagadia

Poonam Bagadia 4 years ago

बढ़िया

प्रपोजल
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