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"होगा"
कविता
तारों को आंचल तक आना होगा
मैं खुश हूँ मेरी झोपड़ी मे
मौत के शिकंजे में जिंदगी
जल की बूंदें
बदलाव
निरंतर
चैतन्य महाप्रभु और विष्णुप्रिया
बेटी बनाना छोड़ दे
चुनावी मुद्दा (हास्य व्यंग)
बदलना होगा बंदरों को
हुआ जा रहा गड़बड़झाला
अच्छा होगा संवाद करो
कैसे तूफां होगा शांत
छोड़ो झूठी बात बनाना
उपवन फूल खिलाना होगा
आओ मिल कर दीप जलाएँ
राम तुम्हें फिर आना होगा
आवाहन करती है ये वसुंधरा
हमको फ़र्ज निभाना होगा
ज्ञान का प्रकाश
अपनों को अपना हाल बताना मुश्किल हो जाता है
एक करवट की दूरी
आज कुछ नया लिखूंगी
तुझे मजबूत बनना होगा
एक झिलमिलाती सुबह
आलसी
उत्सव
उत्सव
डिजिटल जनरेशन
दोगलापन
मौन
चलना सीखा
यादों का जख्म़
अफसोस
हम कितने चैतन्य
*तेरे बोलने का असर क्या होगा*
औरों को क्या पता होगा
मुतमईन हो जाना होगा आसान
ख़ामुशी पर सवाल खड़ा
मिसाल होगा
जाने वजूद हमारा कहाँ होगा
रिश्तों को संजीदगी से देखा होगा
गर मन मज़बूत होगा तो
जी भरकर हमने जिया ही नहीं
फिर उन्हीं का ख़्वाब आएगा
पार्थ तुम्हें भी बनना होगा
वन गमन सुखद अहसास
नसीब होगा घर
पानी का नामोनिशान न होगा
तन्हा रहने की आदत डाल लीजिए
आंखों में समंदर
किरदार अमर होगा गर नियत जिंदा रहेगी
मेरी पहली होली
बुढापा हमारा मज़लूम होगा
रब पर भी भरोसा नहीं होगा
कसक
हमको अपने घर लौटना भी होगा
जिन्हें भुलाने की कोशिश में
सोच और प्रवित्ति
Ghazal
अपने अंदर सैलाब समेटे बहता होगा
आपके अलावा आपके साथ कोई नहीं
आईने के समने सबको खुदका दीदार होगा
तन को निखारने से क्या होगा
मरा अंदाज
कहानी
डर
कुछ जरूरी बातें
आई लव यू
"दंगा"
लेख
स्वस्थ हम, स्वस्थ समाज
सुनो सब ठीक होगा
मन के संवाद
बारिश की बूंद
योगा होगा ….नहीं होगा ..?
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