Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
धोखा - Anil Dhawan Sirsa (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

धोखा

  • 133
  • 3 Min Read

धोखा

जो दे वो भी पछताए, जिसे मिले वो भी,
हम अक्सर जब हद से, ज्यादाकिसी पर
विश्वास करते, तो एक ना एक दिन उसका फल मिलना
ही होता है, और उस फल का नाम है धोखा।

हमारी बंद आँखो से जब किसी के झूठे ,
विश्वावस या प्यार का पर्दा हटता,
तो दिल हमारा यकीन नही करता,
आँखो से आँसू बस छलकते रहते,
हम बस कुछ दिन चुप से रहते,
दिल मे सब राज़ दफ़न कर लेते,
किसी के सामने कोई बात ना लाते,
जब हम किसी से धोखा खाते।।

धोखा जरूरी नही प्यार मे मिले,
व्यापार का भी हो सकता,
पर धोखा मिलने पर हाल,
सबका ऐसा ही होता,
तन्हा बैठ बैठ कर इंसान है रोता।।

अनिल धवन सिरसा
स्वरचित एवं मौलिक

inbound4925588133586513377_1597340113.jpg
user-image
Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

धोखा खाने के बाद संभल जाए वही इंसान है।

Champa Yadav

Champa Yadav 4 years ago

हाँ...सही कहा

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 4 years ago

वाह वाह

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 4 years ago

अद्भुत

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 4 years ago

बहुत खूब

प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
तन्हाई
logo.jpeg