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जिंदगी तुम इतनी दूर क्यों हो - Krishna Tawakya Singh (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

जिंदगी तुम इतनी दूर क्यों हो

  • 283
  • 4 Min Read

जिंदगी तुम इतनी दूर क्यों हो
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जी चाहता है
मैं तुझे प्यार कर लूँ
चुम लूँ तेरे माथे को
ये जिंदगी
जी चाहता है
और तुझे बाहों में भर लूँ
पर तू इतनी दूर है मुझसे
कि यह हो नहीं सकता
बस मन ही मन में सोचता हूँ
वक्त कहता है
कभी तो पास ले आऊँगा
तुम चलते रहो
तुमसे तुम्हारी साँसों को मिलाऊँगा |
भविष्य में भूतकाल का दर्शन कराऊँगा
मैं ले जाऊँगा तुम्हें वहाँ
जहाँ मिलते हैं तीनों काल
वहीं तेरे कपाल पर लिखा जाएगा सवाल
शायद जीवन भर तुम्हे ये परेशान करेंगे
जिएंगे ये तेरे उद्देश्य बनकर
यही खोलेंगे द्वार
इन्हें हल करके ही
तुम कर जाओगे भवसागर को पार
यही तुम्हें बतलाएगा तुम्हें तुम्हारा धर्म
इसी में तो छुपा है तुम्हारा कर्म |

कृष्ण तवक्या सिंह
30.09.2020.

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Kumar Sandeep

Kumar Sandeep 3 years ago

आपकी हर रचना उम्दा होती हैं सर

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

विलक्षण

Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

जिंदगी कैसी है पहेली !इसे हल करना इतना भी आसान नहीं है।

Krishna Tawakya Singh3 years ago

कठिन तो है पर करना भी तो जरूरी है

Sarla Mehta

Sarla Mehta 3 years ago

जी,प्रश्न हल किए बिना सफ़ल नहीं होंगे

Champa Yadav

Champa Yadav 3 years ago

Nice....

Krishna Tawakya Singh3 years ago

धन्यवाद

Sarla Mehta

Sarla Mehta 3 years ago

बढ़िया

Krishna Tawakya Singh3 years ago

धन्यवाद

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