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बेहया बेवफा ओ तेरा की हाल है? - नेहा शर्मा (Sahitya Arpan)

लयबद्ध कविता

बेहया बेवफा ओ तेरा की हाल है?

  • 183
  • 3 Min Read

बड़ी मुद्दतों के बाद उसे देखा लगता है।
मेरे यार को मुझसे पड़ा कोई काम लगता है।
मैं भुला चुकी थी उसके सितम कबके
वक़्त मेरे पलड़े में झुका लगता है।

न बद्दुआ दी थी उसे की जी न सके मेरे बिन
पर खुदा ने बिना कहे सुनी लगता है।
मैंने कंधा सरकाया ही था उसके रोने के लिए
पर खून में थी बेवफाई उसके यही लगता है।

निकाल खंजर उसने कंधा ही जख्मी किया
अब वह कंधा किसी और के लिए कमजोर लगता है।
डर लगने लगा है हर उस शख्स से शहर में
अब तो हर किसी में बेगानापन सा लगता है।

नेहा दे तो किसे दुआएं दे ये बता दे कोई
यहां तो हर जख्म किराए का व्यापार लगता है। - नेहा शर्मा

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Anujeet Iqbal

Anujeet Iqbal 2 years ago

दर्द भरी.....👌

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

ख़ूबसूरत..!

शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 3 years ago

बहुत खूब

प्रपोजल
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माँ
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