Login
Login
Login
Or
Create Account
l
Forgot Password?
Trending
Writers
Latest Posts
Competitions
Magazines
Start Writing
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
Searching
"बता"
कविता
पहल्यां ही बता देंदी
माँ ...जो मैंने तुम्हें कभी न बताया
बताओ ना
तुम्ही बताओ
सच बताना - कुमार आशू की ग़ज़ल
मैं सिमटकर रहूंगा कब तक
तस्वीर
वो जगह बता मुझे
माँ
अपनों को अपना हाल बताना मुश्किल हो जाता है
तुम्ही बताओ
गज़ल
बिना पूछे सबकुछ बता देते हैं
बिना पूछे सबकुछ बता देते हैं
मुझे उड़ान भरने दो
मुझे उड़ान भरने दो
क्या क्या काम बताओगे तुम
मेरे ही घर में पूछ के लाया गया मुझे
आईना मग़र सच बताएगा
इशारों में बता
मुकाम भी अपना बिना बताए हुए चला गया
फासले राब्तोंकी असलियत बता देते हैं
कोई येह तो बताए के हिंदुस्तान और भी है
हमें न बताकर आए
क्या बताए बशर किसीको
हयात मेरी बता मुझको
नामुराद इक दूसरे पे इल्ज़ाम लगाते रह गए
शेष बताना न रहा
*न बताना पड़े न जताना पड़े*
"बशर" किरदार तेरा कितना महान है
आना यहाँ दुबारा नहीं
सवाल ही गलत किया जाए तो जवाब कोई क्या बताए
प्यास क्या है तिश्नगी क्या है
बिना बताये
तदबीर बताते हैं
बीता वक़्त खरीद कर बताए
बुज़ुर्ग सयाने गुज़र गए
बताए तो सही हुई क्या है ख़ता हमसे
और क्या बताएं
बताएं क्या नुक़्स आपको मय के बशर
घरकी बातें बाहर बताना ठीक नहीं
मुझे नहीं फ़िक्र कोई हाले-दिल बताने में
बातचीत क्यों नहीं करते
अक़्सर दिल दुखाते हैं
कोई अपना चाहिए
वक़्त मुझे बताए जा रहा है
एक मर्तबा इन्सान बनकर तो बताओ
वक़्त का काम है जवाब बताना
जफ़ा को वफ़ा बताई नहीं जाती हमसे
कल था न आज है 'बशर' ये ज़माना आपका
वक़्त को बुरा बताएंगे
कहानी
किसे बताऊ
बता, कौन सी कहानी सुनेगा
क्या बताऊँ
" महज बता रही हूँ "💐💐
बता, कौन सी कहानी सुनेगा
Edit Comment
×
Modal body..