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"लव आजकल" - Poonam Bagadia (Sahitya Arpan)

कविताअन्य

"लव आजकल"

  • 605
  • 5 Min Read

शीर्षक: "लव आजकल"
ये लव आजकल है,ऑनलाइन मिल ही जाता है
हर लैला कि पोस्ट पर मजनु बन लहराता है।

अब पहले सी बात नही, जो देख कर दिल शर्माता था
सालों साल आँखो की भाषा खामोशी से गुनगुनाता था।

अब ऑनलाइन मजनु है, hi के तुरन्त बाद ही लव यू का पत्ता फेका जाता है
यहाँ दिल से नही प्रोफ़ाइल से प्यार तोला जाता है।

फ़िल्टर pic पर जो मक्खी सा बेवजह भिनभिनाता है
ये लव आजकल है जनाब बिना दस्तक इनबॉक्स के दरवाजे खटखटाता है।

ऑनलाइन की गलीयों में, खरपतवार सा उग ही आता है
बिना बात की खाद से, खुद को पेड़ बनाता है..

डाल इश्क़ का झूला उसपर खुद ही पिंग बढाता है
ये लव आजकल है जनाब, जो हवा में ताजमहल बनाता है

नही रहा वो प्यार दिलो में, जो झोपड़ी में भी मुस्काता था
सच्ची श्रद्धा त्याग लिये, खुद को प्यार से महकाता था

मजबुरी में जो साथ छोड़ कर एक दूजे में ही बस जाता था
ये लव आजकल है जनाब स्टेटस सा चौबीस घंटे बाद खुद ही उड़ जाता है

फिर भी ऑनलाइन की गलियों में शान से ये मुस्काता है
ये लव आजकल है जनाब ऑनलाइन मिल ही जाता है..!

©✍🏻पूनम बागड़िया "पुनीत"
(नई दिल्ली)
स्वरचित मौलिक रचना

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Shweta Singh

Shweta Singh 4 years ago

Kya baat, Kamaal ❤🌼👏

Poonam Bagadia4 years ago

Thanks

The Indian writers 11

The Indian writers 11 4 years ago

Gajab👌

Poonam Bagadia4 years ago

शुक्रिया...!

Comrade Pandit

Comrade Pandit 4 years ago

🤘🙏🙏🙏🤗

Poonam Bagadia4 years ago

Thanks...😊

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 4 years ago

बहुत ख़ूबसूरत..! आजकल की वास्तविकता..!

Poonam Bagadia4 years ago

सादर आभार आपका...! जी सर... आजकल के लव में लव तो हैं पर प्रेम नही..!

कुलदीप दहिया मरजाणा दीप

कुलदीप दहिया मरजाणा दीप 4 years ago

उम्दा कृति

Poonam Bagadia4 years ago

धन्यवाद सर...!

Poonam Bagadia4 years ago

धन्यवाद...!

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