Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
ये कैसी आज़ादी - Sandeep Chobara (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

ये कैसी आज़ादी

  • 147
  • 4 Min Read

ये कैसी आज़ादी

जब किसी घर में
चुल्हा न जले
और परिवार
भूखा ही सो जाए.....

जब किसी गांव में
गरीब लोगों को
भीख मांग कर
पेट भरना पड़े........

जब किसी शहर में
फुटपाथों पर
बेसहारों को भूखो
रहना पड़े
और सिर ढकने
के लिए
जगह भी मयस्सर
न हो पाए तो.........

क्या जरूरत है ऐसे देश में
आज़ादी का जश्न मनाने की...?

जहां एक ओर तो
आज़ादी के जश्न में
डूबे हुए बड़े-बड़े
साहूकार, राजनेता
मौज उड़ाते हैं और
दूसरी ओर देश की
गरीब जनता
दो रोटी को
तरसती है........!

ऐसी आज़ादी किस काम की
जो गरीब, बेसहारा लोगों को
भूख ,गरीबी से आज़ादी
न दिलवा सके........!!

संदीप चौबारा
फतेहाबाद
१३/०८/२०२०
मौलिक एवं अप्रकाशित

FB_IMG_1590424795017_1597315552.jpg
user-image
Priyanka Tripathi

Priyanka Tripathi 3 years ago

मुद्दा अच्छा है इसे और बेहतरीन ढगं से व्यक्त कर सकते है।

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

चैतन्यपूर्ण

Champa Yadav

Champa Yadav 4 years ago

बहुत.... खूब.... सच कहा आपने

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 4 years ago

चैतन्यपूर्ण

Sandeep Chobara4 years ago

शुक्रिया जी

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 4 years ago

बेहतरीन

Sandeep Chobara4 years ago

आभार जी

Bhawna Sagar Batra

Bhawna Sagar Batra 4 years ago

निशब्द

Sandeep Chobara4 years ago

जी आभार

प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
तन्हाई
logo.jpeg