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"वो प्यारा डर" - Poonam Bagadia (Sahitya Arpan)

कहानीसंस्मरण

"वो प्यारा डर"

  • 282
  • 6 Min Read

शीर्षक: 'वो प्यारा डर"

बचपन मे अंधेरे से डर लगता था, क्योंकि बहुत सी कहानीयो में पढ़ा व सुना था अंधेरे में भूत आ जाते है!
किशोरावस्था में आने के बाद जाना भूत अंधेरों के ही गुलाम नही वो दिन के उजालो में भी आ सकते हैं!

कभी कभी डर में उलझा अनुभव ह्रदय की गहराइयों तक झनकार छोड़ जाता हैं!
जी हाँ ...! किशोरावस्था में घटित एक घटना ने मुझे बहुत ही प्यारे डर की परिधि से अवगत कराया था!
जिसे शायद आप अभी तक भूले नही होंगे! साहित्य अर्पण पर मेरा पहला प्यार नामक प्रतियोगिता में, मैने उस संस्मरण को लेखनी रूप में "एक प्यार ऐसा भी" का नाम दिया था!
उस संस्मरण में स्पष्ट लिखा था किस तरह महीनों फोन पर बात करने वाला वो प्यारी सी शख्सियत असल मे इस दुनिया मे था ही नही!
अतः उस घटना के उपरांत मेरी समझ मे ये तो आ ही गया था कि भूत हमेशा डरावने नही होते!
कुछ क्यूट से मन को भाने वाले भी होते है!

हालांकि भूतों के प्रति वो मेरा अंतिम डर था जो सूरज के साथ ही समाप्त हो गया....!

फिर भी उस घटना को याद कर ह्रदय अनजाने डर से आज भी भर जाता है!
ओर अनायास ही अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा का संवाद कानो में धमाके सा प्रतीत होता हैं..!
थप्पड़ से डर नही लगता साहब.. प्यार से लगता है..!

©️पूनम बागड़िया "पुनीत"
(नई दिल्ली)
स्वरचित मौलिक रचना

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Anujeet Iqbal

Anujeet Iqbal 3 years ago

?

Poonam Bagadia3 years ago

???

Bhawna Sagar Batra

Bhawna Sagar Batra 3 years ago

बहुत सुंदर ।

Poonam Bagadia3 years ago

जी शुक्रिया..!

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बढ़िया मैंने पढा था वह संस्मरण। वाकई बहुत सी बातें खभी भुलाए नही भूल सकते

Poonam Bagadia3 years ago

जी नेहा जी...चाहे तो भी नही भूल पाते..!

Ajaypal Singh

Ajaypal Singh 3 years ago

Bahut khub yr?

Poonam Bagadia3 years ago

जी..

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

अत्यंत विलक्षण और अविस्मरणीय अनुभव..!!

Poonam Bagadia3 years ago

जी सर कुछ अनुभव अविस्मरणीय हो ही जाते हैं

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